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Delhi Border Farmers Movement

'Delhi Border Farmers Movement' - 29 News Result(s)
  • शंभू बॉर्डर से आज फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेगा किसानों का जत्था, कड़े इंतजाम के साथ पुलिस भी तैयार

    शंभू बॉर्डर से आज फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेगा किसानों का जत्था, कड़े इंतजाम के साथ पुलिस भी तैयार

    पंजाब-हरियाणा की सीमा यानी शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान शनिवार को दोपहर 12 बजे दिल्ली के लिए कूच करेंगे. आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली रवाना होने के लिए तैयारी कर ली है. किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे. आंदोलनरत किसान शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से धरना दे रहे हैं. किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे. 

  • किसानों के दिल्ली कूच के बीच CBSE और ICSE बोर्ड परीक्षाएं 2024, छात्रों के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंचना बड़ी चुनौती

    किसानों के दिल्ली कूच के बीच CBSE और ICSE बोर्ड परीक्षाएं 2024, छात्रों के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंचना बड़ी चुनौती

    CBSE Board Exam 2024: राजधानी दिल्ली में पूरे एक महीने के लिए धारा 144 लागू है, क्योंकि बॉडरों पर किसान बैठे हैं. आज किसान दिल्ली कूच की तैयारी में है, वहीं आज सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी हैं. गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर और गाजीपुर फ्लाईओवर पर लंबा जाम लगा है, ऐसे में बच्चे कैसे परीक्षा...

  • किसान आंदोलन - कोर्ट में सुनवाई, सरकार कहां गई?

    किसान आंदोलन - कोर्ट में सुनवाई, सरकार कहां गई?

    जिस देश में आज़ादी की लड़ाई का आंदोलन 1857 से 1947 तक अलग अलग रूप में चला हो, उस देश के सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग धरने के बाद किसानों के धरने को लेकर चल रही बहस में अजीब अजीब किस्म के सवाल उठ रहे हैं कि आंदोलन कब तक चलेगा, क्यों चल रहा है, अनंत काल के लिए सड़कें बंद नहीं हो सकती हैं.

  • राज्यपाल सत्यपाल मलिक को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए आगे आना चाहिए : नरेश टिकैत

    राज्यपाल सत्यपाल मलिक को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए आगे आना चाहिए : नरेश टिकैत

    बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत अपने सैकड़ों समर्थकों समेत गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. यहां धरने पर बैठे किसानों से मुलाकात कर मेघालय के राज्यपाल और बीजेपी नेता सत्यपाल मलिक की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें मध्यस्थता करनी चाहिए. किसान उनकी बात जरूर मानेंगे.

  • मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया आंदोलनरत किसानों का समर्थन

    मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया आंदोलनरत किसानों का समर्थन

    मलिक ने किसानों की दशा का जिक्र करते हुए कहा, “इन बेचारों की स्थिति आप देखिए. वे लोग जो चीज (फसल) उपजाते हैं, उसके दाम हर साल घट जाते हैं और जो चीजें खरीदते हैं, उनके दाम बढ़ते जाते हैं. उन्हें तो पता भी नहीं है कि वे गरीब कैसे होते जा रहे हैं. वे जब (बीज की) बुवाई करते हैं, तब दाम कुछ होता है और जब फसल काटते हैं तब वह 300 रुपये कम हो जाता है.” नये कृषि कानूनों को सही ठहराने के लिए भाजपा द्वारा दी जा रही दलील पर तंज करते हुए मलिक ने कहा, “बहुत शोर भी मचाया गया कि किसान दूसरी जगह कहीं भी (फसल) बेच सकते हैं. वह तो 15 साल पुराना कानून है, लेकिन उसके बावजूद मथुरा के किसान जब गेहूं लेकर पलवल जाते हैं तो उन पर लाठी चार्ज हो जाता है. सोनीपत का किसान जब नरेला जाता है, तो उस पर लाठी चार्ज हो जाता है.”

