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सरकार बीड़ी श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध: मनसुख मांडविया
- Thursday December 19, 2024
- Edited by: ख़बर न्यूज़ डेस्क
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा कि मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं की मदद से बीड़ी श्रमिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. बुधवार को "बीड़ी श्रमिकों की आजीविका को संरक्षित, संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता" (The Need to Preserve, Protect, and Promote Beedi Workers' Livelihood) शीर्षक की पुस्तक के विमोचन के मौके पर मांडविया ने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार का मंत्र "सबका साथ, सबका विकास" है. उन्होंने कहा कि गरीब लोगों, किसानों और मजदूरों का कल्याण मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
- ndtv.in
-
किसी समय बड़ी आबादी को रोजगार देने वाला बीड़ी निर्माण का कुटीर उद्योग अब दम तोड़ रहा
- Wednesday December 18, 2024
- Reported by: सूर्यकांत पाठक
देश का एक प्रमुख घरेलू रोजगार, जिसमें महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी रही है, अब दम तोड़ रहा है. बीड़ी उत्पादन को लेकर सरकार की नीतियों के चलते यह कुटीर उद्योग अब बुरे हाल में है. एक तरफ जहां बीड़ी उद्योग पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भारी बोझ है वहीं कई सख्त नियम भी लागू हैं. बीड़ी मजदूरों को बहुत कम पारिश्रमिक मिल रहा है. इससे परेशान ग्रामीण अंचलों के मजदूर बीड़ी बनाना त्यागकर रोजगार के लिए शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. श्रम मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के मुताबिक देश में बीड़ी बनाने वाले रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या करीब 80 लाख है. इनमें 72 प्रतिशत से अधिक महिला कामगार हैं.
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सरकार बीड़ी श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध: मनसुख मांडविया
- Thursday December 19, 2024
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केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा कि मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं की मदद से बीड़ी श्रमिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. बुधवार को "बीड़ी श्रमिकों की आजीविका को संरक्षित, संरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता" (The Need to Preserve, Protect, and Promote Beedi Workers' Livelihood) शीर्षक की पुस्तक के विमोचन के मौके पर मांडविया ने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार का मंत्र "सबका साथ, सबका विकास" है. उन्होंने कहा कि गरीब लोगों, किसानों और मजदूरों का कल्याण मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
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देश का एक प्रमुख घरेलू रोजगार, जिसमें महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी रही है, अब दम तोड़ रहा है. बीड़ी उत्पादन को लेकर सरकार की नीतियों के चलते यह कुटीर उद्योग अब बुरे हाल में है. एक तरफ जहां बीड़ी उद्योग पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भारी बोझ है वहीं कई सख्त नियम भी लागू हैं. बीड़ी मजदूरों को बहुत कम पारिश्रमिक मिल रहा है. इससे परेशान ग्रामीण अंचलों के मजदूर बीड़ी बनाना त्यागकर रोजगार के लिए शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं. श्रम मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के मुताबिक देश में बीड़ी बनाने वाले रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या करीब 80 लाख है. इनमें 72 प्रतिशत से अधिक महिला कामगार हैं.
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