
Aamir Khan Silent Treatment: 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' के नाम से मशहूर आमिर खान अक्सर अपने रिलेशनशिप को लेकर चर्चाओं में बने ही रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपने एक रेड फ्लैग का खुलासा किया था जिसके कई वीडियोज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. दरअसल, उन्होंने पति-पत्नि के बीच होने वाले साइलेंट ट्रीटमेंट के बारे में बताया था. अगर आप भी छोटी सी अनबन होने के बाद अपनी पत्नी से आमिर खान जैसे नाराज हो जाते हैं या कहें कि खामोशी रख लेते हैं तो ये जानना बहुत जरूरी है कि ये कितना सही है. इसी पर काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, थेरेपिस्ट श्रीधर ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया और बताया कि ये करना सही है कि नहीं. आइए जानते हैं.
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क्या है आमिर खान का रेड फ्लैग?
आमिर खान बताते हैं कि एक बार उनकी पत्नी किरन से किसी बात पर अनबन हो गई थी जिससे वो बहुत हर्ट हुए थे. इसके बाद उन्होंने अपनी वाइफ से बात करना बंद कर दिया था. इसके बाद आमिर खान और किरण राव एक ही कमरे में रह रहे थे और साथ सो रहे थे, लेकिन आमिर उनकी बातों का कोई जवाब नहीं दे रहे थे और बातचीत को बिल्कुल सीमित रख रहे थे. इस व्यवहार से आमिर जताना चाहते थे कि वह अपनी पत्नी से बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. यह साइलेंट ट्रीटमेंट ऐसे ही 4 दिन तक चला. चौथे दिन जब किरन ने आमिर से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर एक समय ऐसा आया कि उनकी पत्नी रोने लगीं और कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करें. इस पूरे किस्से को आमिर एक रेड फ्लैग बताते हैं.
साइलेंट ट्रीटमेंट पर क्या बोले थेरेपिस्ट?काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, थेरेपिस्ट श्रीधर बताते हैं कि ये साइलेंट ट्रीटमेंट वाला व्यवहार बहुत आम है. लोग ऐसा क्यों करते हैं इसके पीछे के तीन कारण हैं
- - लोग अपनी खामोशी से सामने वाले को ये एहसास दिलाना चाहते हैं कि तुमने बहुत दुख पहुंचाया है और ये बहुत बड़ी बात है.
- - दूसरा कारण ये है कि लोग चाहते हैं कि सामने वाला भी तड़पे, अंदर एक बदले की भावना आती है कि तुमने मुझे इतना हर्ट किया था और अब तुम भी मेरे से बात करने के लिए तड़पो.
- - तीसरा कारण है कि इस साइलेंट ट्रीटमेंट से सामने वाला अपनी गलती मान ले और आकर सॉरी बोल दे.
थेरेपिस्ट बताते हैं कि एक रिलेशनशिप में साइलेंट ट्रीटमेंट बिल्कुल भी हेल्दी नहीं है. ये व्यवहार बस एक तरह का इमोशनल ब्लैकमेल है, जिससे सामने वाला कुछ सीखता नहीं और सॉरी भी एकदम नकली होता है. इस सॉरी से बस इगो ही शांत होता लेकिन सामने वाला कुछ सीखता नहीं है. अक्सर लोग इस नकली सॉरी के लिए अपने 4 दिन भी बर्बाद कर देते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसी स्थिति में कॉम्युनिकेशन करना ही सबसे अच्छा और बेहतर होता है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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