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This Article is From Jul 25, 2016

गर्भपात के मामले में महिला को मिली थी उम्रकैद की सजा, अमेरिकी अदालत ने बदला फैसला

गर्भपात के मामले में महिला को मिली थी उम्रकैद की सजा, अमेरिकी अदालत ने बदला फैसला
प्रतीकात्मक फोटो
न्यूयॉर्क: अमेरिका की एक अदालत ने भ्रूण हत्या के लिए भारतीय मूल की एक महिला को दोषी ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया है। इसके बारे में कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि यह फैसला मील का पत्थर साबित हो सकता है और भविष्य में गर्भपात और भ्रूण हत्या से जुड़े मामलों में इसकी भूमिका अहम हो सकती है।

इंडियाना की अपीलीय अदालत ने शुक्रवार को पूर्वी पटेल को दी गई 20 वर्ष की कारावास की सजा को पलट दिया। इंडियानापोलिस स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक जजों ने एकमत से कहा कि गर्भपात के मामले में राज्य भ्रूण हत्या कानून लागू नहीं होता।

इसने कानूनी विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि इस निर्णय से भविष्य में इंडियाना के अभियोजकों द्वारा गर्भवती महिलाओं के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाने के मामलों पर रोक लग जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने फैसले में अदालत ने इस बात पर बहुत अधिक भरोसा जताया है कि अभियोजकों ने अतीत में किस प्रकार भ्रूण हत्या कानून को लागू किया है। अदालत ने इसे अलग मामला बताया जिसमें एक गर्भवती महिला और उसका अजन्मा बच्चा हिंसा के पीड़ित हैं।

लापारवाही की चलेगी कार्रवाई
हालांकि फैसले में पटेल को किसी तरह के आपराधिक जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया गया है और उनको लापरवाही के हल्के मामले में दोषी ठहराया गया है। उन्हें अपने बच्चे को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का दोषी बताया गया है जो मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार जिंदा था और जन्म के बाद सांस ले रहा था। एक बाथरूम में लड़के को जन्म देने और परिवार के रेस्टोरेंटे के पीछे कचरे के डिब्बे में उसे डाल देने के बाद जब पटेल बहुत अधिक मात्रा में निकल रहे खून के उपचार के लिए एक स्थानीय अस्पताल में गयीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

अदालत में कहा गया कि उसने एक ऑनलाइन फार्मेसी से गर्भपात के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवा खरीदी। रिपोर्ट में अदालत के जिन दस्तावेजों का हवाला दिया गया है उसके अनुसार पटेल जो उस समय 32 वर्ष की थी, उन्होंने दवाएं ली क्योंकि उनके परिवार वालों को पता चला जायेगा कि एक विवाहित व्यक्ति के साथ संबंध के कारण वह गर्भवती हो गयी थी।

पहले दी गई थी 20 वर्ष की सजा
पटेल को पहले 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई थी और उस समय कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे मामले में किसी महिला को दी जाने वाली यह सबसे कड़ी सजा है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि फैसले में गैर-कानूनी तरीके से किए जाने वाले गर्भपात और भ्रूण हत्या के बीच के अंतर को समझाने के लिए कठोरतम भाषा का प्रयोग किया गया है।

इंडियाना की एक वकील केट जैक ने कहा, ‘‘अगर इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं दी जाती है तो मेरे ख्याल से इससे इंडियाना के अभियोजकों द्वारा गर्भवती महिलाओं पर भ्रूण हत्या के आरोप लगाए जाने के मामलों पर रोक लग जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकती कि यह मुद्दा 100 प्रतिशत खत्म हो जायेगा लेकिन मुझे लगता है कि इससे विराम लग जायेगा।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले को अब लापरवाही के हल्के आरोपों के साथ निचली अदालत को भेज दिया गया है जिसमें अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है।

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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