
दुनिया भर में लगभग 36 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी या सी से पीड़ित हैं. हेपेटाइटिस लीवर में सूजन का कारण बनता है और यह सिरोसिस जैसे गंभीर विकार की वजह भी बन सकता है. इसके अलावा हेपेटाइटिस से पुरुषों में बांझपन का भी खतरा पैदा हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट से पता चला है कि हेपेटाइटिस बी वायरस वाले पुरुषों में बांझपन की आशंका 1.59 गुना अधिक रहती है. हेपेटाइटिस बी वायरस प्रोटीन शुक्राणु की गतिशीलता और शुक्राणुओं की निषेचन दर को कम करने के लिए जाना जाता है.
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दिल्ली में आईवीएफ एवं इन्फर्टिलिटी के डायरेक्टर एवं फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. ऋषिकेश डी. पाई ने कहा, "हेपेटाइटिस का अंडाशय या गर्भाशय ग्रंथियों के सामान्य कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि इस वायरस से पुरुषों में शुक्राणुजनन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे शुक्राणुओं की संख्या, टेस्टोस्टेरोन के स्तर, गतिशीलता और व्यवहार्यता में कमी आती है, जिससे उत्पादकता और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है."
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उन्होंने कहा, "बांझ दम्पत्तियों में एचबीएसएजी और एचसीवी के परीक्षण की पेशकश की जाए. इससे उन्हें प्रजनन क्षमता पर कुछ स्पष्टता प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और वे अपने साथी या बच्चे को यह रोग स्थानांतरित करने से बच सकेंगे."
डॉ. ऋषिकेश ने कहा, "हेपेटाइटिस के लिए पॉजिटिव घोषित हो चुके और बांझपन का उपचार चाहने वाले जोड़ों को सलाह देने की जरूरत है. इससे उन्हें बीमारी के संचरण के जोखिम को समझने में मदद मिलेगी. किसी भी सहायक प्रजनन तकनीकों के सुझाव दिए जाने चाहिए जिससे एक बार में ही उचित उपचार किया जाए तो उनकी समस्या कम हो."
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