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Explainer: मोदी सरकार ने किसानों के सामने क्यों रखा फसलों के विविधीकरण का विकल्प...?
- Monday February 19, 2024
- Reported by: राजीव रंजन, Edited by: तिलकराज
किसान अगर फसलों के विविधीकरण की ओर यानि दलहन मक्का और कपास उगाता है, तो पांच साल तक सरकार NCCF और नेफेड के ज़रिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लेने का लिखित आश्वासन देगी. फसलों के विविधीकरण के ज़रिए सरकार किसानों को अच्छा मूल्य और खेती की लागत कम रखने का मौक़ा दे रही है.
- ndtv.in
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"इस नई किस्म की फसल से किसानों को नहीं होगी पराली जलाने की जरूरत": पूसा IARI साइंटिस्ट
- Thursday November 9, 2023
- Reported by: परिमल कुमार, Edited by: स्वेता गुप्ता
डॉ. राजबीर ने कहा कि पराली न जलाने का बड़ा फायदा यह है कि अगर उसको खेत में ही रखें तो खेत की पैदावार क्षमता बनी रहती है. दूसरी बात यह है कि गेंहू की पैदावार हमेशा अच्छी रहती है.
- ndtv.in
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खरीफ सत्र में धान की बुवाई 21 जुलाई तक तीन प्रतिशत बढ़ी, दलहन का रकबा 10 प्रतिशत घटा
- Monday July 24, 2023
- Reported by: भाषा
चालू खरीफ सत्र (ग्रीष्मकालीन बुवाई) में 21 जुलाई तक धान की बुवाई का क्षेत्रफल तीन प्रतिशत बढ़कर 180.2 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि दलहन का रकबा 10 प्रतिशत घटकर 85.85 लाख हेक्टेयर रह गया है. कृषि मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले साल इसी अवधि में धान का रकबा 175.47 लाख हेक्टेयर और दलहन का रकबा 95.22 लाख हेक्टेयर था.
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Explainer: मोदी सरकार ने किसानों के सामने क्यों रखा फसलों के विविधीकरण का विकल्प...?
- Monday February 19, 2024
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किसान अगर फसलों के विविधीकरण की ओर यानि दलहन मक्का और कपास उगाता है, तो पांच साल तक सरकार NCCF और नेफेड के ज़रिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लेने का लिखित आश्वासन देगी. फसलों के विविधीकरण के ज़रिए सरकार किसानों को अच्छा मूल्य और खेती की लागत कम रखने का मौक़ा दे रही है.
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"इस नई किस्म की फसल से किसानों को नहीं होगी पराली जलाने की जरूरत": पूसा IARI साइंटिस्ट
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डॉ. राजबीर ने कहा कि पराली न जलाने का बड़ा फायदा यह है कि अगर उसको खेत में ही रखें तो खेत की पैदावार क्षमता बनी रहती है. दूसरी बात यह है कि गेंहू की पैदावार हमेशा अच्छी रहती है.
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खरीफ सत्र में धान की बुवाई 21 जुलाई तक तीन प्रतिशत बढ़ी, दलहन का रकबा 10 प्रतिशत घटा
- Monday July 24, 2023
- Reported by: भाषा
चालू खरीफ सत्र (ग्रीष्मकालीन बुवाई) में 21 जुलाई तक धान की बुवाई का क्षेत्रफल तीन प्रतिशत बढ़कर 180.2 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि दलहन का रकबा 10 प्रतिशत घटकर 85.85 लाख हेक्टेयर रह गया है. कृषि मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. पिछले साल इसी अवधि में धान का रकबा 175.47 लाख हेक्टेयर और दलहन का रकबा 95.22 लाख हेक्टेयर था.
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