Parenting Tips: हर नए माता-पिता की एक आम परेशानी होती है कि उनका बच्चा दिनभर सोता रहता है और रात को जागने लगता है. इससे मां-बाप को ठीक से नींद नहीं मिल पाती और बच्चे का रूटीन भी बिगड़ जाता है. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार हो सकता है. इसे लेकर गाइनेकोलॉजिस्ट सोनिया गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में डॉक्टर ने बताया कि जन्म के बाद बच्चे को दिन और रात का फर्क समझने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए हमें ही बच्चे को यह फर्क सिखाना होता है. आइए जानते हैं क्या कहती हैं एक्सपर्ट-
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कैसे ठीक करें बच्चे की आदत?
डॉक्टर गुप्ता बताती हैं, शुरुआत के कुछ हफ्तों में बच्चे का स्लीप साइकिल पूरी तरह सेट नहीं होता. वह गर्भ में रहते समय 24 घंटे में कभी भी सोने-जागने का आदी होता है. इसलिए जन्म के बाद भी उसे समझ नहीं आता कि दिन कब है और रात कब. ऐसे में माता-पिता कुछ साधारण तरीके अपनाकर बच्चे की आदत सुधार सकते हैं. इसके लिए-
दिन में बच्चे को एक्टिव रखेंदिन के समय बच्चे को थोड़ी रोशनी में रखें ताकि उसे समझ आए कि अब दिन है. बच्चे को हल्की धूप दिखाएं, उससे बातें करें, उसकी मालिश करें और उसे एक्टिव रखने की कोशिश करें. ऐसा करने से बच्चा धीरे-धीरे दिन के समय जागने की आदत डाल लेगा.
रात को वातावरण शांत रखेंजैसे-जैसे दिन ढलने लगे, कमरे की लाइट को कम कर दें. रात के समय जब बच्चे को फीड कराना हो या डाइपर बदलना हो, तो तेज लाइट जलाने से बचें. कोशिश करें कि आप बच्चे से बात न करें और माहौल पूरी तरह शांत रखें. इससे बच्चे को संकेत मिलेगा कि यह सोने का समय है.
कुछ हफ्तों में दिखेगा असरडॉक्टर बताती हैं, अगर माता-पिता नियमित रूप से यह रूटीन अपनाते हैं, तो बच्चा धीरे-धीरे दिन और रात का अंतर समझने लगेगा. आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों में बच्चे की नींद की आदतें सुधरने लगती हैं और वह रात में ज्यादा देर तक सोने लगता है.
डॉक्टर सोनिया गुप्ता कहती हैं कि बच्चे का स्लीप पैटर्न ठीक करने के लिए धैर्य जरूरी है. अगर माता-पिता थोड़ी समझदारी से दिन-रात का माहौल बनाएं, तो बच्चा जल्दी ही इस नए रूटीन में ढल जाता है. इससे न केवल बच्चे को अच्छी नींद मिलती है बल्कि माता-पिता को भी आराम का समय मिल पाता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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