Prabhash Joshi
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"पर्यावरण का अनुपम, अनुपम मिश्र है, उसकी 'पुण्याई' पर हम जैसे जी रहे हैं"
- Wednesday December 21, 2016
- प्रभाष जोशी
प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनुपम मिश्र पर यह लेख वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने 'अपने पर्यावरण का यह अनुपम आदमी' शीर्षक से 1993 में 'जनसत्ता' में लिखा था. इस आलेख को आज 'सत्याग्रह' ने प्रकाशित किया है. हम अपने पाठकों के लिए इसे 'सत्याग्रह' की अनुमति से प्रकाशित कर रहे हैं.
- ndtv.in
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जीवित आदर्श का साथ अचानक छूट जाना...
- Tuesday December 20, 2016
- सुधीर जैन
उनके लिए कोई उपमा नहीं सोची जा सकती. वह वाकई अनुपम थे. उनसे मेरी पहचान प्रभाष जोशी ने करवाई थी. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के लिए भारतीय जल प्रबंधन पर शोध के सिलसिले में अनुपम जी से पहली मुलाकात हुई, और फिर उनसे राग हो गया.
- ndtv.in
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रवीश कुमार की कलम से : महानायक के दौर में लोकनायक के सवाल
- Saturday October 11, 2014
- Ravish Kumar
लोकनायक जयप्रकाश नारायण उस सिताब दियारा में भी नहीं हैं जहां पैदा हुए और उस राजनीति के केंद्र में भी नहीं हैं जिसे बदलने का एक ज़ोरदार प्रयास किया है। जेपी अचानक किसी पुराने ब्रांड की तरह हमारी राजनीति में पुनर्जीवित होकर उभरते रहते हैं और ग़ायब हो जाते हैं।
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"पर्यावरण का अनुपम, अनुपम मिश्र है, उसकी 'पुण्याई' पर हम जैसे जी रहे हैं"
- Wednesday December 21, 2016
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प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनुपम मिश्र पर यह लेख वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने 'अपने पर्यावरण का यह अनुपम आदमी' शीर्षक से 1993 में 'जनसत्ता' में लिखा था. इस आलेख को आज 'सत्याग्रह' ने प्रकाशित किया है. हम अपने पाठकों के लिए इसे 'सत्याग्रह' की अनुमति से प्रकाशित कर रहे हैं.
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- Tuesday December 20, 2016
- सुधीर जैन
उनके लिए कोई उपमा नहीं सोची जा सकती. वह वाकई अनुपम थे. उनसे मेरी पहचान प्रभाष जोशी ने करवाई थी. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के लिए भारतीय जल प्रबंधन पर शोध के सिलसिले में अनुपम जी से पहली मुलाकात हुई, और फिर उनसे राग हो गया.
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- Saturday October 11, 2014
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण उस सिताब दियारा में भी नहीं हैं जहां पैदा हुए और उस राजनीति के केंद्र में भी नहीं हैं जिसे बदलने का एक ज़ोरदार प्रयास किया है। जेपी अचानक किसी पुराने ब्रांड की तरह हमारी राजनीति में पुनर्जीवित होकर उभरते रहते हैं और ग़ायब हो जाते हैं।
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