भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने बीते दिसंबर के शुरुआती सप्ताह में सिंगापुर में हुए फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रचा था. गुकेश चेस चैंपियनशिप के इतिहास में सबसे कम उम्र के चैंपियन बने थे. वहीं डी गुकेश ने अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी से मुलाकात की है. इस दौरान गौतम अदाणी ने भारतीय ग्रैंडमास्टर की उनकी शानदार उपलब्धि के लिए तारीफ की. बता दें, गुकेश ने 14 बाजी तक चले मुकाबले में डिंग की गलती का फायदा उठाया था और चैंपियनशिप 7.5 - 6.5 से जीती थी. गुकेश विश्वनाथन आनंद के बाद क्लासिकल में विश्व चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय बने थे.
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने गुकेश से मिलने के बाद ट्वीट किया,"मौजूदा विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश से मिलना और उनकी विजय गाथा सुनना अत्यंत सौभाग्य की बात थी. उनके माता-पिता, डॉ. रजनीकांत और डॉ. पद्मावती से मिलना भी उतना ही प्रेरणादायक था, जिनके बलिदान ने उनकी सफलता की नींव रखी."
गौतम अदाणी ने आगे लिखा,"महज 18 साल की उम्र में, गुकेश की शिष्टता और प्रतिभा, प्रमाण है कि भारत का युवा अब रुकेगा नहीं. उनके जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं, दशकों तक वैश्विक शतरंज पर हावी होने के लिए चैंपियनों की एक आर्मी तैयार कर रहे हैं. यह आत्मविश्वासी, पुनर्जीवित और उभरता हुआ भारत है. जय हिंद."
It was an absolute privilege to meet and hear the victory story of reigning World Chess Champion @DGukesh. Equally inspiring was meeting his incredible parents, Dr Rajinikanth and Dr Padmavathi, whose quiet sacrifices laid the foundation for his success.
— Gautam Adani (@gautam_adani) January 1, 2025
At just 18, Gukesh's… pic.twitter.com/CL12qIfSHY
गुकेश ने शतरंज के दिग्गज गैरी कास्परोव का चार दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था, जिन्होंने 1985 में 22 साल, 6 महीने और 27 दिन की उम्र में खिताब जीता था. गुकेश विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं. उनसे पहले पांच बार के चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने यह कारनामा किया था. हालांकि, 2013 में विश्वनाथन आनंद चेन्नई में नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से खिताब हार गए थे. कार्लसन ने 2023 में ताज छोड़ दिया था.
भारतीय युवाओं के शतरंज पर राज करने की गौतम अदाणी की भविष्यवाणी, वैशाली रमेशबाबू जैसे खिलाड़ी सच साबित कर रहे हैं. वैशाली को FIDE द्वारा ग्रैंडमास्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया है. कोनेरू हम्पी और हरिका द्रोणावल्ली के बाद वैशाली तीसरी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर हैं.
गुकेश के वर्ल्ड चैंपियन बनने से पहले, भारत की शतरंज टीम ने भी हंगरी में 45वें शतरंज ओलंपियाड में ओपन और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. महिला टीम ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में पहला स्वर्ण पदक हासिल किया था. साल का अंत कोनेरू हम्पी द्वारा पांच साल के अंतराल के बाद महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप हासिल करने और वैशाली द्वारा वर्ष के अंतिम दिन विश्व ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के साथ हुआ.
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