  • एसकेएम ने किसानों से कहा : दिल्ली में प्रदर्शन स्थलों पर पक्के मकान नहीं बनाए जाए

    एसकेएम ने किसानों से कहा : दिल्ली में प्रदर्शन स्थलों पर पक्के मकान नहीं बनाए जाए

    बयान में कहा गया कि मोर्चा की बैठक के दौरान यह निर्णय हुआ कि प्रदर्शनकारी प्रदर्शन स्थलों पर कोई स्थायी निर्माण कार्य नहीं करेंगे. वक्तव्य में यह भी कहा गया कि एसकेएम (SKM) के कई नेता पश्चिम बंगाल गए हैं, जहां वे अपने आंदोलन के समर्थन में प्रचार करेंगे और मतदाताओं से ‘किसान विरोधी’ भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे. इसमें कहा गया है कि एसकेएम (SKM) के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को बंगाल के सिंगूर और आसनसोल में महापंचायतों को भी संबोधित किया.

  • किसान आंदोलन: गर्मी से मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं किसान, कुछ बना रहे हैं पक्के मकान

    किसान आंदोलन: गर्मी से मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं किसान, कुछ बना रहे हैं पक्के मकान

    गौरतलब है कि हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, दिल्ली सीमा के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं, जो कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.

  • किसान हमारे अपने हैं, वो किसी के बहकावे में ना आएं : शाहनवाज हुसैन

    किसान हमारे अपने हैं, वो किसी के बहकावे में ना आएं : शाहनवाज हुसैन

    हुसैन ने कहा, ‘‘अभी लोग कहते हैं कि सरकार बहुत अडिग है लेकिन सरकार तो चार कदम बढ़ी है. हमने कहा कि हम डेढ़ साल के लिये कानूनों को स्थगित करते हैं. आपसे विचार-विमर्श करके कानून बनाएंगे. अब हर चीज पर शर्तें लादने से बातचीत नहीं होती. बातचीत का मतलब होता है बातचीत. इकतरफा बातचीत को बातचीत नहीं कहते.’’  कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा राजस्थान दौरे के दौरान प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी को लेकर उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जिस तरह के शब्द राहुलगांधी बोलते हैं काश वो चिंता करें कि क्या प्रधानमंत्री के लिये ऐसे शब्दों का उपयोग सही है.’’

  • प्रधानमंत्री के ‘‘परजीवी’’ कहने से किसान समुदाय को गहरा दुख पहुंचा: किसान नेता

    प्रधानमंत्री के ‘‘परजीवी’’ कहने से किसान समुदाय को गहरा दुख पहुंचा: किसान नेता

    किसान नेताओं ने रविवार को देशभर में कैंडल मार्च और टॉर्च जुलूस निकालने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले जवानों और दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर से चल रहे आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाएगा. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘यह आयोजन रात सात से आठ बजे तक किया जाएगा.’’ पाल ने कहा कि किसान पंचायतों के जरिए वे सरकार पर अपनी मांग मानने के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि प्रदर्शन खत्म हो सकें. उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान में पूरे देश के किसान शामिल हैं.’’ ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन पर चर्चा का जिक्र करते हुए पाल ने कहा, ‘‘सरकार को हमारी समस्या को समझना चाहिए.’’

  • चक्का जाम सफल होने पर किसानों ने ली राहत की सांस, जाम में फंसे लोगों को खिलाया खाना

    चक्का जाम सफल होने पर किसानों ने ली राहत की सांस, जाम में फंसे लोगों को खिलाया खाना

    किसानों के किसी ग्रुप ने जबरन चक्का जाम करने की कोशिश नहीं की. इस बीच, खुद राकेश टिकैत ने पुलिस के कांटों के बदले फूल लगाने की मिसाल से किसानों का रवैया उजागर किया. किसानों ने चक्का जाम के दौरान एंबुलेंस को आने जाने का रास्ता दिया, जैसे ही 3 बजे किसानों ने हार्न बजाकर अपना चक्का जाम खत्म कर दिया. अब किसान संगठन इस बात को लेकर राहत की सांस ले रहे हैं कि चक्का जाम में 26 जनवरी जैसे हालात नहीं बने और ये संदेश भी गया कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से ही आंदोलन कर रहे हैं.

