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किताब-विताब : 'जग दर्शन का मेला', एक छूटती हुई विधा की ज़रूरी याद
- Friday January 26, 2018
- प्रियदर्शन
शिवरतन थानवी की यह किताब 'जग दर्शन का मेला' अलग-अलग छिटपुट समयों में लिखी गई उनकी डायरियों और टिप्पणियों से बनती हैं. इन टिप्पणियों के बीच हमें राजस्थान की शैक्षिक पहल के सूत्र भी मिलते हैं और उसके सामाजिक पर्यावरण के भी. शिवरतन थानवी बीच-बीच में साहित्यिक कृतियों पर भी टिप्पणी करते चलते हैं, व्यक्तित्वों पर भी और आयोजनों पर भी.
- ndtv.in
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पुस्तक समीक्षा : तमन्ना तुम अब कहां हो- हर क्षण गुजरतीं अंतहीन कहानियां
- Wednesday March 1, 2017
- सूर्यकांत पाठक
निधीश त्यागी का कथा संग्रह (हालांकि यह सिर्फ इतना नहीं) ‘तमन्ना तुम अब कहां हो’ 2013 में पहली बार प्रकाशित हुआ. तब से यह लगातार चर्चा में रहा. इसमें प्रेम कथाएं हैं, पर आम प्रचलित प्रेम कथाओं की तरह नहीं. यह सुखांतकों या दुखांतकों की तरह भी नहीं हैं. यह तो आम जीवन में रोज-ब-रोज कहीं से शुरू होने और कहीं छूट जाने वालीं अनुभूतियां हैं. यह कहना भी शायद कमतर होगा कि यह सिर्फ और सिर्फ प्रेम कथाएं हैं, इसमें प्यार से इतर आकांक्षाएं भी हैं, जीवन के विविध रंग हैं.
- ndtv.in
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पीएचडी छात्रों को स्काइप पर मौखिक परीक्षा की अनुमति, डीयू ने दी सुविधा
- Sunday August 2, 2015
- Reported by Bhasha
दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले विद्यार्थी अब अपनी मौखिक परीक्षा स्काइप या वीडियो कांफ्रेसिंग के किसी अन्य साधन से दे सकते हैं।
- ndtv.in
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किताब-विताब : 'जग दर्शन का मेला', एक छूटती हुई विधा की ज़रूरी याद
- Friday January 26, 2018
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शिवरतन थानवी की यह किताब 'जग दर्शन का मेला' अलग-अलग छिटपुट समयों में लिखी गई उनकी डायरियों और टिप्पणियों से बनती हैं. इन टिप्पणियों के बीच हमें राजस्थान की शैक्षिक पहल के सूत्र भी मिलते हैं और उसके सामाजिक पर्यावरण के भी. शिवरतन थानवी बीच-बीच में साहित्यिक कृतियों पर भी टिप्पणी करते चलते हैं, व्यक्तित्वों पर भी और आयोजनों पर भी.
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- Wednesday March 1, 2017
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निधीश त्यागी का कथा संग्रह (हालांकि यह सिर्फ इतना नहीं) ‘तमन्ना तुम अब कहां हो’ 2013 में पहली बार प्रकाशित हुआ. तब से यह लगातार चर्चा में रहा. इसमें प्रेम कथाएं हैं, पर आम प्रचलित प्रेम कथाओं की तरह नहीं. यह सुखांतकों या दुखांतकों की तरह भी नहीं हैं. यह तो आम जीवन में रोज-ब-रोज कहीं से शुरू होने और कहीं छूट जाने वालीं अनुभूतियां हैं. यह कहना भी शायद कमतर होगा कि यह सिर्फ और सिर्फ प्रेम कथाएं हैं, इसमें प्यार से इतर आकांक्षाएं भी हैं, जीवन के विविध रंग हैं.
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