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World Homeopathy Day 2025: 10 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड होम्योपैथी डे? जानें इस दिन का इतिहास, इस साल की थीम और होम्योपैथी से जुड़े मिथक

World Homeopathy Day: 10 अप्रैल के दिन को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास, उद्देश्य और वर्ल्ड होम्योपैथी डे 2025 की थीम-

World Homeopathy Day 2025: 10 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड होम्योपैथी डे? जानें इस दिन का इतिहास, इस साल की थीम और होम्योपैथी से जुड़े मिथक
World Homeopathy Day: आइए जानते हैं 10 अप्रैल के दिन ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड होम्योपैथी डे-

World Homeopathy Day 2025 Date: हर साल 10 अप्रैल के दिन को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य होम्योपैथी और उसके सिद्धांतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, नेचुरल ट्रीटमेंट और मिनिमल साइड इफेक्ट पर इसके जोर को उजागर करना,  इससे जुड़े मिथकों को दूर करना और दुनिया भर में चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और होम्योपैथी के समर्थकों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करना है. ऐसे में आइए जानते हैं होम्योपैथी दिवस का इतिहास (World Homeopathy Day History), इस दिन को मनाने के लिए 10 अप्रैल की तारीख ही क्यों चुनी गई, साथ ही जानेंगे वर्ल्ड होम्योपैथी डे 2025 की थीम (World Homeopathy Day 2025 Theme).

10 अप्रैल के दिन ही क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड होम्योपैथी डे? 

बता दें कि वर्ल्ड होम्योपैथी डे, होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन (Samuel Hahnemann) की जयंती का प्रतीक है. डॉ. हैनिमैन का जन्म 10 अप्रैल 1755 में जर्मनी में हुआ था. उन्होंने साल 1796 में होम्योपैथी की खोज की थी. डॉ. सैमुअल हैनीमैन को होम्योपैथी का जनक माना जाता है, ऐसे में उनकी जयंती के दिन वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाया जाता है. 

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क्या है वर्ल्ड होम्योपैथी डे 2025 की थीम? (World Homeopathy Day 2025 Theme)

हर साल इस खास दिन को मनाने के लिए एक खास थीम तक की जाती है. वहीं, वर्ल्ड होम्योपैथी डे 2025 की थीम  'अध्ययन, अध्यापन, अनुसंधान' (Adhyayan, Adhyaapan, Anusandhaan) तय की गई है. यह थीम होम्योपैथी की ग्रोथ के तीन फंडामेंटल पिलर्स पर प्रकाश डालती है. 

होम्योपैथी से जुड़े कुछ आम मिथक और उनका सच

बता दें कि होम्योपैथी के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं. यहां हम कुछ ऐसे ही सामान्य मिथकों और उनके पीछे के तथ्यों के बारे में बता रहे हैं.

मिथक नंबर 1- होम्योपैथी की दवाइयां हमेशा स्लो काम करती हैं

तथ्य- होम्योपैथी की दवा हमेशा स्लो काम नहीं करती हैं. बल्कि इन दवाओं का इस्तेमाल सर्दी, खांसी, बुखार और दस्त जैसी एक्यूट डिजीज के इलाज में भी किया जाता है. यानी इन दवाओं का असर तुरंत भी होता है और इससे पीड़ित को बिना किसी साइड इफेक्ट के आराम मिल जाता है. हालांकि, गंभीर मामलों में पारंपरिक चिकित्सा की सलाह लेना जरूरी है.

मिथक नंबर 2-​ होम्योपैथिक उपचारों में भारी मात्रा में स्टेरॉयड होते हैं

तथ्य- ऐसा नहीं है. इससे अलग होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक स्रोतों जैसे पौधों और मिनरल्स से बनाई जाती हैं. अन्य दवाओं की तरह ही होम्योपैथिक दवाएं भी सख्त दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार की जाती हैं. इसके बाद ये सुरक्षा की जांच के लिए गुणवत्ता जांच से भी गुजरती हैं.

मिथक नंबर 3- होम्योपैथी केवल पुरानी (chronic) बीमारियों के लिए है

तथ्य- होम्योपैथी पुरानी बीमारियों के इलाज में प्रभावी होती है, लेकिन इसके साथ ही ये तीव्र स्थितियों में भी तेजी से काम कर सकती है. 

मिथक नंबर 4- होम्योपैथी में सर्जरी की जरूरत नहीं होती

तथ्य- होम्योपैथी के ज्यादातर मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है लेकिन अन्य चिकित्सा प्रणालियों की तरह, होम्योपैथी भी अपनी सीमाएं रखती है. गंभीर मामलों में होम्योपैथिक डॉक्टर भी सर्जरी या अन्य चिकित्सा हस्तक्षेप को जरूरी बताते हैं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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