बैंगलुरू:
कर्नाटक में विधान परिषद् चुनाव में जेडीएस के विद्रोही विधायकों ने कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में किया वोट किया है जिससे उनकी अपनी ही पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार के लिए परेशानी खड़ी होती नजर आ रही है। कर्नाटक में विधान परिषद् की 7 सीटों के लिए आज बेंगलुरु में चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने अपने खाते से 4 जेडीएस और बीजेपी ने दो दो उम्मीदवार उतारे हैं। एक उम्मीदवार की जीत के लिए 26 विधयाक चाहिए।कांग्रेस के 123 विधायक है लेकिन इसके खाते में सिर्फ 4 सीटें थी। जेडीएस के पास 40 विधायक हैं लेकिन पार्टी ने 2 उम्मीदवार उतारे हैं इस उम्मीद से की बीजेपी अपने 18 अतिरिक्त वोट उसे देगी। उधर बीजीपी के पास 44 विधायक हैं। लेकिन बीजेपी ने भी ये उम्मीद लगा रखी है कि आखिर में जेडीएस से तालमेल हो जाएगा और यही सोचकर उसने 2 उम्मीदवार उतारे हैं जिनमें येद्दयुरप्पा के खासमखास लहर सिंह शामिल हैं।
जेडीएस की समस्या आज चुनाव के दौरान तब बढ़ी जब उसके 5 बागी विधायकों के नेता ज़मीर अहमद ने जेडीएस की जगह कांग्रेस के उम्मीदवार रिज़वान अरशद को वोट दे दिया। हालाँकि जेडीएस के बाक़ी बागी उम्मीदवारों ने अब तक साफ़ नहीं किया है की उन्होंने किसको वोट दिया। विधान परिषद् की वोटिंग गुप्त मतदान के जरिए होती है।
अब गड़बड़ रहा है राज्यसभा चुनाव का गणित
जेडीएस के बागी विधायिकों के तेवरों ने शनिवार को होने वाले राज्ये सभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार फारूक की हालात पस्त कर दी है क्योंकि बागी खुलकर कह रहे हैं की वो कांग्रेस के उम्मीदवार राममूर्ति के पक्ष में वोट देंगे। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार के तौर पर, 12 निर्दलीय विधायकों की मदद से पूर्व आई पी एस अधिकारी राममूर्ति आराम से जीत जाएंगे।
राज्यसभा की 4 सीटों के लिए शनिवार को चुनाव होने हैं। जयराम रमेश और ऑस्कर फेर्नान्डिस के साथ राममूर्ति कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जीत के लिए 46 विधायक प्रति उम्मीदवार चाहिए। कांग्रेस के पास 122 विधायक हैं जबकि 12 निर्दलीय और 5 जेडीएस के बागियों की मदद से तीनों ही उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है वहीं बीजीपी के पास 44 सीटें हैं लेकिन दो अन्य की मदद से निर्मल सीतारमन की जीत भी तय मानी जा रही है।
लेकिन जेडीएस उम्मीदवार बिल्डर फ़ारूक़ का भविष्य अधर में लटक गया है। 40 सेटों वाली जेडीएस में बगावत के बाद संख्या 35 पर आ टिकी है ऐसे में 11 विधायकों की दूरी जेडीएस उम्मीदवार के लिए मौजूदा हालात में ऐसी खाई के सामान दिख रही है जिसे पाटा नहीं जा सकता।
जेडीएस की समस्या आज चुनाव के दौरान तब बढ़ी जब उसके 5 बागी विधायकों के नेता ज़मीर अहमद ने जेडीएस की जगह कांग्रेस के उम्मीदवार रिज़वान अरशद को वोट दे दिया। हालाँकि जेडीएस के बाक़ी बागी उम्मीदवारों ने अब तक साफ़ नहीं किया है की उन्होंने किसको वोट दिया। विधान परिषद् की वोटिंग गुप्त मतदान के जरिए होती है।
अब गड़बड़ रहा है राज्यसभा चुनाव का गणित
जेडीएस के बागी विधायिकों के तेवरों ने शनिवार को होने वाले राज्ये सभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार फारूक की हालात पस्त कर दी है क्योंकि बागी खुलकर कह रहे हैं की वो कांग्रेस के उम्मीदवार राममूर्ति के पक्ष में वोट देंगे। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार के तौर पर, 12 निर्दलीय विधायकों की मदद से पूर्व आई पी एस अधिकारी राममूर्ति आराम से जीत जाएंगे।
राज्यसभा की 4 सीटों के लिए शनिवार को चुनाव होने हैं। जयराम रमेश और ऑस्कर फेर्नान्डिस के साथ राममूर्ति कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। जीत के लिए 46 विधायक प्रति उम्मीदवार चाहिए। कांग्रेस के पास 122 विधायक हैं जबकि 12 निर्दलीय और 5 जेडीएस के बागियों की मदद से तीनों ही उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है वहीं बीजीपी के पास 44 सीटें हैं लेकिन दो अन्य की मदद से निर्मल सीतारमन की जीत भी तय मानी जा रही है।
लेकिन जेडीएस उम्मीदवार बिल्डर फ़ारूक़ का भविष्य अधर में लटक गया है। 40 सेटों वाली जेडीएस में बगावत के बाद संख्या 35 पर आ टिकी है ऐसे में 11 विधायकों की दूरी जेडीएस उम्मीदवार के लिए मौजूदा हालात में ऐसी खाई के सामान दिख रही है जिसे पाटा नहीं जा सकता।
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