लक्ष्मीकांत पारसेकर
इस बार गोवा विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर के भविष्य का फैसला करेंगे. वर्तमान में वह मेंड्रम विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और इस बार भी बीजेपी ने इन्हें इसी सीट से उतारा है. 4 जुलाई, 1956 को गोवा के परनेम ताल्लुका के हर्मल गांव में जन्मे पारसेकर को मनोहर पर्रिकर के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद नवंबर, 2014 में मुख्यमंत्री बनाया गया था.
पारसेकर ने पणजी के सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्ट्रक्शन एंड रिसर्च से एमएससी और बीएड किया है. वह हर्मल के एक स्कूल में प्रिंसिपल भी रहे हैं. मुख्यमंत्री बनाने जाने से पहले वह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहे. वह आरएसएस के भी काफी करीब रहे हैं.
गोवा में बीजेपी को मजबूत करने में पारसेकर की अहम भूमिका रही है. मेंड्रम विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2002 में उन्होंने एमजीपी के रमाकांत को 750 वोटों से मात दी. 2007 और 2012 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की.
एमजीपी के गठबंधन तोड़े जाने के बाद ये चुनाव जीतना बीजेपी के लिए मुश्किल हो गया है. दिसंबर 2016 में उन्होंने धावलीकर ब्रदर्स को मंत्रिमंडल से हटा दिया था. वह पिछले कुछ समय से लगातार राज्य सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे.
गोवा में 2012 में मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में बीजेपी ने बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए हालात आसान नहीं हैं. गोवा की 40 विधानसभा सीटों में से 21 सीटें बीजेपी के पास, 9 सीटें कांग्रेस और बाकी 10 सीटें छोटी क्षेत्रीय पार्टियों के पास हैं.
प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखा जाता रहा है. लेकिन आम आदमी पार्टी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इसके अलावा महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी, गोवा सुरक्षा मंच और शिवसेना का गठबंधन बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकता है.
पारसेकर ने पणजी के सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट इंस्ट्रक्शन एंड रिसर्च से एमएससी और बीएड किया है. वह हर्मल के एक स्कूल में प्रिंसिपल भी रहे हैं. मुख्यमंत्री बनाने जाने से पहले वह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रहे. वह आरएसएस के भी काफी करीब रहे हैं.
गोवा में बीजेपी को मजबूत करने में पारसेकर की अहम भूमिका रही है. मेंड्रम विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2002 में उन्होंने एमजीपी के रमाकांत को 750 वोटों से मात दी. 2007 और 2012 के चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल की.
एमजीपी के गठबंधन तोड़े जाने के बाद ये चुनाव जीतना बीजेपी के लिए मुश्किल हो गया है. दिसंबर 2016 में उन्होंने धावलीकर ब्रदर्स को मंत्रिमंडल से हटा दिया था. वह पिछले कुछ समय से लगातार राज्य सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे.
गोवा में 2012 में मनोहर पर्रिकर की अगुवाई में बीजेपी ने बहुमत की सरकार बनाई थी. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए हालात आसान नहीं हैं. गोवा की 40 विधानसभा सीटों में से 21 सीटें बीजेपी के पास, 9 सीटें कांग्रेस और बाकी 10 सीटें छोटी क्षेत्रीय पार्टियों के पास हैं.
प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखा जाता रहा है. लेकिन आम आदमी पार्टी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इसके अलावा महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी, गोवा सुरक्षा मंच और शिवसेना का गठबंधन बीजेपी की मुश्किल बढ़ा सकता है.
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