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कोरोना से ठीक होने के बाद भी मुश्किलें, खून जमने से हार्ट अटैक-स्ट्रोक का खतरा
- Wednesday June 30, 2021
कोरोनावायरस (Coronavirus) का संक्रमण कम हुआ तो उसके बाद की समस्या भी बड़ी है. बात पोस्ट कोविड तकलीफों की, कोविड से ठीक होने के हफ्तों बाद भी हमारे शरीर में खून के थक्के जमते रहते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले देखे जा रहे हैं. खून जमने की ये समस्या हफ्तों तक दिखती है. बिना हृदय रोग वाले, कोविड से ठीक हुए युवा मरीजों में भी हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं. दरअसल कुछ कोरोना रोगी स्वस्थ तो हो गए हैं लेकिन उनके शरीर में खून के थक्के बन रहे हैं.
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ndtv.in
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COVID-19 सिर्फ फेफड़े की बीमारी नहीं, इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है : विशेषज्ञ
- Saturday May 8, 2021
COVID-19 महज फेफड़े की बीमारी नहीं है जैसा कि पहले की अवधारणा थी, बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके. यह बात विशेषज्ञों ने कही है. वैश्विक स्तर पर किए गए शोध में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 14 से 28 फीसदी रोगियों में रक्त थक्का जमने की बात सामने आई है, जिसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) के नाम से जाना जाता है. वहीं दो से पांच फीसदी रोगियों में आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस का मामला सामने आया.
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कोरोना से ठीक होने के बाद भी मुश्किलें, खून जमने से हार्ट अटैक-स्ट्रोक का खतरा
- Wednesday June 30, 2021
कोरोनावायरस (Coronavirus) का संक्रमण कम हुआ तो उसके बाद की समस्या भी बड़ी है. बात पोस्ट कोविड तकलीफों की, कोविड से ठीक होने के हफ्तों बाद भी हमारे शरीर में खून के थक्के जमते रहते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले देखे जा रहे हैं. खून जमने की ये समस्या हफ्तों तक दिखती है. बिना हृदय रोग वाले, कोविड से ठीक हुए युवा मरीजों में भी हार्ट अटैक के मामले देखे जा रहे हैं. दरअसल कुछ कोरोना रोगी स्वस्थ तो हो गए हैं लेकिन उनके शरीर में खून के थक्के बन रहे हैं.
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COVID-19 सिर्फ फेफड़े की बीमारी नहीं, इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है : विशेषज्ञ
- Saturday May 8, 2021
COVID-19 महज फेफड़े की बीमारी नहीं है जैसा कि पहले की अवधारणा थी, बल्कि इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है, जिसे तुरंत हटाने की जरूरत होगी ताकि कुछ मामलों में अंगों को बचाया जा सके. यह बात विशेषज्ञों ने कही है. वैश्विक स्तर पर किए गए शोध में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 14 से 28 फीसदी रोगियों में रक्त थक्का जमने की बात सामने आई है, जिसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) के नाम से जाना जाता है. वहीं दो से पांच फीसदी रोगियों में आर्टेरियल थ्रोम्बोसिस का मामला सामने आया.
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