Sitara Devi Google Doodle
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बदसूरत कह कर मां-बाप ने छोड़ा, बनी बॉलीवुड की पहली डांसर, कहलाई नृत्य सम्राज्ञी, मधुबाला, रेखा, काजोल को सिखाया डांस, पहचाना?
- Saturday February 1, 2025
- Written by: प्रियंका तिवारी
सितारा देवी का जीवन काफी संघर्ष भरा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक खूबसूरत न होने के कारण सितारा देवी के माता-पिता ने उन्हें घर में काम करने वाली कामवाली को दे दिया था. लेकिन बाद में कामवाली ने सितारा को वापस लौटा दिया.
- ndtv.in
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'कथक क्वीन' सितारा देवी को गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान
- Wednesday November 8, 2017
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
8 नवंबर को कथक क्वीन सितारा देवी का जन्मदिन है और ऐसे में उनका सम्मान गूगल डूडल के जरिए करिए तो यह भारत के लिए गौरव की बात है. इसके जरिए भारतीय संस्कृति और कला का भी सम्मान हो रहा है. बुधवार को गूगल ने 'डूडल' बनाकर सितारा देवी के 97वें जन्मदिवस पर उनको सम्मान दिया है. कथक नृत्यांगना के रूप में विख्यात सितारा देवी का चेहरा और नृत्य आंखों के सामने आ जाता है. सितारा देवी ने अपनी कला के माध्यम से सफलता का जो शिखर हासिल किया था, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष भी किया है. महज 16 साल की उम्र में उनका नृत्य देखकर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें 'कथक क्वीन' के खिताब से नवाजा था.
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बदसूरत कह कर मां-बाप ने छोड़ा, बनी बॉलीवुड की पहली डांसर, कहलाई नृत्य सम्राज्ञी, मधुबाला, रेखा, काजोल को सिखाया डांस, पहचाना?
- Saturday February 1, 2025
- Written by: प्रियंका तिवारी
सितारा देवी का जीवन काफी संघर्ष भरा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक खूबसूरत न होने के कारण सितारा देवी के माता-पिता ने उन्हें घर में काम करने वाली कामवाली को दे दिया था. लेकिन बाद में कामवाली ने सितारा को वापस लौटा दिया.
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'कथक क्वीन' सितारा देवी को गूगल ने डूडल बनाकर दिया सम्मान
- Wednesday November 8, 2017
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8 नवंबर को कथक क्वीन सितारा देवी का जन्मदिन है और ऐसे में उनका सम्मान गूगल डूडल के जरिए करिए तो यह भारत के लिए गौरव की बात है. इसके जरिए भारतीय संस्कृति और कला का भी सम्मान हो रहा है. बुधवार को गूगल ने 'डूडल' बनाकर सितारा देवी के 97वें जन्मदिवस पर उनको सम्मान दिया है. कथक नृत्यांगना के रूप में विख्यात सितारा देवी का चेहरा और नृत्य आंखों के सामने आ जाता है. सितारा देवी ने अपनी कला के माध्यम से सफलता का जो शिखर हासिल किया था, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष भी किया है. महज 16 साल की उम्र में उनका नृत्य देखकर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें 'कथक क्वीन' के खिताब से नवाजा था.
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