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This Article is From May 01, 2019

Ground Report: गोरखपुर में आसान नहीं BJP उम्मीदवार रवि किशन की डगर, निषाद वोटरों की नाराजगी पड़ न जाए भारी!

भोजपुरी फिल्मों के हीरो और साउथ इंडियन फिल्मों के नामी विलेन रवि किशन (Ravi Kishan) आज उत्तर प्रदेश की सबसे वीवीआईपी सीट पर बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी की भूमिका में हैं.

यूपी के गोरखपुर से बीजेपी उम्मीदवार हैं भोजपुरी अभिनेता रवि किशन.

गोरखपुर:

भोजपुरी फिल्मों के हीरो और साउथ इंडियन फिल्मों के नामी विलेन रवि किशन (Ravi Kishan) आज उत्तर प्रदेश की सबसे वीवीआईपी सीट पर बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी की भूमिका में हैं. लखनऊ नंबर की इंडेवर गाड़ी की खुली छत पर भगवा कुर्ते में उनका जनसंपर्क सुबह 9 बजे से शुरू हो जाता है. पिछली बार बीजेपी की हार से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है. उनमें जान फूंकने के लिए रवि किशन और उनकी पत्नी प्रीति भरसक प्रयास कर रही हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि रवि किशन बातचीत में सहज हैं और लोगों को सेल्फी लेने के लिए सुलभ हैं. रवि किशन ने बाहरी के ठप्पा से बचने के लिए मोहद्दीपुर में एक बहुमंजिला अपार्टमेंट में चार कमरे का फ्लैट करीब सवा करोड़ रुपये में खरीदा है. उनकी पत्नी प्रीति भी मुंबई की घर गृहस्थी छोड़कर गोरखपुर पहुंच चुकी हैं. रविकिशन पिछली बार जौनपुर में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लिहाजा इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने को समर्थक राजनीतिक व्यवहारिकता कहते हैं, लेकिन विपक्षी इसे खूब मुद्दा बना रहे हैं. 

2014 में कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ चुके रवि किशन को इस बार BJP ने गोरखपुर सीट से क्यों उतारा, जानें उन्हीं की जुबानी

इसके जवाब में रवि किशन कहते हैं कि पिछली बार बीजेपी ने उन्हें टिकट ऑफर किया था, लेकिन तब उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हारने के बाद एक बार भी किसी का फोन नहीं आया था. इससे दुखी होकर मैं बीजेपी में शामिल हो गया.

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चुनाव प्रचार करते बीजेपी उम्मीदवार रवि किशन.

गोरखपुर से टिकट कैसे मिला?
यूपी में गोरखपुर की सबसे प्रतिष्ठित सीट मानी जाती है. ऐसे में रवि किशन को सपने में भी अहसास नहीं था कि ये सीट उनको खुद योगी आदित्यनाथ देंगे. रवि किशन बताते हैं कि मुझे जौनपुर, भदोही या सिद्धार्थनगर से उम्मीद थी, लेकिन एक दिन केरल में शूटिंग के दौरान दोपहर दो बजे फोन आया. महराज जी ने कहा कि गोरखपुर से चुनाव लड़ना है. फिर अमित शाह जी का आदेश हुआ. अब रहने वाला जरूर जौनपुर का हूं, लेकिन गोरखपुर में मामखोर एक जगह है वहीं से मेरा परिवार ताल्लुक रखता है.

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गोरखपुर के सियासी समीकरण में उलझे रवि किशन
गोरखपुर में सबसे ज्यादा निषाद के 3.50 लाख वोटर हैं, फिर करीब डेढ़ लाख मुसलमान, 2 लाख यादव, 2 लाख दलित, करीब तीन लाख ब्राहम्ण, 80 हजार राजपूत और छोटी बड़ी कई जातियां है. लोकसभा उपचुनाव में यहां से बीजेपी के उपेंद्र शुक्ला करीब 20, 000 वोटों से सपा उम्मीदवार प्रवीण निषाद से हार गए थे. रवि किशन का काफिला निकलते ही लेबर चौक पर छोटी जनरल स्टोर की दुकान चला रहे महेश निषाद हथेली से सुर्ती ठोंकते कहते हैं कि बाबू रवि किशन की डगर मुश्किल बा. प्रवीण निषाद का टिकट मिलत न तो वो जीत लिहिस रहा. 

महेश निषाद जैसे वोटर का राम भुआल निषाद के प्रति हमदर्दी है और गोरखपुर लोकसभा जीत चुके उम्मीदवार प्रवीण निषाद को गोरखपुर से न लड़ाने पर बीजेपी के खिलाफ नाराजगी है. यहां से आगे बढ़ने पर राजेंद्र नगर के रहने वाले मंयक मिश्रा कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने पैराशूट उम्मीदवार इसलिए उतारा है, ताकि उनका सियासी भविष्य पक्का रहे. गोरखपुर के लोकल लीडरों में अंदरखाने इस बात को लेकर नाराजगी है. गोरखपुर में बीजेपी की राह आसान नहीं दिख रही है. मैंने जब ये सवाल रवि किशन से पूछा तो उन्होंने अति आत्मविश्वास से कहा कि आपको अंदाजा है हम हर घर पहुंचेंगे और लोगों को समझाएंगे. हमारे पास सभी जाति का समर्थन है. खैर चुनावी हार जीत 23 मई को पता चलेगा, लेकिन मुकाबला कांटे का है. बता दें कि गोरखपुर में अंतिम चरण में 19 मई को चुनाव होने हैं. बता दें कि गोरखपुर में रवि किशन का मुकाबला कांग्रेस के मधुसूदन तिवारी और समाजवादी पार्टी के राम भूवल निषाद से होगा.

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