विज्ञापन

Migrating Laborers

'Migrating Laborers' - 3 News Result(s)
  • पलायन का दर्द : बिहार के सहरसा जंक्शन पर मजदूरों की 'बाढ़', ट्रेनों की तादाद बहुत कम

    पलायन का दर्द : बिहार के सहरसा जंक्शन पर मजदूरों की 'बाढ़', ट्रेनों की तादाद बहुत कम

    यह मान लेना ही सही है कि पलायन (Migration) बिहार (Bihar) के लोगों की नियति बन चुका है. जनसंख्या के हिसाब से यहां न तो उद्योग-धंधे हैं और न ही दूसरा कोई रोजगार. यहां के मजदूर (Laborers) दूसरे प्रदेशों को समृद्ध बनाने में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका खुद का जीवन सुख-समृद्धि से कोसों दूर है. खासकर कोसी नदी के तट पर बसा सहरसा मजदूरों के पलायन का केंद्र बनकर रह गया है. यहां सहरसा के अलावा मधेपुरा, सुपौल, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और किशनगंज तक के मजदूर दिल्ली और पंजाब जाने के लिए ट्रेन (Trains) पकड़ने आते हैं.

  • लॉकडाउन लगने की आशंका में दिल्ली और हरियाणा से मजदूरों का पलायन

    लॉकडाउन लगने की आशंका में दिल्ली और हरियाणा से मजदूरों का पलायन

    Coronavirus: दिल्ली और एनसीआर (Delhi NCR) में भले ही लॉकडाउन (Lockdown) नहीं हुआ हो लेकिन लॉकडाउन की आशंका के चलते दिल्ली और हरियाणा से मजदूर अपनी पूरी गृहस्थी लेकर अपने घर जा रहे हैं. दिल्ली के सराय काले ख़ां पर फिर से मज़दूरों का हुजूम इकट्ठा है. महिलाओं के सिर पर उनकी गृहस्थी और धूप में तपते बच्चे. ये बीते साल के लॉकडाउन के बाद पलायन की याद दिलाने वाली तस्वीरें हैं.

  • दिल्ली-एनसीआर से उत्तर प्रदेश आने वाले लोगों के लिए यूपी सरकार ने किया 200 बसों का इंतजाम

    दिल्ली-एनसीआर से उत्तर प्रदेश आने वाले लोगों के लिए यूपी सरकार ने किया 200 बसों का इंतजाम

    यूपी सरकार ने दिल्ली-एनसीआर आ रहे पैदल आ रहे लोगों के लिए 200 बसों का इंतजाम किया है. नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटों में ये बसें चलाई जाएंगी. गौरतलब है कि दिल्ली ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर हजारों की संख्या में मज़दूर बैठे हुए हैं,यूपी पुलिस ने इन्हें रोका हुआ है. इनसे कहा गया है कि इनके लिए बसों की व्यवस्था की जा रही है और खाना भी आएगा. गौरतलब है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद पूरे देश में दिहाड़ी मजदूर और कामकागों और छोटी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि हजारों की संख्या में लोग अपने घरों की ओर पैदल भी जा रहे हैं. इन लोगों के लिए 1000 या 500 किलोमीटर की दूरी भी छोटी लग रही है. कई लोगों का कहना है कि काम न होने की वजह से जेब में पैसा नहीं है और खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा है. वहीं बीमारी के बारे में कहना है कि जो भी होगा घर परिवार के साथ झेल लिया जाएगा.

'Migrating Laborers' - 3 News Result(s)
  • पलायन का दर्द : बिहार के सहरसा जंक्शन पर मजदूरों की 'बाढ़', ट्रेनों की तादाद बहुत कम

    पलायन का दर्द : बिहार के सहरसा जंक्शन पर मजदूरों की 'बाढ़', ट्रेनों की तादाद बहुत कम

    यह मान लेना ही सही है कि पलायन (Migration) बिहार (Bihar) के लोगों की नियति बन चुका है. जनसंख्या के हिसाब से यहां न तो उद्योग-धंधे हैं और न ही दूसरा कोई रोजगार. यहां के मजदूर (Laborers) दूसरे प्रदेशों को समृद्ध बनाने में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका खुद का जीवन सुख-समृद्धि से कोसों दूर है. खासकर कोसी नदी के तट पर बसा सहरसा मजदूरों के पलायन का केंद्र बनकर रह गया है. यहां सहरसा के अलावा मधेपुरा, सुपौल, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और किशनगंज तक के मजदूर दिल्ली और पंजाब जाने के लिए ट्रेन (Trains) पकड़ने आते हैं.

  • लॉकडाउन लगने की आशंका में दिल्ली और हरियाणा से मजदूरों का पलायन

    लॉकडाउन लगने की आशंका में दिल्ली और हरियाणा से मजदूरों का पलायन

    Coronavirus: दिल्ली और एनसीआर (Delhi NCR) में भले ही लॉकडाउन (Lockdown) नहीं हुआ हो लेकिन लॉकडाउन की आशंका के चलते दिल्ली और हरियाणा से मजदूर अपनी पूरी गृहस्थी लेकर अपने घर जा रहे हैं. दिल्ली के सराय काले ख़ां पर फिर से मज़दूरों का हुजूम इकट्ठा है. महिलाओं के सिर पर उनकी गृहस्थी और धूप में तपते बच्चे. ये बीते साल के लॉकडाउन के बाद पलायन की याद दिलाने वाली तस्वीरें हैं.

  • दिल्ली-एनसीआर से उत्तर प्रदेश आने वाले लोगों के लिए यूपी सरकार ने किया 200 बसों का इंतजाम

    दिल्ली-एनसीआर से उत्तर प्रदेश आने वाले लोगों के लिए यूपी सरकार ने किया 200 बसों का इंतजाम

    यूपी सरकार ने दिल्ली-एनसीआर आ रहे पैदल आ रहे लोगों के लिए 200 बसों का इंतजाम किया है. नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटों में ये बसें चलाई जाएंगी. गौरतलब है कि दिल्ली ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर हजारों की संख्या में मज़दूर बैठे हुए हैं,यूपी पुलिस ने इन्हें रोका हुआ है. इनसे कहा गया है कि इनके लिए बसों की व्यवस्था की जा रही है और खाना भी आएगा. गौरतलब है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद पूरे देश में दिहाड़ी मजदूर और कामकागों और छोटी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि हजारों की संख्या में लोग अपने घरों की ओर पैदल भी जा रहे हैं. इन लोगों के लिए 1000 या 500 किलोमीटर की दूरी भी छोटी लग रही है. कई लोगों का कहना है कि काम न होने की वजह से जेब में पैसा नहीं है और खाने के लिए भी कुछ नहीं बचा है. वहीं बीमारी के बारे में कहना है कि जो भी होगा घर परिवार के साथ झेल लिया जाएगा.