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Aes Deaths In Muzaffarpur

'Aes Deaths In Muzaffarpur' - 2 News Result(s)
  • जब सिर्फ दो दिन जंगल जाने से हो जाता था शादी का इंतज़ाम...

    जब सिर्फ दो दिन जंगल जाने से हो जाता था शादी का इंतज़ाम...

    अब यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन जंगल से सटे एक गांव के उस बुजुर्ग के मुंह से निकली यह सच्चाई हमें बताती है कि परतंत्र होने का मतलब ऐसा भी होता है. गर्मी के चलते तकरीबन सूख चुके एक कुएं के ठीक बाजू में एक पेड़ की छांव तले जब बातचीत के लिए गांव के कुछ लोग जमा हुए, तो एक व्यक्ति की नई सफेद बंडी, लंबा सफेद गमछा, जि‍से लुंगी की तरह लपेटा गया था, में हल्दी से पुते शरीर और उनींदी आंखों को देखकर ही समझ में आ रहा था कि पिछली रात ही उनके घर में विवाह समारोह हुआ है.

  • Blog: क्या बिहार में बच्चों की मौत के बहाने नीतीश कुमार की आलोचना की जगह अब न्यूज चैनल अपने राजनीतिक आकाओं का एजेंडा तो पूरा नहीं कर रहे हैं?

    Blog: क्या बिहार में बच्चों की मौत के बहाने नीतीश कुमार की आलोचना की जगह अब न्यूज चैनल अपने राजनीतिक आकाओं का एजेंडा तो पूरा नहीं कर रहे हैं?

    बिहार में चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) से  अब तक 150 बच्चों की मौत हो गयी है. निश्चित रूप से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार की सबसे अधिक आलोचना हो रही है. उसके बाद उप मुख्यमंत्री  सुशील मोदी जो विपक्ष के नेता के रूप में किसी भी घटना के बाद सबसे आक्रामक होके इस्तीफ़ा मांगते थे. इन सबके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जो अपने संवेदनहीनता के कारण मज़ाक़ के पात्र बन बैठे हैं उनकी आलोचना हो रही है. ये तीनों नेता मीडिया से परेशान हैं क्योंकि मीडिया वाले इनका पीछा करते हैं और कुछ तो इनसे इन्हीं के पूर्व के बयानो का हवाला देते हुए पूछ देते हैं कि आख़िर इस्तीफ़ा कब देंगे. मीडिया ख़ासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई दिन तक सुबह से शाम तक प्राइम टाइम में बच्चों की मौत, अस्पतालों की बदहाल स्थिति के बहाने सरकार की निश्चित रूप से जायज बिंदुओं  पर चैनल के पत्रकार से संपादक तक एक स्वर से आलोचना करते हैं.

'Aes Deaths In Muzaffarpur' - 2 News Result(s)
  • जब सिर्फ दो दिन जंगल जाने से हो जाता था शादी का इंतज़ाम...

    जब सिर्फ दो दिन जंगल जाने से हो जाता था शादी का इंतज़ाम...

    अब यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन जंगल से सटे एक गांव के उस बुजुर्ग के मुंह से निकली यह सच्चाई हमें बताती है कि परतंत्र होने का मतलब ऐसा भी होता है. गर्मी के चलते तकरीबन सूख चुके एक कुएं के ठीक बाजू में एक पेड़ की छांव तले जब बातचीत के लिए गांव के कुछ लोग जमा हुए, तो एक व्यक्ति की नई सफेद बंडी, लंबा सफेद गमछा, जि‍से लुंगी की तरह लपेटा गया था, में हल्दी से पुते शरीर और उनींदी आंखों को देखकर ही समझ में आ रहा था कि पिछली रात ही उनके घर में विवाह समारोह हुआ है.

  • Blog: क्या बिहार में बच्चों की मौत के बहाने नीतीश कुमार की आलोचना की जगह अब न्यूज चैनल अपने राजनीतिक आकाओं का एजेंडा तो पूरा नहीं कर रहे हैं?

    Blog: क्या बिहार में बच्चों की मौत के बहाने नीतीश कुमार की आलोचना की जगह अब न्यूज चैनल अपने राजनीतिक आकाओं का एजेंडा तो पूरा नहीं कर रहे हैं?

    बिहार में चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome) से  अब तक 150 बच्चों की मौत हो गयी है. निश्चित रूप से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार की सबसे अधिक आलोचना हो रही है. उसके बाद उप मुख्यमंत्री  सुशील मोदी जो विपक्ष के नेता के रूप में किसी भी घटना के बाद सबसे आक्रामक होके इस्तीफ़ा मांगते थे. इन सबके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय जो अपने संवेदनहीनता के कारण मज़ाक़ के पात्र बन बैठे हैं उनकी आलोचना हो रही है. ये तीनों नेता मीडिया से परेशान हैं क्योंकि मीडिया वाले इनका पीछा करते हैं और कुछ तो इनसे इन्हीं के पूर्व के बयानो का हवाला देते हुए पूछ देते हैं कि आख़िर इस्तीफ़ा कब देंगे. मीडिया ख़ासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई दिन तक सुबह से शाम तक प्राइम टाइम में बच्चों की मौत, अस्पतालों की बदहाल स्थिति के बहाने सरकार की निश्चित रूप से जायज बिंदुओं  पर चैनल के पत्रकार से संपादक तक एक स्वर से आलोचना करते हैं.