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Rajasthan Politics: विधायकों के 'राजस्थानी भाषा' में शपथ लेने से छिड़ी बहस, जानिए कैसे मिलेगी संवैधानिक मान्यता?
- Friday December 22, 2023
- Written by: इकबाल खान
राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने की मांग कई सालों से चल रही है. इसके लिए समय-समय पर आंदोलन भी हुए हैं. पहली बार साल 2003 में राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, लेकिन राजस्थानी आधिकारिक भाषा नहीं बन पाई.
- ndtv.in
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राजस्थान के सियासी संकट के बीच 6 प्वाइंट्स में जानिए- क्या है विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव?
- Friday August 14, 2020
- Edited by: तूलिका कुशवाहा
राजस्थान कांग्रेस में चली महीने भर की खींचतान के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार से शुरू हो रही विधानसभा के विशेष सत्र में भारतीय जनता पार्टी की चुनौती का सामना कर रहे हैं. बीजेपी ने गुरुवार को घोषणा की थी कि पार्टी गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगी. यानी अब गहलोत को सदन में अपना बहुमत साबित करना होगा. गहलोत शुरू से ही दावा करते रहे हैं कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. यहां तक कि सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के बगावत कर देने के बावजूद भी वो गवर्नर से इस दावे के साथ मिले थे कि उनके पास बहुमत है. लेकिन ये तो तय था कि विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है.
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Rajasthan Politics: विधायकों के 'राजस्थानी भाषा' में शपथ लेने से छिड़ी बहस, जानिए कैसे मिलेगी संवैधानिक मान्यता?
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राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने की मांग कई सालों से चल रही है. इसके लिए समय-समय पर आंदोलन भी हुए हैं. पहली बार साल 2003 में राज्य विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था, लेकिन राजस्थानी आधिकारिक भाषा नहीं बन पाई.
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राजस्थान के सियासी संकट के बीच 6 प्वाइंट्स में जानिए- क्या है विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव?
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राजस्थान कांग्रेस में चली महीने भर की खींचतान के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार से शुरू हो रही विधानसभा के विशेष सत्र में भारतीय जनता पार्टी की चुनौती का सामना कर रहे हैं. बीजेपी ने गुरुवार को घोषणा की थी कि पार्टी गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगी. यानी अब गहलोत को सदन में अपना बहुमत साबित करना होगा. गहलोत शुरू से ही दावा करते रहे हैं कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है. यहां तक कि सचिन पायलट सहित 19 विधायकों के बगावत कर देने के बावजूद भी वो गवर्नर से इस दावे के साथ मिले थे कि उनके पास बहुमत है. लेकिन ये तो तय था कि विधानसभा सत्र शुरू होने के बाद उन्हें अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है.
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