Nirmala Jain
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"ये बीजेपी का पैसा नहीं": कानपुर के कारोबारी के घर से जब्त काले धन पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं
- Friday December 31, 2021
- Reported by: प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया
आयकर विभाग ने कदम उठाने लायक खुफिया जानकारी के आधार पर कन्नौज से समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य समेत उत्तर प्रदेश में छापे मारे.
- ndtv.in
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बजट और दृष्टिपत्र का फर्क...?
- Tuesday July 9, 2019
- सुधीर जैन
इस बजट ने वाकई चक्कर में डाल दिया. विश्लेषक तैयार थे कि इस दस्तावेज की बारीकियां समझकर सरल भाषा में सबको बताएंगे, लेकिन बजट का रूप आमदनी खर्चे के लेखे-जोखे की बजाय दृष्टिपत्र जैसा दिखाई दिया. यह दस्तावेज इच्छापूर्ण सोच का लंबा-चौड़ा विवरण बनकर रह गया. बेशक बड़े सपनों का भी अपना महत्व है. आर्थिक मुश्किल के दौर में 'फील गुड' की भी अहमियत होती है, लेकिन बजट में सपनों या बहुत दूर की दृष्टि का तुक बैठता नहीं है. पारंपरिक अर्थों में यह दस्तावेज देश के लिए एक साल की अवधि में आमदनी और खर्चों का लेखा-जोखा भर होता है. हां, इतनी गुंजाइश हमेशा रही है कि इस दस्तावेज में कोई यह भी बताता चले कि अगले साल फलां काम पर इसलिए ज्यादा खर्च किया जा रहा है, क्योंकि ऐसा करना आने वाले सालों में देश के लिए हितकर होगा.
- ndtv.in
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जमाने में हम : दिल्ली का साहित्य जगत और निर्मला जैन के संघर्ष की कथा
- Saturday January 14, 2017
- सूर्यकांत पाठक
दिल्ली का हिन्दी साहित्य जगत और राजधानी के विश्वविद्यालयों का हिन्दी शिक्षण जगत बीती सदी के उत्तरार्ध्द में कैसे बदलता गया, साहित्य जगत में किस तरह की राजनीति चलती रही और इसके समानांतर किस तरह रचनाकर्म, शोध जैसे कार्य होते रहे...यह सब गहराई से समझने के लिए निर्मला जैन की कृति 'जमाने में हम' बड़ी उपयोगी है. राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित यह कृति निर्मला जैन की आत्मकथा है.
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आयकर विभाग ने कदम उठाने लायक खुफिया जानकारी के आधार पर कन्नौज से समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य समेत उत्तर प्रदेश में छापे मारे.
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- Tuesday July 9, 2019
- सुधीर जैन
इस बजट ने वाकई चक्कर में डाल दिया. विश्लेषक तैयार थे कि इस दस्तावेज की बारीकियां समझकर सरल भाषा में सबको बताएंगे, लेकिन बजट का रूप आमदनी खर्चे के लेखे-जोखे की बजाय दृष्टिपत्र जैसा दिखाई दिया. यह दस्तावेज इच्छापूर्ण सोच का लंबा-चौड़ा विवरण बनकर रह गया. बेशक बड़े सपनों का भी अपना महत्व है. आर्थिक मुश्किल के दौर में 'फील गुड' की भी अहमियत होती है, लेकिन बजट में सपनों या बहुत दूर की दृष्टि का तुक बैठता नहीं है. पारंपरिक अर्थों में यह दस्तावेज देश के लिए एक साल की अवधि में आमदनी और खर्चों का लेखा-जोखा भर होता है. हां, इतनी गुंजाइश हमेशा रही है कि इस दस्तावेज में कोई यह भी बताता चले कि अगले साल फलां काम पर इसलिए ज्यादा खर्च किया जा रहा है, क्योंकि ऐसा करना आने वाले सालों में देश के लिए हितकर होगा.
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जमाने में हम : दिल्ली का साहित्य जगत और निर्मला जैन के संघर्ष की कथा
- Saturday January 14, 2017
- सूर्यकांत पाठक
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