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This Article is From Jan 23, 2017

'जश्न-ए-तहजीब' में साहित्य के रंग में डूबे श्रोता

'जश्न-ए-तहजीब' में साहित्य के रंग में डूबे श्रोता
नई दिल्‍ली: सांस्कृतिक कार्यक्रम 'जश्न-ए-तहजीब' में मीडियाकर्मी तेजेंद्र शर्मा ने जहां कहानी कहने के अपने अलग अंदाज से श्रोताओं को झकझोर दिया, वहीं साहित्य के रंग में डूबे इस कार्यक्रम में अपने अंदाज के लिए मशहूर प्रसिद्ध गजलकार शकील अहमद उपस्थित श्रोताओं की वाहवाही लूटी. गैर सरकारी संस्था साक्षी द्वारा पिछले वर्ष से शुरू किए गए 'साक्षी इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ कल्चर' के अंतर्गत 'जश्न-ए-तहजीब' श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में कवि व पत्रकार प्रताप सोमवंशी की गजलों का संग्रह 'दास्तां कहते कहते, इतवार छोटा पड़ गया' का विमोचन भी किया गया. 

'सुन लो कहानी तेज की जुबानी' भाग के अंतर्गत तेजेंद्र शर्मा ने 'मौत - एक मध्यांतर' से उपस्थित श्रोताओं को रूबरू कराया. विषय बहुत संजीदा और चौंकाने वाला था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने इस कथा का रूपांतरण किया वह दिल छूने वाला रहा. कहानी ऐसे पात्र की थी जो कैंसर से पीड़ित है और उसके पास बहुत कम समय है.

प्रताप सोमवंशी का गजल संग्रह 'दास्तां कहते कहते, इतवार छोटा पड़ गया' के साथ उन्होंने इस दास्तां के विषय में बताया. किस तरह से जिंदगी के विभिन्न पहलुओं में जिंदगी की दास्तां चलती चली जा रही है, हर वर्ग एक ऐसी दास्तां में लिप्त है, जहां बहुत कहानियां हैं और यह जिंदगी की छोटी-बड़ी दास्तां ऐसी हैं जो जब मिलती हैं तो संपन्न हो जाती है.

कार्यक्रम का तीसरा व अंतिम पड़ाव गजलों का रहा, जहां उस्ताद शकील अहमद ने अपने चिर-परिचित अंदाज में प्रताप सोमवंशी के संग्रह सहित कुछ अन्य गजलें प्रस्तुत कीं और जमकर वाह-वाही लूटी.

मौके पर प्रख्यात गजलकार व शायर फरहत शहजाद भी उपस्थित थे. उन्होंने कार्यक्रम को एक अच्छा प्रयास बताते हुए कहा, जीवन के अलग-अलग पड़ाव के चलते कहानियों, किस्सों, गीत, गजल को जन्म मिलता है और जिस तरह से तेजेंद्र शर्मा ने अपने अंदाज में कहानी को बयां किया, प्रताप सोवंशी ने सरल व संजीदा अंदाज में गजलों को लिखा और उस पर शकील अहमद की गायकी एक शानदार व अपनी तरह का जश्न मनाने जैसा है.

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Literature, साहित्य, Jashn E Tehzeeb, जश्न-ए-तहजीब