  • दिल्ली की तीन सीमाओं पर स्थित विरोध स्थलों पर फिर से इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित

    दिल्ली की तीन सीमाओं पर स्थित विरोध स्थलों पर फिर से इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित

    एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शनिवार को किसान यूनियनों के ‘चक्का जाम’ के आह्वान के मद्देनजर इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई हैं. इससे पहले सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमाओं और इनके आसपास के इलाकों में 29 जनवरी की रात 11 बजे से 31 जनवरी की रात 11 बजे तक इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के आदेश दिये गये थे. बाद में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को दो फरवरी तक बढ़ा दिया गया था. गौरतलब है कि किसानों की ‘‘ट्रैक्टर परेड’’ के दौरान व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के कारण 26 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था.

  • किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

    किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

    राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे. किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें.’’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो.’’ गणतंत्र दिवस पर अनेक प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर पहुंच गये थे. टिकैत बंधुओं ने भी गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अस्वीकार्य है. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा एक षड्यंत्र का नतीजा थी.

  • लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद किसान आंदोलन के लिए राजनीतिक समर्थन लिया: राकेश टिकैत

    लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद किसान आंदोलन के लिए राजनीतिक समर्थन लिया: राकेश टिकैत

    एक सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों को अपने आंदोलन में प्रवेश नहीं करने दिया था क्योंकि हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक है. प्रदर्शन को लेकर लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद, राजनीतिक दलों से समर्थन लिया गया. इसके बावजूद, नेताओं को किसान आंदोलन के मंच से दूर रखा गया है.’’ गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत से मिलने आए शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘‘मोदी साब नु किसाना दी मन दी गल सुननी चाहिदी है.’’ शिअद कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र में सत्तारूढ़ राजग से रिश्ता तोड़ चुका है.

  • सरकार इंटरनेट पर रोक लगाकर किसानों की आवाज दबाने पर आमादा है : कांग्रेस

    सरकार इंटरनेट पर रोक लगाकर किसानों की आवाज दबाने पर आमादा है : कांग्रेस

    उन्होंने ट्वीट किया, " मैं हमारे अन्नदाताओं पर इस सरकार द्वारा इस तरह के अत्याचार का विरोध करता हूं. शर्म करो भाजपा. शेम, शेम." चौधरी ने दावा किया, "भाजपा आंसुओं से डर गई है. किसानों की आंखों से निकले आंसुओं की ताकत ने भाजपा को हिला दिया है जो हर मौके का इस्तेमाल घड़याली आंसू बहाने के लिए करती है." कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन कानूनों पर 18 महीने के लिए रोक लगा दी गई है.

  • किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर डटे, किसानों और नेताओं का समर्थन

    किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर डटे, किसानों और नेताओं का समर्थन

    दिल्ली की गाजीपुर बॉर्डर पर अब राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को समर्थन देने के लिए नेता से लेकर किसान (Farmers) तक पहुंच रहे हैं. राकेश टिकैत को मिल रहे समर्थन के चलते बीजेपी के लोनी विधायक के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही आवाज उठने लगी है. राकेश टिकैत के आंसुओं के चलते अब प्रशासन पीछे हट गया है और हजारों किसानों का जमावड़ा गाजीपुर बार्डर पर लगने लगा है.

