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बच्‍चा हर वक्‍त करता है च‍िड़च‍िड़ तो एक्‍सपर्ट की बताई ट्र‍िक आजमाइए, फ‍िर हर कोई कहेगा हंसमुख है लाडला

Neuro Parenting: अगर आप भी चाहते हैं कि आपके बच्चे हमेशा ही खुश रहें और हंसते-खेलते बड़े हों तो यहां बताए डॉक्टर के टिप्स आपके बेहद काम आएंगे. 

बच्‍चा हर वक्‍त करता है च‍िड़च‍िड़ तो एक्‍सपर्ट की बताई ट्र‍िक आजमाइए, फ‍िर हर कोई कहेगा हंसमुख है लाडला
How To Raise Happy Children: इस तरह खुश रहेंगे आपके बच्चे. 

Parenting: माता-पिता हमेशा ही चाहते हैं कि उनके बच्चे खुशी-खुशी बड़े हों और दुनिया की कोई भी चीज उन्हें दुखी ना कर सके. ऐसे में हंसते-खेलते बच्चे किस तरह बड़े होते हैं यह बता रही हैं न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता अदातिया. डॉ. श्वेता ने अपने यूट्यूब चैनल पर इस वीडियो को शेयर किया है जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह आप हैप्पी बच्चे (Happy Children) बड़े कर सकते हैं, यानी आपके बच्चे का बचपन खुशहाल होगा और वह खुशी महसूस करते हुए बड़ा होगा. डॉक्टर का कहना है कि आप न्यूरो पैरेंटिंग (Neuro Parenting) के जरिए हैप्पी चिल्ड्रन रेज कर सकते हैं. आइए डॉक्टर से ही जानते हैं इस बारे में. 

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कैसे करें हैप्पी बच्चों को बड़ा | How To Raise Happy Children 

डॉक्टर का कहना है कि बच्चे के जन्म से 5 साल की उम्र में आपको बच्चे को बेहद प्यार से पालना है. इसके बाद 5 से 13 साल की उम्र में उसे डिसिप्लिन में लाना है. बच्चा जब 13 साल का हो जाए तो इस किशोरावस्था में आपको उससे मित्रता करनी है. इसे लाड़यत, ताड़यत और मित्रयत कहा जाता है. डॉक्टर का कहना है कि इस लाड़यत, ताड़यत और मित्रयत के पीछे गहन न्योरोसाइन छुपा है. 

0 से 5 साल के बच्चे की परवरिश 

डॉक्टर का कहना है कि जिनके बच्चे 0 से 5 साल की उम्र के हैं उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि नैनी के बजाय वे खुद बच्चे की परवरिश करें. आपको अपने आस-पास शांति भी बनाए रखनी होगी. बच्चे के अवचेतन मन की डेवलपमेंट इसी समय पर होती है. 5 साल तक का बच्चा सबकुछ सुनने लगता है, जानने लगता है और समझने लगता है. इसीलिए उसके आस-पास क्या हो रहा है इसका उसे पूरा पता चलता है. 

5 से 13 साल के बच्चे की परवरिश 

यह वह उम्र है जब आप बच्चे की पर्सनैलिटी को शेप देते हैं. बच्चे को इस दौरान अच्छी यादें देना और उसमें अच्छी आदतें डालना बेहद जरूरी है. इस समय बच्चे का प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स का पूरा डेवलपेंट नहीं हुआ है. इस उम्र के बच्चों के साथ खेलना, वक्त बिताना, बच्चों की बात को सुनना और रात में शांति भरे माहौल में बच्चे की पढ़ाई और दोस्तों वगैरह के बारे में बात करना बेहद जरूरी है.  

13 से 18 साल के बच्चे की परवरिश 

इस उम्र में ज्यादातर बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा मोबाइल पर रहता है. बुरी संगति भी हो सकती है. ऐसे में इस दौरान आपको बच्चे का दोस्त बनना होगा. आपको बच्चे के साथ जेंटल रहना होगा. आपको इस दौरान बच्चे के करियर को लेकर भी उसकी मदद करनी होगी. 

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