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Tax On Gold: सोना खरीदने या बेचने पर लगते हैं GST समेत कई तरह के टैक्स, यहां जानें डिटेल्स

क्या आपको पता है कि सोना खरीदने या बेचने पर कितना टैक्स (Tax on Gold While Buying or Selling) लगता है?. कुछ मामलों में आपको सोने की खरीद पर इनकम टैक्स (Income tax) भी देना होता है. चलिए इस पर लगने वाले टैक्स (Tax From Gold Earning) के बारे में विस्तार से जानते हैं.

Tax On Gold: सोना खरीदने या बेचने पर लगते हैं GST समेत कई तरह के टैक्स, यहां जानें डिटेल्स
Income Tax on Gold Purchase in India:फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश में सोने का आयात $46.14 बिलियन था, जो पिछले साल की तुलना में 33.34% ज्यादा है.
नई दिल्ली:

जब गोल्ड की बात आती है, तो हम जानते हैं कि सदियों से हमारी संस्कृति और परंपराओं में इसकी कितनी अहम भूमिका रही है. वहीं पिछले कुछ सालों से इसकी कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण लोग इसमें निवेश करना भी पसंद करते हैं. क्योंकि सोने में निवेश (Gold Investment) समय के साथ भरोसेमंद रिटर्न देता है. इसलिए जो निवेशक अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करना चाहते हैं उनके लिए यह निवेश का एक आकर्षक विकल्प है. यही वजह है कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश में सोने का आयात $46.14 बिलियन था, जो पिछले साल की तुलना में 33.34% ज्यादा है.

लेकिन क्या आपको पता है कि , सोना खरीदने या बेचने पर कितना टैक्स(Tax on Gold While Buying or Selling) लगता है?. कुछ मामलों में आपको सोने की खरीद पर इनकम टैक्स (Income tax) भी देना होता है. चलिए इस पर लगने वाले टैक्स (Tax From Gold Earning) के बारे में विस्तार से जानते हैं.

फिजिकल गोल्ड खरीदने पर टैक्स (Taxes on Physical Gold Purchase)

फिजिकल गोल्ड (physical gold) खरीदने या बेचने में ज्वेलरी, गोल्ड के बिस्कुट, सिक्के आदि शामिल होते हैं. भारतीय आयकर अधिनियम (Indian Income Tax Act) के मुताबिक, फिजिकल गोल्ड  बेचने पर 20% टैक्स लगता है, साथ ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 4% का सेस (cess) लगता है. इस तरह, गोल्ड पर ओवरऑल टैक्सेबल रेट 20.8% है. हालांकि, यह रेट शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (short-term capital gains)पर लागू नहीं होता है.

जहां तक फिजिकल गोल्ड की बात है तो कई दूसरी बातें भी हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना होगा:

1) कस्टम ड्यूटी (Custom Duty on Gold in India 2024)

सरकार इम्पोर्ट किए गए गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी या इम्पोर्ट ड्यूटी लगाती है. क्योंकि भारत की गोल्ड डिमांड का एक बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है, हमारी घरेलू सोने की खदानें इस मांग को पूरा नहीं कर पाती हैं. इम्पोर्टेड गोल्ड के अधिकांश हिस्से पर कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है. हाल ही में, भारत सरकार ने गोल्ड बार (Gold bars) पर कस्टम ड्यूटी 12.5% से घटाकर 10% कर दी है. GST के साथ मिलकर, फिजिकल गोल्ड पर फाइनल टैक्स 10% प्लस 3% GST हो जाता है.

2) एग्रीकल्चर  इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC)

भारत सरकार राष्ट्र के विकास के लिए AIDC कलेक्ट करती है. गोल्ड के इम्पोर्ट पर 5% AIDC लगाया जाता है. इम्पोर्ट ड्यूटी शुल्क, GST और AIDC को मिलाने पर गोल्ड पर कुल टैक्स 18% हो जाता है.

3) गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST Rate on Gold 2024)

GST (Goods and Service Tax) ज्वैलर्स या व्यापारियों द्वारा गोल्ड की बिक्री पर लगाया जाता है. फिजिकल गोल्ड की खरीद पर 3% GST लगाया जाता है. उदाहरण के तौर पर, 1 लाख रुपये  कीमत का गोल्ड इम्पोर्ट करने पर, 1,15,000 रुपये (इम्पोर्ट ड्यूटी और सेस जोड़ने के बाद) पर 3% GST लगाया जाएगा. यानी 3,450 रुपये जिससे कस्टमर के लिए गोल्ड की कीमत बढ़कर 1,18,450 रुपये हो जाएगी.

4) मेकिंग चार्ज और उस पर लगने वाला GST (GST on Making Charges)

हालांकि मेकिंग चार्ज, टैक्स के तौर पर शामिल नहीं है, यह चार्ज गोल्ड को सिक्कों या आभूषणों में ढालने पर लगाया जाता है, जिस पर एडिशनल GST लगता है.

5) सोर्स पर टैक्स डिडक्शन (TDS)

1 लाख रुपये से ज्यादा का फिजिकल गोल्ड खरीदने पर  1% का TDS लगाया जाता है. इस रकम को एनुअल टैक्स लायबिलिटी के अगेंस्ट एडजस्ट किया जा सकता है.

