जोधपुर:
यूं तो हल्के पीले रंग के कपड़े का घूंघट निकाले 31-वर्षीय सुमिता बिश्नोई बिल्कुल वैसी ही दिखती है, जैसी ग्रामीण राजस्थान की कोई भी अन्य महिला दिखाई देती है, लेकिन अंतर यह है कि वह इस वक्त जोधपुर पुलिस की हिरासत में है, जिनका मानना है कि सुनीता के नाम से भी जानी जाने वाली सुमिता बिश्नोई को पकड़कर वे पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े ड्रग तस्करी नेटवर्क को पकड़ने में कामयाब हो गए हैं.
पुलिस को दो दिन पहले इत्तफाक से सुमिता के बारे में पता चला था, जब उन्होंने दो लोगों को अफीम की तस्करी करते पकड़ा था. उन दोनों लोगों ने पुलिस को बताया कि वे सुनीता नामक महिला के आदेश पर यह काम कर रहे हैं. इसके बाद जोधपुर के बोरानाड़ा इलाके में बने सुमिता के शानदार चार-मंज़िला मकान पर छापा मारने गई पुलिस भौंचक्की रह गई, जब उन्हें उस मकान से न सिर्फ 76 ग्राम अफीम मिली, बल्कि उन्हें सिस्टमैटिक जीपीएस मॉनीटरिंग सिस्टम जैसा सबूत भी बरामद हुआ. इसके अलावा उन्हें कई लक्ज़री कारें में मिलीं, जिन्हें सुमिता कथित रूप से अफीम को लाने और ले जाने में इस्तेमाल करती थी.
बोरानाड़ा पुलिस थाना इंचार्ज (एसएचओ) इंस्पेक्टर अनवर खान ने बताया, "वह (सुमिता) छह साल पहले अपने पति के साथ जोधपुर आई थी, जो उससे पहले गांव में ड्राइवर का काम करता था, लेकिन जब वह (सुमिता का पति) ड्राइवर के रूप में काम करने के लिए कर्नाटक चला गया, तब सुमिता की पहचान राजूराम इकराम से हुई... राजूराम जाना-पहचाना शराब और ड्रग तस्कर है, और जालौर (राजस्थान) में हिस्ट्रीशीटर रह चुका है... उसी ने सुमिता की पहचान तस्करी की दुनिया से करवाई..."
एक साल पहले जब राजूराम को अफीम की तस्करी के आरोप में कुछ समय के लिए गिरफ्तार किया गया था, बताया जाता है कि उस वक्त सुमिता ने उसके नेटवर्क को अपने कब्ज़े में लेना शुरू कर दिया. सुमिता खुद गाड़ी चलाकर अफीम के खेती के लिए जाने जाने वाले मध्य प्रदेश के नीमच और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से अफीम की खेप लाने लगी थी, और इसके बाद उसे उसी के निर्देशों पर आगे भेजा जाता था. इसके अलावा सुमिता लक्ज़री कारों के नेटवर्क को भी व्यापक जीपीएस मॉनीटरिंग सिस्टम की मदद से घर से ही चलाती थी, जिनके ज़रिये अफीम की खेप को पश्चिमी राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जाता था. सुमिता ने कथित रूप से अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी नेटवर्क का हिस्सा बना लिया था.
पुलिस ने उसके चार-मंज़िला घर को सील कर दिया है, और उसके फरार हो चुके साथी राजूराम इकराम की तलाश की जा रही है. सुमिता के साथ उसके गैंग के चार अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं.
पुलिस को दो दिन पहले इत्तफाक से सुमिता के बारे में पता चला था, जब उन्होंने दो लोगों को अफीम की तस्करी करते पकड़ा था. उन दोनों लोगों ने पुलिस को बताया कि वे सुनीता नामक महिला के आदेश पर यह काम कर रहे हैं. इसके बाद जोधपुर के बोरानाड़ा इलाके में बने सुमिता के शानदार चार-मंज़िला मकान पर छापा मारने गई पुलिस भौंचक्की रह गई, जब उन्हें उस मकान से न सिर्फ 76 ग्राम अफीम मिली, बल्कि उन्हें सिस्टमैटिक जीपीएस मॉनीटरिंग सिस्टम जैसा सबूत भी बरामद हुआ. इसके अलावा उन्हें कई लक्ज़री कारें में मिलीं, जिन्हें सुमिता कथित रूप से अफीम को लाने और ले जाने में इस्तेमाल करती थी.
बोरानाड़ा पुलिस थाना इंचार्ज (एसएचओ) इंस्पेक्टर अनवर खान ने बताया, "वह (सुमिता) छह साल पहले अपने पति के साथ जोधपुर आई थी, जो उससे पहले गांव में ड्राइवर का काम करता था, लेकिन जब वह (सुमिता का पति) ड्राइवर के रूप में काम करने के लिए कर्नाटक चला गया, तब सुमिता की पहचान राजूराम इकराम से हुई... राजूराम जाना-पहचाना शराब और ड्रग तस्कर है, और जालौर (राजस्थान) में हिस्ट्रीशीटर रह चुका है... उसी ने सुमिता की पहचान तस्करी की दुनिया से करवाई..."
एक साल पहले जब राजूराम को अफीम की तस्करी के आरोप में कुछ समय के लिए गिरफ्तार किया गया था, बताया जाता है कि उस वक्त सुमिता ने उसके नेटवर्क को अपने कब्ज़े में लेना शुरू कर दिया. सुमिता खुद गाड़ी चलाकर अफीम के खेती के लिए जाने जाने वाले मध्य प्रदेश के नीमच और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से अफीम की खेप लाने लगी थी, और इसके बाद उसे उसी के निर्देशों पर आगे भेजा जाता था. इसके अलावा सुमिता लक्ज़री कारों के नेटवर्क को भी व्यापक जीपीएस मॉनीटरिंग सिस्टम की मदद से घर से ही चलाती थी, जिनके ज़रिये अफीम की खेप को पश्चिमी राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जाता था. सुमिता ने कथित रूप से अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी नेटवर्क का हिस्सा बना लिया था.
पुलिस ने उसके चार-मंज़िला घर को सील कर दिया है, और उसके फरार हो चुके साथी राजूराम इकराम की तलाश की जा रही है. सुमिता के साथ उसके गैंग के चार अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं.
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