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हल्द्वानी हिंसा लंबे समय से जारी सांप्रदायिक तनाव की परिणति : फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट
- Friday February 16, 2024
रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही यह निवासियों और कानून प्रवर्तकों के बीच झड़पों में तब्दील हो गई. रिपोर्ट में चश्मदीदों की गवाही के हवाले से आरोप लगाया कि पुलिस बल ने तलाशी व हिरासत में लेने के दौरान अंधाधुंध गोलीबारी, क्रूरता सहित अत्यधिक बल प्रयोग किया.
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ndtv.in
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फैक्ट फाइंडिंग टीम ने असम एनआरसी और फॉरेन ट्रिब्यूनल की हकीकत बताई
- Wednesday September 18, 2019
यूनाइटेड अगेंस्ट हेट की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने एनआरसी की अंतिम सूची का पता लगाने के लिए असम का दौरा करने के बाद मंगलवार को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि असम में 19 लाख लोगों को विदेशी घोषित करने के साथ उनकी नागरिकता छीनने से असम में बेचैनी है. टीम के सदस्यों ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट की जानकारी देते हुए कहा कि जो अंतिम एनआरसी सूची से हटा दिए गए थे उन समुदायों की पीड़ा के बारे में पूरी तरह कह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उन्होंने कहा कि उन विदेशी ट्रिब्यूनलों की अक्षमता के बारे में भी बात की जो बाहर किए गए लोगों के दावों की फिर से जांच करने जा रहे हैं. डिटेंशन सेंटर के बारे में बताया कि वे दुर्भाग्य से उन मजदूरों द्वारा ही बनाए जा रहे हैं, जिन्हें स्वयं एनआरसी से बाहर रखा गया है और भविष्य में उन्हें उन्हीं केंद्रों में रहना पड़ सकता है.
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हल्द्वानी हिंसा लंबे समय से जारी सांप्रदायिक तनाव की परिणति : फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट
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रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही यह निवासियों और कानून प्रवर्तकों के बीच झड़पों में तब्दील हो गई. रिपोर्ट में चश्मदीदों की गवाही के हवाले से आरोप लगाया कि पुलिस बल ने तलाशी व हिरासत में लेने के दौरान अंधाधुंध गोलीबारी, क्रूरता सहित अत्यधिक बल प्रयोग किया.
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फैक्ट फाइंडिंग टीम ने असम एनआरसी और फॉरेन ट्रिब्यूनल की हकीकत बताई
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यूनाइटेड अगेंस्ट हेट की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने एनआरसी की अंतिम सूची का पता लगाने के लिए असम का दौरा करने के बाद मंगलवार को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि असम में 19 लाख लोगों को विदेशी घोषित करने के साथ उनकी नागरिकता छीनने से असम में बेचैनी है. टीम के सदस्यों ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट की जानकारी देते हुए कहा कि जो अंतिम एनआरसी सूची से हटा दिए गए थे उन समुदायों की पीड़ा के बारे में पूरी तरह कह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उन्होंने कहा कि उन विदेशी ट्रिब्यूनलों की अक्षमता के बारे में भी बात की जो बाहर किए गए लोगों के दावों की फिर से जांच करने जा रहे हैं. डिटेंशन सेंटर के बारे में बताया कि वे दुर्भाग्य से उन मजदूरों द्वारा ही बनाए जा रहे हैं, जिन्हें स्वयं एनआरसी से बाहर रखा गया है और भविष्य में उन्हें उन्हीं केंद्रों में रहना पड़ सकता है.
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