Gajanan Madhav Muktibodh
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मोदी के बजट में मुक्तिबोध का योगदान
- Friday February 1, 2019
- Priyadarshan
यह कई बार सोचा है कि मुक्तिबोध पर लिखते हुए यह नहीं लिखूंगा कि उनकी कविता 'अंधेरे में' में आधी रात को डोमाजी उस्ताद के नेतृत्व में चल रहा विराट जुलूस हमारे आज के यथार्थ का प्रतीक है. यह बात इतनी बार कही जा चुकी है कि इसे दुहराना व्यर्थ लगता है. लेकिन डोमाजी उस्ताद हर तरफ़ हैं और हर बार उकसाते हैं कि उनके बारे में कुछ कहा जाए.
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जन्मदिन विशेष: सुदामा पाण्डेय धूमिल भाषा के बारे में सोचते हुए उसको डायनामाइट मानते थे
- Thursday November 9, 2017
- Om Nishchal
धूमिल 9 नवंबर, 1936 को वाराणसी के गांव खेवली में जन्मे और 10 फरवरी 1975 को ब्रेन ट्यूमर की वजह से मात्र 39 साल की अवस्था में दिवंगत हुए. यानी वे आज होते तो इक्यासी बरस के होते और उसी तरह होते जिस तरह आज हमारे बीच रामदरश मिश्र, नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी जी हैं.
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