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Kolar Brothers

'Kolar Brothers' - 2 News Result(s)
  • गरीबों की मदद के लिए सामने आए दो भाई, खुद की 25 लाख की जमीन बेचकर भूखों को खिलाया खाना

    गरीबों की मदद के लिए सामने आए दो भाई, खुद की 25 लाख की जमीन बेचकर भूखों को खिलाया खाना

    कर्नाटक (Karnatka) के कोलार (Kolar) में रहने वाले 2 बिजनेसमैन भाईयों ने गरीबों की मदद के लिए जो तरीका निकाला है वह काबिलतारिफ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह दो मुस्लिम (Muslim) भाई ने गरीबों की मदद के लिए अपनी 25 लाख की जमीन बेच दी ताकि ज्यादा से ज्यादा गरीब और भूखे लोगों की मदद कर सके.

  • Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली

    Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली

    Karnataka Lockdown: कर्नाटक के कोलार के दो मुस्लिम भाईयों ने अपनी ज़मीन बेचकर 25 लाख रुपये इकट्ठे किए ताकि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद हो सके. बचपन में मां-बाप को खो चुके दोनों भाईयों के मुताबिक जब वे 5 साल की उम्र में कोलार में रहने आए तो हिंदू, सिख और मुसलमान, सभी ने सहारा दिया. उन्हें खाना खिलाया, जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. ऐसे में इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के मकसद से उन्होंने अपनी ज़मीन बेच दी.

'Kolar Brothers' - 2 News Result(s)
  • गरीबों की मदद के लिए सामने आए दो भाई, खुद की 25 लाख की जमीन बेचकर भूखों को खिलाया खाना

    गरीबों की मदद के लिए सामने आए दो भाई, खुद की 25 लाख की जमीन बेचकर भूखों को खिलाया खाना

    कर्नाटक (Karnatka) के कोलार (Kolar) में रहने वाले 2 बिजनेसमैन भाईयों ने गरीबों की मदद के लिए जो तरीका निकाला है वह काबिलतारिफ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह दो मुस्लिम (Muslim) भाई ने गरीबों की मदद के लिए अपनी 25 लाख की जमीन बेच दी ताकि ज्यादा से ज्यादा गरीब और भूखे लोगों की मदद कर सके.

  • Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली

    Lockdown: जरूरतमंदों की मदद के लिए इन दो भाईयों ने अपनी जमीन बेच डाली

    Karnataka Lockdown: कर्नाटक के कोलार के दो मुस्लिम भाईयों ने अपनी ज़मीन बेचकर 25 लाख रुपये इकट्ठे किए ताकि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद हो सके. बचपन में मां-बाप को खो चुके दोनों भाईयों के मुताबिक जब वे 5 साल की उम्र में कोलार में रहने आए तो हिंदू, सिख और मुसलमान, सभी ने सहारा दिया. उन्हें खाना खिलाया, जब तक वे अपने पैरों पर खड़े नहीं हो गए. ऐसे में इस मुश्किल दौर में जरूरतमंदों की मदद करने के मकसद से उन्होंने अपनी ज़मीन बेच दी.