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Kushalta ke Kadam: USHA सिलाई स्कूल ने प्रीति को कुछ इस तरह किया प्रेरित

USHA सिलाई स्कूल का उद्देश्य हमेशा कमजोर लोगों को सशक्त बनाना और उन्हें आजीविका का बेहतर स्रोत प्रदान करना रहा है.

  • प्रीति कुशवाहा ने बहुत विनम्र शुरुआत की थी और अपने गांव की अन्य महिलाओं की तरह उन्हें भी अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी थी. उसके परिवार ने उसकी शादी 18 साल की उम्र में कर दी, जिसके बाद एक पत्नी के रूप में, उससे उम्मीद थी कि वह घर चलाने के लिए खुद को सीमित रखे, बच्चे पैदा करे और अपने पति की आय के साथ परिवार की देखरेख करे. लेकिन वह अपने और परिवार के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए दृढ़ थी.
  • 2011 में, उसे USHA सिलाई स्कूल के बारे में पता चला और उसने 7 दिन के आवासीय प्रशिक्षण लिया. अपने पति के समझाने के बाद, प्रीति ने सिलाई स्कूल से ट्रेनिंग ली और उषा इंटरनेशनल लिमिटेड से एक सिलाई मशीन, प्रमाण पत्र, साइनेज बोर्ड, सिलेबस बुक और एक सेवा पुस्तिका लेकर अपने गांव वापस आ गई. अब वह अपना खुद का सिलाई स्कूल शुरू करने के लिए तैयार थी.
  • उसके गांव में परिवार पहले इस कार्य को करने के इच्‍छुक नहीं थे, लेकिन फिर तीन छात्रों ने टेलरिंग स्कूल ज्‍वाइन किया. जैसे ही यह खबर गांव में फैली, साल के अंत तक उसके टेलरिंग स्कूल में 30 छात्र शामिल हो गए थे.
  • अब तक, प्रीति ने अपने गांव की 500 से अधिक महिलाओं और आस-पास के गांवों के लगभग 1,000 लोगों को ट्रेन किया है.
  • आज वह औसतन हर दिन 24 छात्रों को पढ़ाती है. उसके स्कूल में पांच सिलाई मशीनें हैं, जहाँ वह बुनियादी कपड़ों से लेकर कढ़ाई तक कई तरह के सिलाई से जुड़े कार्य सिखाती हैं. वह महिलाओं के लिए सिलाई सूट, फ्रॉक और अन्य कपड़ों से भी अच्छी कमाई करती हैं.
  • प्रीति की कड़ी मेहनत ने उनके संघर्ष के दिनों को पीछे छोड़ दिया. वह अब 20,000 प्रति माह से अधिक कमाती हैं.
  • प्रीति के अनुसार, USHA सिलाई स्कूल की मदद के साथ-साथ उनके पति के सहयोग और समर्थन ने उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
  • विपत्ति को एक अवसर में बदलकर, प्रीति ने न केवल अपना जीवन बदल दिया, उसने अपने बच्चों के भविष्य को भी बेहतर बनाया.
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