Raghuvir Sahai Kavita
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'Raghuvir Sahai Kavita' - 1 News Result(s)
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जब शाम हो जाती है तब ख़त्म होता है मेरा काम जब काम ख़त्म होता है... तब शाम ख़त्म होती है
- Friday July 25, 2025
- Written by: सुभाषिनी त्रिपाठी
आज हम आपको साहित्य में रघुवीर सहाय संचयिता पुस्तक से उनकी चर्चित कविताओं में से एक 'कोई एक और मतदाता' की पंक्तियां लेकर आए हैं, जो राजनैतिक दलों के लिए आम आदमी केवल एक वोटर मात्र है, जिसकी कीमत उसे कई बार अपनी जान पर खेलकर भी चुकानी पड़ती है.
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ndtv.in
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जब शाम हो जाती है तब ख़त्म होता है मेरा काम जब काम ख़त्म होता है... तब शाम ख़त्म होती है
- Friday July 25, 2025
- Written by: सुभाषिनी त्रिपाठी
आज हम आपको साहित्य में रघुवीर सहाय संचयिता पुस्तक से उनकी चर्चित कविताओं में से एक 'कोई एक और मतदाता' की पंक्तियां लेकर आए हैं, जो राजनैतिक दलों के लिए आम आदमी केवल एक वोटर मात्र है, जिसकी कीमत उसे कई बार अपनी जान पर खेलकर भी चुकानी पड़ती है.
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