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Ravish Kumar On Corona India

'Ravish Kumar On Corona India' - 3 News Result(s)
  • लखनऊ बन गया है लाशनऊ, धर्म का नशा बेचने वाले लोगों को मरता छोड़ गए

    लखनऊ बन गया है लाशनऊ, धर्म का नशा बेचने वाले लोगों को मरता छोड़ गए

    भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है. विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है. जिसकी पहचान बिना आक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है. अख़बार लिख रहे होंगे कि  दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही है. आम और ख़ास हर तरह के लोगों को अस्पताल के बाहर और भीतर तड़पता छोड़ दिया है. शनिवार को लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीवास्तव ट्विटर पर मदद मांगते रहे. बताते रहे कि आक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है. कोई मदद नहीं पहुंची और विनय श्रीवास्तव की मौत हो गई.

  • धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है

    धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है

    सरकार के पास एक साल का वक्त था. अपनी कमज़ोरियों को दूर करने का. उसे पता था कि कोविड की लहर फिर लौटेगी लेकिन उसे प्रोपेगैंडा में मज़ा आता है. दुनिया में नाम कमाने की बीमारी हो गई है. दुनिया हंस रही है. चार महीने के भीतर हम डाक्टरों और हेल्थ वर्करों को भूल गए.

  • क्या इस समय और समाज को एक नई भाषा की ज़रूरत नहीं...?

    क्या इस समय और समाज को एक नई भाषा की ज़रूरत नहीं...?

    हमारे आस-पास के लोग आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. कोई पुराना राग-द्वेष हो तो उसे भी भूल जाइये. जब सबका ही चला गया हो तो किस बात का ग़म औऱ किस बात का रंज. किस बात का हिसाब या किस बात का फ़ैसला. माफी मांग लीजिए. माफी कर दीजिए. 

'Ravish Kumar On Corona India' - 3 News Result(s)
  • लखनऊ बन गया है लाशनऊ, धर्म का नशा बेचने वाले लोगों को मरता छोड़ गए

    लखनऊ बन गया है लाशनऊ, धर्म का नशा बेचने वाले लोगों को मरता छोड़ गए

    भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है. विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है. जिसकी पहचान बिना आक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है. अख़बार लिख रहे होंगे कि  दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही है. आम और ख़ास हर तरह के लोगों को अस्पताल के बाहर और भीतर तड़पता छोड़ दिया है. शनिवार को लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीवास्तव ट्विटर पर मदद मांगते रहे. बताते रहे कि आक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है. कोई मदद नहीं पहुंची और विनय श्रीवास्तव की मौत हो गई.

  • धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है

    धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है

    सरकार के पास एक साल का वक्त था. अपनी कमज़ोरियों को दूर करने का. उसे पता था कि कोविड की लहर फिर लौटेगी लेकिन उसे प्रोपेगैंडा में मज़ा आता है. दुनिया में नाम कमाने की बीमारी हो गई है. दुनिया हंस रही है. चार महीने के भीतर हम डाक्टरों और हेल्थ वर्करों को भूल गए.

  • क्या इस समय और समाज को एक नई भाषा की ज़रूरत नहीं...?

    क्या इस समय और समाज को एक नई भाषा की ज़रूरत नहीं...?

    हमारे आस-पास के लोग आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. कोई पुराना राग-द्वेष हो तो उसे भी भूल जाइये. जब सबका ही चला गया हो तो किस बात का ग़म औऱ किस बात का रंज. किस बात का हिसाब या किस बात का फ़ैसला. माफी मांग लीजिए. माफी कर दीजिए.