पेरिस में जारी ओलंपिक खेलों में दुनिया भर के खिलाड़ी मैदान पर अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं, तो उपलब्धियों के साथ-जाथ उनके त्याग, समर्पण और जज्बे की एक से बढ़कर एक मिसाल भी किस्से-कहानियों के रूप में सामने आ रही हैं. महाकुंभ में खेलने पहुंचे लगभग सभी खिलाड़ियों को तैयारियों के लिये पूरी सुविधायें दी जाती है, लेकिन जब खिलाड़ी युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान जैसे देश से हो तो उसे खेलों के इस महासमर में भाग लेने का अपना सपना पूरा करने के लिये छह हजार किलोमीटर और पांच देशों की यात्रा भी करनी पड़ सकती है. और कुछ ऐसा ही हुआ है अफगान जूडो खिलाड़ी अरब सिबगातुल्लाह के साथ, जो साल 2021 में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से भाग निकले. इसके बाद उन्होंने पांच देशों में शरण ली और आखिर में 6000 किलोमीटर का सफर तय करके जर्मनी पहुंचे. वह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की शरणार्थी टीम का हिस्सा हैं और पेरिस ओलंपिक में पुरुषों की जूडो स्पर्धा के 81 किलोवर्ग में उतरेंगे.
-81 round2
— 2024judo (@1974ay1) August 19, 2023
Sagi MUKI🇮🇱vs
Arab SIBGHATULLAH IRT pic.twitter.com/xACg7VYTdr
अफगानिस्तान में टीवी पर जूडो की विश्व चैम्पियनशिप देखकर उन्हें इस खेल से मुहब्बत हो गई लेकिन उनके शौक को परवान चढ़ाने का कोई जरिया नहीं था. तालिबान के कब्जे के बाद वह यूरोप भाग गए जिस समय उनकी उम्र सिर्फ 19 साल थी. उन्होंने कहा, ‘जब मैने अफगानिस्तान छोड़ा तो पता नहनीं था कि बचूंगा या नहीं, इतनी दिक्कतें झेली है.'
नौ महीने में उन्होंने ईरान, तुर्किये, यूनान, बोस्निया और स्लोवेनिया की यात्रा की और आखिर में जर्मनी में बस गए. उन्होंने कहा,‘ रास्ते में मेरी तबीयत बहुत बिगड़ गई थी और मैं तनाव में भी था. मोंशेंग्लाबाख में एक जूडो क्लब से जुड़े इस खिलाड़ी ने मैड्रिड में 2023 यूरोपीय ओपन में सातवां स्थान हासिल किया. उन्होंने कहा, ‘मेरे माता पिता अभी भी अफगानिस्तान में हैं और मुझसे रोज बात होती है. वे मुझे अच्छे प्रदर्शन के लिये प्रेरित करते हैं.'
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