भारतीय पहलवान सुशील कुमार (बाएं) और नरसिंह यादव की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
इसी साल अगस्त में होने वाले रियो ओलिंपिक में जाने के लिए एक दूसरे के खिलाफ खड़े दो विश्वस्तरीय पहलवानों सुशील कुमार और नरसिंह यादव की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि इन दोनों का इस्तेमाल भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की राजनीति में प्यादों की तरह न हो।
जस्टिस मनमोहन ने कहा, 'दोनों विश्वस्तरीय पहलवान हैं। उनका इस्तेमाल प्यादों की तरह नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता नहीं है दोनों इस बात को समझ रहे हैं कि वह क्या कर रहे हैं। यह सब महासंघ की राजनीति के कारण हो रहा है। यह आश्चर्यजनक है।'
सुशील की अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने यह बात सुशील की उस अपील की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें उन्होंने रियो ओलिंपिक में जाने के लिए 74 किलोग्राम वर्ग में नरसिंह के साथ ट्रायल कराने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान नरसिंह की तरफ से दलील दे रहे वरीष्ठ वकील निधेश गुप्ता ने कहा कि नरसिंह ने पिछले साल हुई विश्व चैम्पियनशिप में पदक हासिल कर भारत को ओलिंपिक में जगह दिलाई थी, जबकि सुशील ने जुलाई 2014 के बाद किसी भी स्पर्धा में हिस्सा नहीं लिया है।
1 जून को होगी अगली सुनवाई
गुप्ता ने कहा रियो के लिए क्वालीफाइ करने का समय सितंबर 2015 और मई 2016 के बीच का था, जोकि निकल चुका है। उन्होंने कहा कि रियो में जो खिलाड़ी हिस्सा लेंगे उनकी सूची सोमवार को भेजी जा चुकी है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 जून को होगी।
ओलिंपिक में दो बार मेडल दिला चुके हैं सुशील
सुशील ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में भारत को कांस्य पदक और 2012 लंदन ओलिंपिक में 66 किलोग्राम वर्ग में भारत को रजत पदक दिलाया था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ (एफआईएलए) ने 2014 में इस श्रेणी को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण सुशील को 74 किलोग्राम वर्ग में आना पड़ा, जहां उनका सामना नरसिंह से है जो भारत के इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पहलवान हैं।
सुशील चोट के कारण ओलिंपिक क्वालीफिकेशन में हिस्सा नहीं ले पाए थे और नरसिंह ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीतते हुए भारत को ओलिंपिक कोटा दिलाया था। ट्रायल कराने को लेकर बार-बार डब्ल्यूएफआई से न सुनने के बाद सुशील ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
जस्टिस मनमोहन ने कहा, 'दोनों विश्वस्तरीय पहलवान हैं। उनका इस्तेमाल प्यादों की तरह नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता नहीं है दोनों इस बात को समझ रहे हैं कि वह क्या कर रहे हैं। यह सब महासंघ की राजनीति के कारण हो रहा है। यह आश्चर्यजनक है।'
सुशील की अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की टिप्पणी
हाईकोर्ट ने यह बात सुशील की उस अपील की सुनवाई के दौरान कही, जिसमें उन्होंने रियो ओलिंपिक में जाने के लिए 74 किलोग्राम वर्ग में नरसिंह के साथ ट्रायल कराने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान नरसिंह की तरफ से दलील दे रहे वरीष्ठ वकील निधेश गुप्ता ने कहा कि नरसिंह ने पिछले साल हुई विश्व चैम्पियनशिप में पदक हासिल कर भारत को ओलिंपिक में जगह दिलाई थी, जबकि सुशील ने जुलाई 2014 के बाद किसी भी स्पर्धा में हिस्सा नहीं लिया है।
1 जून को होगी अगली सुनवाई
गुप्ता ने कहा रियो के लिए क्वालीफाइ करने का समय सितंबर 2015 और मई 2016 के बीच का था, जोकि निकल चुका है। उन्होंने कहा कि रियो में जो खिलाड़ी हिस्सा लेंगे उनकी सूची सोमवार को भेजी जा चुकी है। इस मामले की अगली सुनवाई 1 जून को होगी।
ओलिंपिक में दो बार मेडल दिला चुके हैं सुशील
सुशील ने 2008 बीजिंग ओलिंपिक में भारत को कांस्य पदक और 2012 लंदन ओलिंपिक में 66 किलोग्राम वर्ग में भारत को रजत पदक दिलाया था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ (एफआईएलए) ने 2014 में इस श्रेणी को समाप्त कर दिया था, जिसके कारण सुशील को 74 किलोग्राम वर्ग में आना पड़ा, जहां उनका सामना नरसिंह से है जो भारत के इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पहलवान हैं।
सुशील चोट के कारण ओलिंपिक क्वालीफिकेशन में हिस्सा नहीं ले पाए थे और नरसिंह ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीतते हुए भारत को ओलिंपिक कोटा दिलाया था। ट्रायल कराने को लेकर बार-बार डब्ल्यूएफआई से न सुनने के बाद सुशील ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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