फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बहुत बड़ा डेटा ब्रीच होने की ख़बरें आईं, और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक अब तक के सबसे बड़े विवाद में घिर गया, लेकिन इस वक्त सभी की ज़ुबान पर एक ही सवाल है - CEO मार्क ज़करबर्ग कहां हैं...? इस मामले को लेकर न सिर्फ ज़करबर्ग अब तक खामोश हैं, बल्कि फेसबुक की पीआर रणनीति का चेहरा मानी जाती रहीं COO शेरिल सैन्डबर्ग भी इस डेटा स्कैन्डल पर अब तक कुछ नहीं बोली हैं. बुधवार को ReCode की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज़करबर्ग शुक्रवार को अपने कर्मचारियों के साथ साप्ताहिक प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लेंगे, और वह सत्र से पहले इस मुद्दे पर कुछ बोल सकते हैं.
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आमतौर पर जब भी फेसबुक किसी विवाद में फंसता है, ज़करबर्ग और सैन्डबर्ग लम्बे-लम्बे ब्लॉग पोस्ट लिखकर अपनी बात कहते रहे हैं, लेकिन इस बार की चुप्पी हैरान करने वाली है. फेसबुक को आलोचना का सामना इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि एक ब्रिटिश कन्सल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) पर आरोप लगा है कि उसने पांच करोड़ फेसबुक यूज़रों का डेटा बिना अनुमति के जमा किया और उस डेटा का इस्तेमाल राजनेताओं की मदद करने के लिए किया, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा ब्रेक्ज़िट आंदोलन शामिल हैं.
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यूरोपियन यूनियन (EU) तथा ब्रिटिश सांसदों ने मांग की है कि सोशल मीडिया क्षेत्र की बड़ी कंपनी फेसबुक को डेटा ब्रीच पर सफाई देनी चाहिए, क्योंकि ऐसी ख़बरें सामने आई हैं कि निजी तथा व्यक्तिगत डेटा का राजनैतिक उद्देश्यों से जमकर दुरुपयोग किया गया. ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने भी इन आरोपों पर चिंता व्यक्त की है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोड़ों फेसबुक यूज़रों के डेटा का अनुमति लिए बिना राजनैतिक अभियानों में इस्तेमाल किया.
फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म से कैम्ब्रिज एनालिटिका को पहले ही निलंबित कर चुका है. फेसबुक ने कबूल किया है कि लगभग 2,70,000 लोगों ने ऐप को डाउनलोड किया, और अपनी निजी जानकारी उसके साथ शेयर की. हालांकि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने किसी भी तरह का गलत काम किए होने से इंकार किया है, और दावा किया है कि उन्होंने डेटा एकत्र करने तथा इस्तेमाल करने के लिए सही तरीकों का प्रयोग किया.
(इनपुट IANS से भी)
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आमतौर पर जब भी फेसबुक किसी विवाद में फंसता है, ज़करबर्ग और सैन्डबर्ग लम्बे-लम्बे ब्लॉग पोस्ट लिखकर अपनी बात कहते रहे हैं, लेकिन इस बार की चुप्पी हैरान करने वाली है. फेसबुक को आलोचना का सामना इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि एक ब्रिटिश कन्सल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) पर आरोप लगा है कि उसने पांच करोड़ फेसबुक यूज़रों का डेटा बिना अनुमति के जमा किया और उस डेटा का इस्तेमाल राजनेताओं की मदद करने के लिए किया, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तथा ब्रेक्ज़िट आंदोलन शामिल हैं.
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फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म से कैम्ब्रिज एनालिटिका को पहले ही निलंबित कर चुका है. फेसबुक ने कबूल किया है कि लगभग 2,70,000 लोगों ने ऐप को डाउनलोड किया, और अपनी निजी जानकारी उसके साथ शेयर की. हालांकि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने किसी भी तरह का गलत काम किए होने से इंकार किया है, और दावा किया है कि उन्होंने डेटा एकत्र करने तथा इस्तेमाल करने के लिए सही तरीकों का प्रयोग किया.
(इनपुट IANS से भी)
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