पेरिस:
पेरिस में चल रहे जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में वार्ता खत्म होने से 48 घंटे पहले जारी हुए मसौदे के ड्राफ्ट से नाराज़ सिविल सोसाइटी ग्रुप्स ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इन लोगों ने सम्मेलन सभागार के भीतर प्लेनरी हॉल के पास ही विरोध प्रदर्शन किए और आरोप लगाया कि सम्मलेन में जो समझौता तैयार करने की कोशिश हो रही है, उससे गरीब और विकासशील देशों को कुछ नहीं मिलने वाला है।
शुक्रवार तक यहां इकठ्ठा हुए 196 देशों को क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए एक साझा नीति का ऐलान और समझौता करना है, लेकिन अभी 29 पन्नों का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें ढेरों सवाल बने हुए हैं। बुधवार देर रात तक सारे देश मौजूदा ड्राफ्ट को सावधानी से पढ़ते रहे।
विकासशील देशों की मांग है कि अमीर और विकसित देश कार्बन उत्सर्जन मैं भारी कटौती करें। विकासशील देश ये भी मांग कर रहे हैं कि सोलर और पवन ऊर्जा बनाने के लिए विकसित देश उन्हें टेक्नोलॉजी और पैसा दें, लेकिन अभी मौजूदा ड्राफ्ट में अमीर देशों की ओर से कोई ठोस वादा नहीं किया गया है।
भारत समेत सभी देशों के वार्ताकारों को पूरी रात जुटे रहना है। सम्मलेन के अध्यक्ष लॉरेंट फैबियस ने ताज़ा ड्राफ्ट जारी करते हुए कहा कि सारे देश पूरी रात काम करने के लिए तैयार रहें।
सामाजिक संगठनों ने कहा कि नया ड्राफ्ट भारत जैसे विकासशील देशों के लिए मायूस करने वाला है। एक्शन ऐड के इंटरनेशनल पॉलिसी मैनेजर हरजीत सिंह का कहना है कि पैसे और टेक्नोलॉजी की मांग भारत जैसे देशों के लिए बड़ा महत्व रखती है और इस ड्राफ्ट में इस बारे में कुछ भी वादा नहीं दिखता। हमने सोलर और विंड पावर के इतने बड़े टारगेट रखे हैं, लेकिन अमीर देश इसे हासिल करने में हमारी मदद के लिए कोई वादा नहीं कर रहे हैं। यहां पेरिस में गुरुवार और शुक्रवार का दिन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपनी-अपनी मांगों को लेकर काफी खींचतान होगी।
शुक्रवार तक यहां इकठ्ठा हुए 196 देशों को क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए एक साझा नीति का ऐलान और समझौता करना है, लेकिन अभी 29 पन्नों का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें ढेरों सवाल बने हुए हैं। बुधवार देर रात तक सारे देश मौजूदा ड्राफ्ट को सावधानी से पढ़ते रहे।
विकासशील देशों की मांग है कि अमीर और विकसित देश कार्बन उत्सर्जन मैं भारी कटौती करें। विकासशील देश ये भी मांग कर रहे हैं कि सोलर और पवन ऊर्जा बनाने के लिए विकसित देश उन्हें टेक्नोलॉजी और पैसा दें, लेकिन अभी मौजूदा ड्राफ्ट में अमीर देशों की ओर से कोई ठोस वादा नहीं किया गया है।
भारत समेत सभी देशों के वार्ताकारों को पूरी रात जुटे रहना है। सम्मलेन के अध्यक्ष लॉरेंट फैबियस ने ताज़ा ड्राफ्ट जारी करते हुए कहा कि सारे देश पूरी रात काम करने के लिए तैयार रहें।
सामाजिक संगठनों ने कहा कि नया ड्राफ्ट भारत जैसे विकासशील देशों के लिए मायूस करने वाला है। एक्शन ऐड के इंटरनेशनल पॉलिसी मैनेजर हरजीत सिंह का कहना है कि पैसे और टेक्नोलॉजी की मांग भारत जैसे देशों के लिए बड़ा महत्व रखती है और इस ड्राफ्ट में इस बारे में कुछ भी वादा नहीं दिखता। हमने सोलर और विंड पावर के इतने बड़े टारगेट रखे हैं, लेकिन अमीर देश इसे हासिल करने में हमारी मदद के लिए कोई वादा नहीं कर रहे हैं। यहां पेरिस में गुरुवार और शुक्रवार का दिन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपनी-अपनी मांगों को लेकर काफी खींचतान होगी।
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