Ias Op Choudhary
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Elections Results 2018: IAS की नौकरी छोड़कर ओपी चौधरी ने बीजेपी से लड़ा था चुनाव, कांग्रेस उम्मीदवार ने दी शिकस्त
- Tuesday December 11, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
आईएएस (IAS) की नौकरी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी (OP Chodhary) छत्तीसगढ़ की खरसिया सीट (Kharsia Vidhan Sabha Seat) से हार गए हैं. बीजेपी उम्मीदवार ओपी चौधरी को कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल ने शिकस्त दी.
- ndtv.in
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लोकतंत्र पर मंडराती नौकरशाही तंत्र की छाया
- Thursday September 27, 2018
- Written by: डॉ विजय अग्रवाल
हमें यह सोचना होगा कि लोकतंत्र की आत्मा मूलतः लोक में बसती है या ब्यूरोक्रेसी में...? इतने उच्च स्तर पर प्रवेश करने से पहले ब्यूरोक्रेसी के ये सदस्य आए भले ही लोक-जीवन से क्यों न हों, लेकिन मसूरी की प्रशासनिक अकादमी में प्रवेश करते ही उनकी चेतना का जो रूपान्तरण होता है, वह उन्हें लोकतंत्र पर शासन करने वाले एक विशिष्ट तंत्र में तब्दील कर देता है,
- ndtv.in
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पॉलिटिक्स के लिए क्यों IAS-IPS को लुभा रही बीजेपी, ओपी चौधरी से पहले ये भी थाम चुके हैं दामन
- Wednesday August 29, 2018
- शंकर पंडित
दरअसल, सिर्फ हाल की ही ये दो घटनाएं इस बात की तस्दीक नहीं करती कि आईएएस अथवा आईपीएस अधिकारियों की पहली पसंद भारतयी जनता पार्टी है. बल्कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पूर्व आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े हैं और आज भारतीय जनता पार्टी या मोदी सरकार में अहम ओहदे पर हैं. फिलहाल, रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने बीजेपी का दामन औपचारिक रूप से थाम लिया है और उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में खरसिया से चुनाव लड़ सकते हैं. यह सीट रायगढ़ जिले में कांग्रेस का गढ़ है और चौधरी का पैतृक नगर भी. तो चलिए एक नजर डालते हैं उन लोगों पर जो बीजेपी से पहले प्रशासनिक अधिकारी रहे और अब बीजेपी में अलग-अलग ओहदों पर काबिज हैं.
- ndtv.in
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आईएएस (IAS) की नौकरी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी (OP Chodhary) छत्तीसगढ़ की खरसिया सीट (Kharsia Vidhan Sabha Seat) से हार गए हैं. बीजेपी उम्मीदवार ओपी चौधरी को कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल ने शिकस्त दी.
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- Thursday September 27, 2018
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हमें यह सोचना होगा कि लोकतंत्र की आत्मा मूलतः लोक में बसती है या ब्यूरोक्रेसी में...? इतने उच्च स्तर पर प्रवेश करने से पहले ब्यूरोक्रेसी के ये सदस्य आए भले ही लोक-जीवन से क्यों न हों, लेकिन मसूरी की प्रशासनिक अकादमी में प्रवेश करते ही उनकी चेतना का जो रूपान्तरण होता है, वह उन्हें लोकतंत्र पर शासन करने वाले एक विशिष्ट तंत्र में तब्दील कर देता है,
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दरअसल, सिर्फ हाल की ही ये दो घटनाएं इस बात की तस्दीक नहीं करती कि आईएएस अथवा आईपीएस अधिकारियों की पहली पसंद भारतयी जनता पार्टी है. बल्कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पूर्व आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है, जो बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े हैं और आज भारतीय जनता पार्टी या मोदी सरकार में अहम ओहदे पर हैं. फिलहाल, रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी ने बीजेपी का दामन औपचारिक रूप से थाम लिया है और उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में खरसिया से चुनाव लड़ सकते हैं. यह सीट रायगढ़ जिले में कांग्रेस का गढ़ है और चौधरी का पैतृक नगर भी. तो चलिए एक नजर डालते हैं उन लोगों पर जो बीजेपी से पहले प्रशासनिक अधिकारी रहे और अब बीजेपी में अलग-अलग ओहदों पर काबिज हैं.
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