Marxism
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यह कम्युनिस्ट होने की तोहमत कैसी है?
- Thursday June 2, 2022
- प्रियदर्शन
आप सरकार का विरोध करें तब भी वामपंथी हैं, पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम का सवाल उठाएं, तब भी वामपंथी हैं, सांप्रदायिकता की निंदा करें तब भी वामपंथी हैं, मानवाधिकार का सवाल उठाएं, तब भी वामपंथी हैं, हिंसा का विरोध करें तब भी वामपंथी हैं और नक्सलियों के नाम पर गांववालों के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ बोलें, तब तो पक्के वामपंथी हैं. यहां तक कि बुकर सम्मान प्राप्त लेखिका के समर्थन में लिखना भी वामपंथ है, एक प्रगतिशील लेखिका को बुकर दिया जाना भी वामपंथ की निशानी है और अमेरिका में बंदूक संस्कृति की निंदा करना भी वामपंथ ही है.
- ndtv.in
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एक विस्मृत विचारक और चौथी औद्योगिक क्रांति
- Monday December 10, 2018
- डॉ विजय अग्रवाल
अब, जबकि वर्ष 2018 अपने अंत के करीब है, मन में मौजूद एक विचित्र किस्म के खालीपन की चुभन का एहसास निरंतर तीखा होता जा रहा है. दिमाग इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की जद्दोजहद में कुछ ज्यादा ही बेचैन है कि क्या सचमुच में मानव जाति की सामूहिक स्मृति इतनी अधिक कमजोर है कि वह डेढ़-दो सौ साल पहले की ऐसी बातों को अपनी दिमागी स्लेट से ऐसे मिटा दे, मानो कि उसका अस्तित्व कभी रहा ही न हो. बावजूद इसके कि वह घटना, वह व्यक्ति ऐसा क्रांतिकारी हो कि उसके बाद अभी तक उसका कोई भी सानी न हो.
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यह कम्युनिस्ट होने की तोहमत कैसी है?
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आप सरकार का विरोध करें तब भी वामपंथी हैं, पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दाम का सवाल उठाएं, तब भी वामपंथी हैं, सांप्रदायिकता की निंदा करें तब भी वामपंथी हैं, मानवाधिकार का सवाल उठाएं, तब भी वामपंथी हैं, हिंसा का विरोध करें तब भी वामपंथी हैं और नक्सलियों के नाम पर गांववालों के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ बोलें, तब तो पक्के वामपंथी हैं. यहां तक कि बुकर सम्मान प्राप्त लेखिका के समर्थन में लिखना भी वामपंथ है, एक प्रगतिशील लेखिका को बुकर दिया जाना भी वामपंथ की निशानी है और अमेरिका में बंदूक संस्कृति की निंदा करना भी वामपंथ ही है.
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एक विस्मृत विचारक और चौथी औद्योगिक क्रांति
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अब, जबकि वर्ष 2018 अपने अंत के करीब है, मन में मौजूद एक विचित्र किस्म के खालीपन की चुभन का एहसास निरंतर तीखा होता जा रहा है. दिमाग इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की जद्दोजहद में कुछ ज्यादा ही बेचैन है कि क्या सचमुच में मानव जाति की सामूहिक स्मृति इतनी अधिक कमजोर है कि वह डेढ़-दो सौ साल पहले की ऐसी बातों को अपनी दिमागी स्लेट से ऐसे मिटा दे, मानो कि उसका अस्तित्व कभी रहा ही न हो. बावजूद इसके कि वह घटना, वह व्यक्ति ऐसा क्रांतिकारी हो कि उसके बाद अभी तक उसका कोई भी सानी न हो.
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