ढाका:
बांग्लादेश में एक ऐतिहासिक फैसले में उच्च न्यायालय ने देश की सबसे बड़ी कट्टरपंथी पार्टी जमान-ए-इस्लामी को गुरुवार को ‘अवैध’ घोषित करते हुए भविष्य में उसके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया।
इस फैसले के साथ कभी सबसे मजबूत रूढ़िवादी दल रहे जमात का भविष्य अधर में लटक गया है।
अदालत परिसर के बाहर कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवाई कर रही उच्च न्यायालय पैनल के मुख्य न्यायाधीश मोअज्जम हुसैन ने कहा, ‘अब इसे अवैध घोषित किया जाता है।’ न्यायमूर्ति हुसैन ने कहा, ‘बहुमत से यह व्यवस्था दी जाती है और चुनाव आयोग की ओर से जमात को दिए गए पंजीकरण को अवैध और निरस्त घोषित किया जाता है।’
यह फैसला इस्लामी पार्टी को वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में संभावित आम चुनावों में भाग लेने से रोक देगा।
न्यायमूर्ति हुसैन, न्यायमूर्ति एम इनायतुर रहीम तथा काजी रेजाउल हक की पीठ ने जमात के राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया।
बांग्लादेश तारिकात फेडरेशन के महासचिव रेजाउल हक चंदपुरी और 24 अन्य लोगों ने 25 मई, 2009 को याचिका दायर की थी। तारिकात एक ऐसा समूह है जो सूफी विचारधारा को मानता है कि और धर्म-निरपेक्षता को बढ़ावा देता है।
याचिका में इन लोगों ने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी एक धर्म आधारित राजनीतिक दल है और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता में विश्वास नहीं रखता।
‘द तारिकात फेडरेशन’ ने याचिका में दावा किया है कि ‘रिप्रेजंटेशन ऑफ पीपुल ऑर्डर (आरपीओ)’ कानून एक साम्प्रदायिक संगठन को बतौर राजनीतिक दल पंजीकरण कराने की अनुमति नहीं देता।
अटॉर्नी जनरल महबूबे आलम ने कहा कि फैसले का अर्थ है कि जमात अब आम चुनाव में हिस्सा लेने के योग्य नहीं रहा।
इस फैसले के साथ कभी सबसे मजबूत रूढ़िवादी दल रहे जमात का भविष्य अधर में लटक गया है।
अदालत परिसर के बाहर कड़ी सुरक्षा के बीच मामले की सुनवाई कर रही उच्च न्यायालय पैनल के मुख्य न्यायाधीश मोअज्जम हुसैन ने कहा, ‘अब इसे अवैध घोषित किया जाता है।’ न्यायमूर्ति हुसैन ने कहा, ‘बहुमत से यह व्यवस्था दी जाती है और चुनाव आयोग की ओर से जमात को दिए गए पंजीकरण को अवैध और निरस्त घोषित किया जाता है।’
यह फैसला इस्लामी पार्टी को वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में संभावित आम चुनावों में भाग लेने से रोक देगा।
न्यायमूर्ति हुसैन, न्यायमूर्ति एम इनायतुर रहीम तथा काजी रेजाउल हक की पीठ ने जमात के राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया।
बांग्लादेश तारिकात फेडरेशन के महासचिव रेजाउल हक चंदपुरी और 24 अन्य लोगों ने 25 मई, 2009 को याचिका दायर की थी। तारिकात एक ऐसा समूह है जो सूफी विचारधारा को मानता है कि और धर्म-निरपेक्षता को बढ़ावा देता है।
याचिका में इन लोगों ने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी एक धर्म आधारित राजनीतिक दल है और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता में विश्वास नहीं रखता।
‘द तारिकात फेडरेशन’ ने याचिका में दावा किया है कि ‘रिप्रेजंटेशन ऑफ पीपुल ऑर्डर (आरपीओ)’ कानून एक साम्प्रदायिक संगठन को बतौर राजनीतिक दल पंजीकरण कराने की अनुमति नहीं देता।
अटॉर्नी जनरल महबूबे आलम ने कहा कि फैसले का अर्थ है कि जमात अब आम चुनाव में हिस्सा लेने के योग्य नहीं रहा।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं