और हां, एक आखिरी नसीहत अच्युतानंदन जी के लिए... क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप मुख्यमंत्री नहीं होते, तो संदीप के घर पर आपके साथ ऐसा व्यवहार होता, जो लिखा भी न जा सके...
और हां, एक आखिरी नसीहत अच्युतानंदन जी के लिए... क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आप मुख्यमंत्री नहीं होते, तो संदीप के घर पर आपके साथ ऐसा व्यवहार होता, जो लिखा भी न जा सके...