देश पर मौजूदा समय में शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनसंघ से बनी एक पार्टी है. देश के 11 राज्यों में भाजपा की सरकार है. जबकि कई राज्यों में वह स्थानीय पार्टी के साथ गठबंधन कर सत्ता में है. भाजपा के बारे में कुछ भी जानने से पहले जनसंघ के बारे में जानना जरूरी है. बता दें कि जनसंघ का आरम्भ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में किया था. 1977 में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण के लिए ही जनसंघ का अन्य दलों के साथ विलय हो गया था. इसके बाद ही 1977 में कांग्रेस पार्टी को 1977 के आम चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि, तीन साल तक शासन करने के बाद जनता पार्टी टूट गई. इसके बाद ही वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी बनी. अपने अस्तित्व में आने के बाद कुछ वर्षों तक पार्टी असफल रही थी. स्थिति कुछ ऐसी थी कि भारतीय जनता पार्टी 1984 में हुए चुनाव में महज दो लोकसभा सीटें ही जीत पाई थी.
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कहा जाता है कि इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी. कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये 1996 में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो केवल 13 दिन चली. 1998 में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी. एक साल के शासन के बाद आम-चुनावों में राजग को दोबारा से बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया. अटल बिहारी वाजपेयी की यह सरकार देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया हो. हालांकि, इसके बाद पार्टी को 2004 के आम चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. इसका असर कुछ ऐसा हुआ कि पार्टी को अगले दस साल तक विपक्ष की भूमिका में ही रहना पड़ा. इसके बाद राजग को एक बार फिर 2014 के आम चुनावों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और राजग ने 2014 में सरकार बनाई.
भारतीय जनसंघ की स्थापना
जनसंघ के नाम से प्रसिद्ध भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने 1951 में की थी. इसे व्यापक रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राजनीतिक शाखा के रूप में जाना जाता था, जो स्वैच्छिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवादी संघटन है और जिसका उद्देश्य भारतीय की "हिन्दू" सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और कांग्रेस तथा प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू के मुस्लिम और पाकिस्तान को लेकर तुष्टीकरण को रोकना था.जनसंघ का पहला अभियान जम्मू और कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय के लिए आंदोलन था. मुखर्जी को कश्मीर में प्रतिवाद का नेतृत्व नहीं करने के आदेश मिले थे. आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जिनका कुछ माह बाद दिल का दौरा पड़ने से जेल में ही निधन हो गया.
संघटन का नेतृत्व दीनदयाल उपाध्याय को मिला और आखिरकार अगली पीढ़ी के नेताओं जैसे अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को मिला. हालांकि, उपाध्याय सहित बड़े पैमाने पर पार्टी कार्यकर्ता आरएसएस के समर्थक थे. कश्मीर आंदोलन के विरोध के बावजूद 1952 में पहले लोकसभा चुनावों में जनसंघ को लोकसभा में तीन सीटें प्राप्त हुई. वो 1967 तक संसद में अल्पमत में रहे. इस समय तक पार्टी कार्यसूची के मुख्य विषय सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून, गोहत्या पर प्रतिबंध लगाना और जम्मू एवं कश्मीर के लिए दिया विशेष दर्जा खत्म करना थे.
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जनता पार्टी की स्थापना
1975 में प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया. जनसंघ ने इसके विरूद्ध व्यापक विरोध आरम्भ कर दिया जिससे देशभर में इसके हज़ारों कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया. 1977 में आपातकाल ख़त्म हुआ और इसके बाद आम चुनाव हुये. इस चुनाव में जनसंघ का भारतीय लोक दल, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ विलय करके जनता पार्टी का निर्माण किया गया और इसका प्रमुख उद्देश्य चुनावों में इंदिरा गांधी को हराना था. 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी को विशाल सफलता मिली और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी. उपाध्याय के 1979 में निधन के बाद जनसंघ के अध्यक्ष अटल बिहारी बाजपेयी बने थे, उन्हें इस सरकार में विदेश मंत्री का कार्यभार मिला.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना
भारतीय जनता पार्टी 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद नवनिर्मित पार्टियों में से एक थी. हालांकि तकनीकी रूप से यह जनसंघ का ही दूसरा रूप था, इसके अधिकतर कार्यकर्ता इसके पूर्ववर्ती थे और वाजपेयी को इसका प्रथम अध्यक्ष बनाया गया. इतिहासकार रामचंद्र गुहा लिखते हैं कि जनता सरकार के भीतर गुटीय युद्धों के बावजूद, इसके कार्यकाल में आरएसएस के प्रभाव को बढ़ते हुये देखा गया जिसे 1980 के पूर्वार्द्ध की सांप्रदायिक हिंसा की एक लहर द्वारा चिह्नित किया जाता है. इस समर्थन के बावजूद, भाजपा ने शुरूआत में अपने पूर्ववर्ती हिन्दू राष्ट्रवाद का रुख किया इसका व्यापक प्रसार किया. उनकी यह रणनीति असफल रही और 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल दो लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा. चुनावों से कुछ समय पहले ही इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद भी काफी सुधार नहीं देखा गया और कांग्रेस रिकार्ड सीटों के साथ जीत गई.
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राजग सरकार
1996 में कुछ क्षेत्रिय दलों ने मिलकर सरकार गठित की लेकिन यह सामूहीकरण लघुकालिक रहा और अर्धकाल में ही 1998 में चुनाव करवाने पड़े. भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नामक गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी जिसमें इसके पूर्ववरीत सहायक जैसे समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और शिव सेना शामिल थे और इसके साथ ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और बीजू जनता दल भी इसमें शामिल थी. इन क्षेत्रिय दलों में शिव सेना को छोड़कर भाजपा की विचारधारा किसी भी दल से नहीं मिलती थी. उदाहरण के लिए अमर्त्य सेन ने इसे "अनौपचारिक" (एड-हॉक) सामूहिकरण कहा था.बहरहाल, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के बाहर से समर्थन के साथ राजग ने बहुमत प्राप्त किया और वाजपेयी पुनः प्रधानमन्त्री बने. हालांकि, गठबंधन 1999 में उस समय टूट गया जब अन्ना द्रमुक नेता जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया और इसके बाद आम चुनाव दोबारा हुए.
सन् 2000 में पीएम वाजपेयी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन. वाजपेयी के नेतृत्व में भारत-रूस सैन्य सम्बंधों को प्रतिक्षिप्त किया गया जिसमें कुछ सैन्य समझौते भी हुये.13 अक्टूबर 1999 को भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को बिना अन्ना द्रमुक के पूर्ण समर्थन मिला और संसद में 303 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त किया. भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुये 183 सीटों पर विजय प्राप्त की. वाजपेयी तीसरी बर पीएम बने और आडवाणी उप-प्रधानमंत्री व गृहमंत्री बने. इस भाजपा सरकार ने अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण किया. यह सरकार वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों व सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही.
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2014 के आम चुनावों में बीजेपी की जीत
2014के आम चुनावों में भाजपा ने 282 सीटों पर जीत प्राप्त की और इसके नेतृत्व वाले राजग को 543 लोकसभा सीटों में से 336 सीटों पर जीत प्राप्त हुई. यह 1984 के बाद पहली बार था कि भारतीय संसद में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला. भाजपा संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी को 26 मई 2014 को भारत के 15वें प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी.
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