फिजिकल गोल्ड बेचने पर टैक्स

1) शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG)

STCG (Short-term Capital Gains Tax) तब लागू होता है जब गोल्ड खरीद के तीन साल के भीतर बेच दिया जाता है. यह गेन व्यक्ति की इनकम में जोड़ा जाता है और उसके इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगाया जाता है, उदाहरण के तौर पर, यदि कोई 30% स्लैब के अंतर्गत आता है, तो गेन अमाउंट (बिक्री की कीमत - खरीद की कीमत) पर 30% टैक्स लगाया जाएगा.

2) लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स  (LTCG)

खरीद के तीन साल बाद बेचे गए गोल्ड के फायदे पर LTCG 20% लगता है, जिसमें महंगाई को देखते हुए परचेज प्राइस को एडजस्ट करने के लिए इंडेक्सेशन बेनिफिट का इस्तेमाल किया जाता है.

3) ज्वेलरी एक्सचेंज पर GST  

गोल्ड ज्वेलरी (gold jewellery) के एक्सचेंज में टैक्सेशन से संबंधित बारीकियां शामिल होती हैं, इसलिए ट्रांजैक्शन के दौरान काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. समान मात्रा में गोल्ड बदलने पर GST नहीं लगता है. उदाहरण के तौर पर, 100 ग्राम ज्वेलरी को किसी दूसरी 100 ग्राम ज्वेलरी से एक्सचेंज करने पर कोई GST नहीं लगता है, चार्ज केवल मेकिंग चार्ज और उसे संबंधित टैक्स में अंतर के लिए लागू होता है.

डिजिटल गोल्ड पर टैक्स

डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) को लेकर पिछले कुछ सालों में लोगों का इंटरेस्ट काफी बढ़ा है. लेकिन बहुत सारे लोग अभी भी डिजिटल गोल्ड पर लगने  वाले टैक्स (Tax On Digital Gold) के बारे में ज्यादा नहीं जानते. डिजिटल गोल्ड पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है. सिर्फ अंतर खरीद के तरीके में है - कोई भी व्यक्ति डिजिटल गोल्ड ऑनलाइन खरीद सकता है.

डिजिटल गोल्ड पर कैपिटल गेन टैक्स

डिजिटल वॉल्ट में रखे डिजिटल गोल्ड को 3 साल के अंदर बेचे जाने पर इससे हुए मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स माना जाता है. यह कैपिटल गेन आपकी टोटल इनकम में जुड़ जाता है और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से इस गेन पर टैक्स लगता है. वहीं, 3 साल के बाद डिजिटल गोल्ड बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है. जिस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20% का टैक्स लगता है.

डिजिटल गोल्ड खरीदने पर GST

डिजिटल गोल्ड खरीदने पर फिजिकल गोल्ड की ही तरह 3% GST लगती है. यानी गूगल पे (Google Pay), पेटीएम (Paytm) और फोनपे (PhonePe) के जरिए जितनी बार भी आप डिजिटल गोल्ड खरीदेंगे, हर बार आपको GST देना होगा. वहीं अगर आप डिजिटल गोल्ड को ज्वैलरी में कन्वर्ट करते हैं तो उसपर मेकिंग चार्ज और डिलिवरी फीस लगती है.डिजिटल गोल्ड के लिए टैक्सेशन स्ट्रक्चर में निम्नलिखित शामिल हैं:

SGB (सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ) पर टैक्स

SGB गोल्ड में निवेश करने का एक बहुत बढ़िया तरीका है, खासकर उन लोगों के लिए जो इसमें तीन से आठ साल तक निवेश रखना चाहते हैं. हालांकि इसके इंटरेस्ट से हुई इनकम टैक्स के दायरे में आती है, LTCG से छूट और न्यूनतम GST लायबिलिटी SGB को फिजिकल गोल्ड की तुलना में निवेश का एक आकर्षक विकल्प बनाती है.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

यदि SGB खरीद के तीन साल के भीतर बेचे जाते हैं तो STCG लागू होता है.
इसे किसी व्यक्ति की इनकम में जोड़ा जाता है और उसके टैक्स स्लैब के आधार पर इस पर टैक्स लगाया जाता है.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG)

यदि SGB तीन साल के बाद  बेचे जाते हैं तो LTCG (Long-Term Capital Gain) लागू होता है.
इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% या इंडेक्सेशन के बिना 10% टैक्स लगाया जाता है.

SGB के टैक्स बेनिफिट

कोई GST या चार्ज नहीं: SGB को सिक्योरिटीज और डिजिटल एसेट माना जाता है, जिस पर GST लागू नहीं होता है.
मिनिमम GST लायबिलिटी: STT और ब्रोकरेज पर मैक्सिमम 0.75% GST लगती है.
कोई TDS नहीं: SGB के लिए सोर्स पर टैक्स डिडक्शन (TDS) लागू नहीं होता है.

इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स

इंटरेस्ट रेट: SGB 2.5% सालाना ब्याज दर प्रदान करते हैं.
टैक्स लायबिलिटी: ब्याज से होने वाले मुनाफे को आपकी इनकम में जोड़ा जाता है और आप पर लागू टैक्स स्लैब के मुताबिक इस पर टैक्स लगाया जाता है.

पेपर गोल्ड पर टैक्स

डिजिटल गोल्ड और फिजिकल गोल्ड के अलावा गोल्ड में निवेश करने का एक और तरीका है पेपर गोल्ड. आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को छोड़कर गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड की यूनिट रिडीम करने या बेचने पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है.
इसमें निवेश के तरीके: गोल्ड म्यूचुअल फंड और ETF

कैपिटल गेन पर टैक्स

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन  (LTCG): इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20.8%.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG): आपके इनकम स्लैब के मुताबिक टैक्स लगाया जाता है.
 

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