मध्य प्रदेश के डिंडोरी में भारी बारिश से जिले के सभी नदी-नाले उफान पर हैं, वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार कर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले की मेंहदवानी विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत कछराटोला गांव के बच्चे उफनती सिलगी नदी को पैदल पार कर फुलवाही गांव स्थित स्कूल में पढ़ने जाते हैं. बता दें कि यह इलाका चारों तरफ जंगल और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस कारण यहां नदी का जलस्तर कभी भी अचानक बढ़ जाता है. नदी पार करने के दौरान यदि जलस्तर बढ़ता है तो हादसा कितना भयावह हो सकता है इसका अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है. इस मामले को जब इलाके के तहसीलदार के संज्ञान में लाया गया तब उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही उचित कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिया.
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गांव में स्कूल व नदी पर पुल बनाने की मांग नहीं सुनी
ओमकार मरकाम जिस जनजातीय कल्याण विभाग के मंत्री हैं, उसी विभाग की आदिवासी बाहुल्य इलाकों में समुचित शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है. दरअसल कछराटोला गांव के प्राथमिकशाला को चार साल पहले शिक्षा विभाग ने बंद कर दिया है. लिहाजा गांव के बच्चों को रोज जान की बाजी लगाकर नदी पार करते हुए पढ़ने के लिए फुलवाही गांव के स्कूल में जाना पड़ता है. अभिभावकों ने बताया कि नेता और अधिकारियों से गांव में स्कूल और नदी में पुल बनाने की मांग करते करते वे थक चुके हैं. किसी ने भी उनकी नहीं सुनी.
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हैरत की बात तो ये है कि डिंडोरी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम का गृह जिला है. मंत्री ओमकार मरकाम जिस जनजातीय कल्याण विभाग के मंत्री हैं, उसी विभाग की आदिवासी बाहुल्य इलाकों में समुचित शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी होती है. लेकिन जब मंत्री जी के जिले में यह हाल है तो प्रदेश के अन्य इलाकों में शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
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