लोकसभा चुनाव 2019: दिल्ली में कांग्रेस-AAP के बीच नहीं होगा गठबंधन: सूत्र

बताया जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को राज्य में एक भी सीट देने से मना कर दिया. जिसके चलते आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली है.

लोकसभा चुनाव 2019: दिल्ली में कांग्रेस-AAP के बीच नहीं होगा गठबंधन: सूत्र

कांग्रेस ने दिल्ली के सभी पूर्व सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.

नई दिल्ली:

दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (Congress-AAP Alliance) के बीच गठबंधन नहीं होगा. सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) दिल्ली में कांग्रेस (Congress) को तीन सीट दे रही थी, जिसके बदले हरियाणा में तीन सीट मांग रही थी. लेकिन इस पर सहमति नहीं बनी. बताया जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को राज्य में एक भी सीट देने से मना कर दिया. जिसके चलते आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस से दूरी बना ली है. सूत्रों के मुताबिक मंगलवार शाम कांग्रेस की उच्चस्तरीय बैठक में गठबंधन की संभावना खत्म करके दिल्ली के सभी पूर्व सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है.

दक्षिणी दिल्ली से पूर्व सांसद रमेश कुमार,  नई दिल्ली से अजय माकन, पूर्वी दिल्ली से संदीप दीक्षित या शीला दीक्षित, पश्चिमी दिल्ली से महाबल मिश्रा, चांदनी चौक से कपिल सिब्बल, उत्तरी पूर्वी दिल्ली से जयप्रकाश अग्रवाल और उत्तरी पूर्वी दिल्ली की कांग्रेसी सांसद कृष्णा तीरथ के बीजेपी में जाने की वजह से यहां से राजकुमार चौहान लड़ सकते हैं.  

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वहीं सिख दंगों में सजा काट रहे सज्जन कुमार के भाई पूर्व सांसद रमेश कुमार अपने भतीजे जगप्रवेश का नाम आगे किया था. लेकिन सज्जन कुमार के बेटे पर सहमति नहीं बनी है. बताया जा रहा है कि गुरुवार को कांग्रेस की चुनाव समिति की अंतिम बैठक में दिल्ली में टिकट का फैसला हो सकता है. जिसके बाद कभी भी कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची आ सकती है.

क्या है आंकड़ों का गेम
साल 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ें देखें तो दिल्ली में भाजपा ने 46.63 फीसदी वोटों के साथ सातों सीटों पर कब्जा कर लिया था. वहीं अगर आम आदमी पार्टी के वोट फीसद देखें तो वह 33.08 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर थी. कांग्रेस को 42.01 फीसदी वोटों का नुकसान हुआ था, उसका आंकड़ा 15.22 फीसदी ही पहुंच पाया. अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट फीसद को जोड़ा जाए तो यह 48 फीसदी से ज्यादा जा रहा है, जो कि भाजपा से ज्यादा है. ऐसे में दोनों पार्टियों का सोचना है कि साथ चुनाव लड़ने से दोनों को फायदा होगा और भाजपा को हराने में मदद मिलेगी.

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कांग्रेस के सर्वे में क्या है खास
दिल्ली कांग्रेस प्रदेश कमेटी से जुड़े एक नेता ने एनडीटीवी को बताया, 'पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के राज्य ईकाई की बात मानने और आप के साथ गठबंधन न करने का फैसला लेने के बाद वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें इस फैसले पर दोबारा से विचार करने के लिए कहा था. कांग्रेस ने इसके लिए एक सर्वे करवाया, जिसमें भाजपा (BJP) को 35 फीसदी वोटों के साथ आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस से आगे दिखाया गया है. वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे राहुल गांधी को दिखाया गया, जिसमें आम आदमी पार्टी को 28 फीसदी, कांग्रेस को 22 फीसदी और भाजपा को 35 फीसदी वोट मिल रहे थे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाता है तो दिल्ली की सातों सीटें गठबंधन के खाते में आ जाएंगी.'

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