'Delhi Border Farmers Movement' - 47 Video Result(s)
'Delhi Border Farmers Movement' - 29 News Result(s)
  • शंभू बॉर्डर से आज फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेगा किसानों का जत्था, कड़े इंतजाम के साथ पुलिस भी तैयार

    शंभू बॉर्डर से आज फिर दिल्ली कूच की कोशिश करेगा किसानों का जत्था, कड़े इंतजाम के साथ पुलिस भी तैयार

    पंजाब-हरियाणा की सीमा यानी शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान शनिवार को दोपहर 12 बजे दिल्ली के लिए कूच करेंगे. आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली रवाना होने के लिए तैयारी कर ली है. किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे. आंदोलनरत किसान शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से धरना दे रहे हैं. किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे. 

  • किसानों के दिल्ली कूच के बीच CBSE और ICSE बोर्ड परीक्षाएं 2024, छात्रों के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंचना बड़ी चुनौती

    किसानों के दिल्ली कूच के बीच CBSE और ICSE बोर्ड परीक्षाएं 2024, छात्रों के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंचना बड़ी चुनौती

    CBSE Board Exam 2024: राजधानी दिल्ली में पूरे एक महीने के लिए धारा 144 लागू है, क्योंकि बॉडरों पर किसान बैठे हैं. आज किसान दिल्ली कूच की तैयारी में है, वहीं आज सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी हैं. गुरुग्राम-दिल्ली बॉर्डर और गाजीपुर फ्लाईओवर पर लंबा जाम लगा है, ऐसे में बच्चे कैसे परीक्षा...

  • किसान आंदोलन - कोर्ट में सुनवाई, सरकार कहां गई?

    किसान आंदोलन - कोर्ट में सुनवाई, सरकार कहां गई?

    जिस देश में आज़ादी की लड़ाई का आंदोलन 1857 से 1947 तक अलग अलग रूप में चला हो, उस देश के सुप्रीम कोर्ट में शाहीन बाग धरने के बाद किसानों के धरने को लेकर चल रही बहस में अजीब अजीब किस्म के सवाल उठ रहे हैं कि आंदोलन कब तक चलेगा, क्यों चल रहा है, अनंत काल के लिए सड़कें बंद नहीं हो सकती हैं.

  • राज्यपाल सत्यपाल मलिक को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए आगे आना चाहिए : नरेश टिकैत

    राज्यपाल सत्यपाल मलिक को किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए आगे आना चाहिए : नरेश टिकैत

    बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत अपने सैकड़ों समर्थकों समेत गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे. यहां धरने पर बैठे किसानों से मुलाकात कर मेघालय के राज्यपाल और बीजेपी नेता सत्यपाल मलिक की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें मध्यस्थता करनी चाहिए. किसान उनकी बात जरूर मानेंगे.

  • मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया आंदोलनरत किसानों का समर्थन

    मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया आंदोलनरत किसानों का समर्थन

    मलिक ने किसानों की दशा का जिक्र करते हुए कहा, “इन बेचारों की स्थिति आप देखिए. वे लोग जो चीज (फसल) उपजाते हैं, उसके दाम हर साल घट जाते हैं और जो चीजें खरीदते हैं, उनके दाम बढ़ते जाते हैं. उन्हें तो पता भी नहीं है कि वे गरीब कैसे होते जा रहे हैं. वे जब (बीज की) बुवाई करते हैं, तब दाम कुछ होता है और जब फसल काटते हैं तब वह 300 रुपये कम हो जाता है.” नये कृषि कानूनों को सही ठहराने के लिए भाजपा द्वारा दी जा रही दलील पर तंज करते हुए मलिक ने कहा, “बहुत शोर भी मचाया गया कि किसान दूसरी जगह कहीं भी (फसल) बेच सकते हैं. वह तो 15 साल पुराना कानून है, लेकिन उसके बावजूद मथुरा के किसान जब गेहूं लेकर पलवल जाते हैं तो उन पर लाठी चार्ज हो जाता है. सोनीपत का किसान जब नरेला जाता है, तो उस पर लाठी चार्ज हो जाता है.”

