'1984 violence'

- 19 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Reported by: आशीष कुमार भार्गव, Edited by: आनंद नायक |बुधवार जुलाई 1, 2020 03:55 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी शिकायत या उपचार पर आरोप के हम इस याचिका को नहीं सुन सकते. किसी मरीज के परिजनों को अस्पताल में जाने की अनुमति नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सामान्य नियम है और इसके विपरीत आदेश जारी नहीं किया जा सकता.
  • Delhi-NCR | Reported by: रवीश रंजन शुक्ला, Edited by: राहुल सिंह |शनिवार मार्च 7, 2020 03:08 PM IST
    पुलिस और प्रशासन हालात सामान्य करने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं. पीड़ितों को अभी तक दो करोड़ से ज्यादा मुआवजा दिया जा चुका है. हिंसा के दौरान की तमाम कहानियां सामने आ रही हैं. ऐसी ही एक कहानी के हीरो हैं मोहिंदर सिंह और उनके बेटे, जो कुछ मुस्लिम परिवारों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि मोहिंदर खुद 1984 दंगों का शिकार हुए थे.
  • India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: सचिन झा शेखर |गुरुवार फ़रवरी 27, 2020 11:30 PM IST
    भाजपा की गठबंधन सहयोगी SAD के सांसद ने कहा था कि कोई भी 1984 की पुनरावृत्ति नहीं चाहता. दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को पत्र लिखने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के पुत्र नरेश गुजराल ने कहा था कि शहर के कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यक ‘‘दहशत’’ में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने चूंकि उनके जान माल की रक्षा नहीं की तो यह ठीक वैसा ही है जो हमने 1984 में देखा था.’’
  • Uttar Pradesh | Reported by: कमाल खान, Edited by: सूर्यकांत पाठक |गुरुवार फ़रवरी 27, 2020 09:04 PM IST
    दिल्ली हाईकोर्ट के बाद अब मायावती ने दिल्ली को दंगों को 1984 के सिख विरोधी दंगों जैसा बताया है. जबकि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी ने पोलराइज़ेशन करने और मुद्दों से ध्यान हटाने लिए दंगे करवाए हैं. उधर दिल्ली दंगों के मद्देनज़र यूपी में अयोध्या,काशी, मथुरा समेत सभी संवेदनशील जिलों में सिक्यूरिटी और निगरानी बढ़ा दी गई है. बंटवारे के बाद पहली बार दिल्ली में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए. उस दिल्ली में जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रपति और पूरी केन्द्र सरकार रहती है.
  • India | Reported by: भाषा, Edited by: मानस मिश्रा |गुरुवार फ़रवरी 27, 2020 04:33 PM IST
    बसपा प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली की हिंसा को 1984 जैसी हिंसा करार दिया और कहा कि इसकी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.  उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी की कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस को फ्री-हैंड देने की मांग की और कहा कि पीड़ितों की पूरी मदद की जाए.
  • India | Reported by: शरद शर्मा, Edited by: आरिफ खान मंसूरी |बुधवार फ़रवरी 26, 2020 07:25 PM IST
    दिल्ली हाई कोर्ट ने सुझाव देते हुए कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को पीड़ित परिवारों से मिलना चाहिए.
  • India | Reported by: भाषा |बुधवार फ़रवरी 26, 2020 01:54 PM IST
    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब 'प्रेम का संदेश' देने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे तब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था और इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी की कभी इतनी बदनाम नहीं हुई थी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय ने अफसोस जताया कि ऐसे समय दिल्ली में ट्रंप का स्वागत किया गया जब उसकी सड़कों पर खून-खराबा मचा था. उसने कहा कि हिंसा सीधे तौर पर यह संदेश दे सकती है कि केन्द्र सरकार दिल्ली में कानूव एवं व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम रही. शिवसेना ने कहा, 'दिल्ली में हिंसा भड़की. लोग डंडे, तलवार, रिवाल्वर लेकर सड़कों पर आ गए, सड़कों पर खून बिखरा था. दिल्ली में स्थिति एक डरावनी फिल्म की तरह थी, जिसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के जख्मों को हरा कर दिया.' उसने कहा कि भाजपा आज भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई हिंसा में सैकड़ों सिखों की हत्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराती है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार जनवरी 15, 2020 04:58 PM IST
    सन 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में जस्टिस ढींगरा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य सरकार, अभियोजन पक्ष और पुलिस ने सही समय पर अपनी रिपोर्ट अपील अदालत में दाखिल नहीं की. इसकी वजह से केसों के रिकॉर्ड नष्ट हो गए. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 मामलों में राज्य सरकारें अपील दाखिल करें. दस वे FIR हैं जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था. जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तत्कालीन एसएचओ कल्याणपुरी ने दंगाइयों की सहायता की थी.
  • India | Written by: नवनीत मिश्र |मंगलवार दिसम्बर 18, 2018 04:23 PM IST
    1984 के सिख दंगे में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा हुई है. दंगे के वक्त राष्ट्रपति की कुर्सी पर भी एक सिख ज्ञानी जैल सिंह ही बैठे थे. जानिए, उन्होंने दंगा रोकने में खुद को क्यों असहाय पाया था ?
  • File Facts | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार दिसम्बर 17, 2018 11:09 PM IST
    1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को दोषी करार दिया है. सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा और पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. फैसला जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल ने सुनाया है. सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को हत्या, साजिश, दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का दोषी पाया गया. कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा और तब तक वह दिल्ली नहीं छोड़ सकते. सज्जन कुमार के अलावा नेवी के रिटायर्ड अधिकरी कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोकर और गिरधारी लाल को भी दोषी करार दिया है. इन तीनों को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनके अलावा पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोकर को भी दोषी करार पाया गया, जिन्हें निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी. अब हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) के अलावा कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल तथा पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. आइये आपको बताते हैं सज्जन कुमार से जुड़ी खास बातें.
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