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World Environment Day 2022: जानिए कैसे जलवायु परिवर्तन सुंदरबन को प्रभावित कर रहा है

विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन की चलते हो रही गर्मी का सामना कर रहा है, जिससे भारत में 4.5 मिलियन मानव आबादी प्रभावित हो रही है.

  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ने सुंदरबन के लिए एक संवेदनशील खतरा पैदा कर दिया है. समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण ये निचले स्तर के मैंग्रोव वन भूमि में सिकुड़ते जा रहे हैं. तूफानों के आने और तटीय कटाव में वृद्धि के कारण, सुंदरबन हर तरह के गंभीर परिणामों से जूझ रहा है.
  • विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, चार द्वीप गायब हो गए हैं, जिससे सुंदरबन एक पूर्ण तबाही का स्थान बन गया है. यहां तक ​​​​कि, नासा लैंडसैट उपग्रह ने इस क्षेत्र में समुद्र के स्तर में वृद्धि की पुष्टि की है, जिससे दुनिया में तटीय क्षरण की सबसे तेज दर हो गई है.
  • इस तटीय कटाव के कारण, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के रूप में, प्रसिद्ध बंगाल टाइगर एक खतरा बन गए हैं, जिसके चलते स्थानीय लोगों का जीवन दांव पर लग गया है, क्योंकि उन्हें स्वयं ग्रामीणों सहित ग्रामीणों के पशुओं को निशाना बनाने के लिए मजबूर किया गया था.
  • पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव कवर 2011 में 1,038 वर्ग किमी से घटकर 2021 में 994 वर्ग किमी हो गया है, जिससे बाघों और मनुष्यों दोनों के लिए जीवन बचाना मुश्किल हो सकता है.
  • स्थानीय लोगों द्वारा ज्‍यादा पेड़ लगाना सुंदरबन में जीवन को बहाल करने के स्थायी उपायों में से एक रहा है. मैंग्रोव पौधों की प्रजातियों की बहाली को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि यह किसी भी आपदा से बचने के लिए एक प्रभावी ढाल होते हैं, यह मिट्टी के किनारों की रक्षा करती है और किसी भी जलवायु क्षति को भी कम करते हैं.
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