  • एसकेएम ने किसानों से कहा : दिल्ली में प्रदर्शन स्थलों पर पक्के मकान नहीं बनाए जाए

    एसकेएम ने किसानों से कहा : दिल्ली में प्रदर्शन स्थलों पर पक्के मकान नहीं बनाए जाए

    बयान में कहा गया कि मोर्चा की बैठक के दौरान यह निर्णय हुआ कि प्रदर्शनकारी प्रदर्शन स्थलों पर कोई स्थायी निर्माण कार्य नहीं करेंगे. वक्तव्य में यह भी कहा गया कि एसकेएम (SKM) के कई नेता पश्चिम बंगाल गए हैं, जहां वे अपने आंदोलन के समर्थन में प्रचार करेंगे और मतदाताओं से ‘किसान विरोधी’ भाजपा को वोट नहीं देने की अपील करेंगे. इसमें कहा गया है कि एसकेएम (SKM) के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को बंगाल के सिंगूर और आसनसोल में महापंचायतों को भी संबोधित किया.

  • किसान आंदोलन: गर्मी से मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं किसान, कुछ बना रहे हैं पक्के मकान

    किसान आंदोलन: गर्मी से मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं किसान, कुछ बना रहे हैं पक्के मकान

    गौरतलब है कि हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, दिल्ली सीमा के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं, जो कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं.

  • किसान हमारे अपने हैं, वो किसी के बहकावे में ना आएं : शाहनवाज हुसैन

    किसान हमारे अपने हैं, वो किसी के बहकावे में ना आएं : शाहनवाज हुसैन

    हुसैन ने कहा, ‘‘अभी लोग कहते हैं कि सरकार बहुत अडिग है लेकिन सरकार तो चार कदम बढ़ी है. हमने कहा कि हम डेढ़ साल के लिये कानूनों को स्थगित करते हैं. आपसे विचार-विमर्श करके कानून बनाएंगे. अब हर चीज पर शर्तें लादने से बातचीत नहीं होती. बातचीत का मतलब होता है बातचीत. इकतरफा बातचीत को बातचीत नहीं कहते.’’  कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा राजस्थान दौरे के दौरान प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणी को लेकर उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जिस तरह के शब्द राहुलगांधी बोलते हैं काश वो चिंता करें कि क्या प्रधानमंत्री के लिये ऐसे शब्दों का उपयोग सही है.’’

  • प्रधानमंत्री के ‘‘परजीवी’’ कहने से किसान समुदाय को गहरा दुख पहुंचा: किसान नेता

    प्रधानमंत्री के ‘‘परजीवी’’ कहने से किसान समुदाय को गहरा दुख पहुंचा: किसान नेता

    किसान नेताओं ने रविवार को देशभर में कैंडल मार्च और टॉर्च जुलूस निकालने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले जवानों और दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर से चल रहे आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया जाएगा. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘यह आयोजन रात सात से आठ बजे तक किया जाएगा.’’ पाल ने कहा कि किसान पंचायतों के जरिए वे सरकार पर अपनी मांग मानने के लिए दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि प्रदर्शन खत्म हो सकें. उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान में पूरे देश के किसान शामिल हैं.’’ ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन पर चर्चा का जिक्र करते हुए पाल ने कहा, ‘‘सरकार को हमारी समस्या को समझना चाहिए.’’

  • चक्का जाम सफल होने पर किसानों ने ली राहत की सांस, जाम में फंसे लोगों को खिलाया खाना

    चक्का जाम सफल होने पर किसानों ने ली राहत की सांस, जाम में फंसे लोगों को खिलाया खाना

    किसानों के किसी ग्रुप ने जबरन चक्का जाम करने की कोशिश नहीं की. इस बीच, खुद राकेश टिकैत ने पुलिस के कांटों के बदले फूल लगाने की मिसाल से किसानों का रवैया उजागर किया. किसानों ने चक्का जाम के दौरान एंबुलेंस को आने जाने का रास्ता दिया, जैसे ही 3 बजे किसानों ने हार्न बजाकर अपना चक्का जाम खत्म कर दिया. अब किसान संगठन इस बात को लेकर राहत की सांस ले रहे हैं कि चक्का जाम में 26 जनवरी जैसे हालात नहीं बने और ये संदेश भी गया कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से ही आंदोलन कर रहे हैं.

