Krishna Baldev Vaid
- सब
- ख़बरें
-
श्रद्धांजलि : वैद उर्फ जाएं तो जाएं कहां?
- Friday February 7, 2020
- प्रियदर्शन
'विमल उर्फ़ जाएं तो जाएं कहां' कृष्ण बलदेव वैद के उन उपन्यासों में है जिनके शीर्षक को सबसे ज़्यादा चर्चा मिली. लेकिन 'जाएं तो जाएं कहां' उनके लिए बस एक किताब का नाम नहीं था शायद अपने होने की वह कशमकश थी, वह कैफ़ियत ढूंढने की कोशिश थी जिससे वे ताउम्र उबर नहीं पाए. शायद 'जाएं तो जाएं कहां' का यह सवाल उनके लिए कोई आध्यात्मिक सवाल नहीं था. उनके लिए वह व्यक्तिगत चुनाव का सवाल भी नहीं था. वह उनके लिए एक लेखकीय सवाल था जिसका वास्ता जितना अस्तित्ववादी व्यााख्याओं से था, उससे ज़्यादा निजी और सामाजिक के बीच, व्यक्तिगत और सार्वजनिक के बीच के उस द्वंद्व से, जिसमें आप किसी न किसी पहचान से ख़ुद को जोड़ने को मजबूर या अभिशप्त पाते हैं. लेखक ऐसे हर मौकों पर ख़ुद को अकेला पाता है- पूछता हुआ- जाएं तो जाएं कहां.
- ndtv.in
-
श्रद्धांजलि : वैद उर्फ जाएं तो जाएं कहां?
- Friday February 7, 2020
- प्रियदर्शन
'विमल उर्फ़ जाएं तो जाएं कहां' कृष्ण बलदेव वैद के उन उपन्यासों में है जिनके शीर्षक को सबसे ज़्यादा चर्चा मिली. लेकिन 'जाएं तो जाएं कहां' उनके लिए बस एक किताब का नाम नहीं था शायद अपने होने की वह कशमकश थी, वह कैफ़ियत ढूंढने की कोशिश थी जिससे वे ताउम्र उबर नहीं पाए. शायद 'जाएं तो जाएं कहां' का यह सवाल उनके लिए कोई आध्यात्मिक सवाल नहीं था. उनके लिए वह व्यक्तिगत चुनाव का सवाल भी नहीं था. वह उनके लिए एक लेखकीय सवाल था जिसका वास्ता जितना अस्तित्ववादी व्यााख्याओं से था, उससे ज़्यादा निजी और सामाजिक के बीच, व्यक्तिगत और सार्वजनिक के बीच के उस द्वंद्व से, जिसमें आप किसी न किसी पहचान से ख़ुद को जोड़ने को मजबूर या अभिशप्त पाते हैं. लेखक ऐसे हर मौकों पर ख़ुद को अकेला पाता है- पूछता हुआ- जाएं तो जाएं कहां.
- ndtv.in