  • दिल्ली की तीन सीमाओं पर स्थित विरोध स्थलों पर फिर से इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित

    दिल्ली की तीन सीमाओं पर स्थित विरोध स्थलों पर फिर से इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित

    एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शनिवार को किसान यूनियनों के ‘चक्का जाम’ के आह्वान के मद्देनजर इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गई हैं. इससे पहले सिंघू, गाजीपुर और टीकरी सीमाओं और इनके आसपास के इलाकों में 29 जनवरी की रात 11 बजे से 31 जनवरी की रात 11 बजे तक इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के आदेश दिये गये थे. बाद में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को दो फरवरी तक बढ़ा दिया गया था. गौरतलब है कि किसानों की ‘‘ट्रैक्टर परेड’’ के दौरान व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के कारण 26 जनवरी को दिल्ली के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था.

  • किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

    किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

    राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे. किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें.’’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो.’’ गणतंत्र दिवस पर अनेक प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर पहुंच गये थे. टिकैत बंधुओं ने भी गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अस्वीकार्य है. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा एक षड्यंत्र का नतीजा थी.

  • लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद किसान आंदोलन के लिए राजनीतिक समर्थन लिया: राकेश टिकैत

    लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद किसान आंदोलन के लिए राजनीतिक समर्थन लिया: राकेश टिकैत

    एक सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों को अपने आंदोलन में प्रवेश नहीं करने दिया था क्योंकि हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक है. प्रदर्शन को लेकर लोकतंत्र का मजाक बनाए जाने के बाद, राजनीतिक दलों से समर्थन लिया गया. इसके बावजूद, नेताओं को किसान आंदोलन के मंच से दूर रखा गया है.’’ गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत से मिलने आए शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा, ‘‘मोदी साब नु किसाना दी मन दी गल सुननी चाहिदी है.’’ शिअद कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र में सत्तारूढ़ राजग से रिश्ता तोड़ चुका है.

  • सरकार इंटरनेट पर रोक लगाकर किसानों की आवाज दबाने पर आमादा है : कांग्रेस

    सरकार इंटरनेट पर रोक लगाकर किसानों की आवाज दबाने पर आमादा है : कांग्रेस

    उन्होंने ट्वीट किया, " मैं हमारे अन्नदाताओं पर इस सरकार द्वारा इस तरह के अत्याचार का विरोध करता हूं. शर्म करो भाजपा. शेम, शेम." चौधरी ने दावा किया, "भाजपा आंसुओं से डर गई है. किसानों की आंखों से निकले आंसुओं की ताकत ने भाजपा को हिला दिया है जो हर मौके का इस्तेमाल घड़याली आंसू बहाने के लिए करती है." कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन कानूनों पर 18 महीने के लिए रोक लगा दी गई है.

  • किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर डटे, किसानों और नेताओं का समर्थन

    किसान नेता राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर डटे, किसानों और नेताओं का समर्थन

    दिल्ली की गाजीपुर बॉर्डर पर अब राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को समर्थन देने के लिए नेता से लेकर किसान (Farmers) तक पहुंच रहे हैं. राकेश टिकैत को मिल रहे समर्थन के चलते बीजेपी के लोनी विधायक के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही आवाज उठने लगी है. राकेश टिकैत के आंसुओं के चलते अब प्रशासन पीछे हट गया है और हजारों किसानों का जमावड़ा गाजीपुर बार्डर पर लगने लगा है.

'Delhi Border Farmers Movement' - 47 Video Result(s)