Virtual Autism : आजकल पेरेंट्स बच्चे के रोने पर या फिर अपना घर का काम निपटाने के लिए बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं. इससे बच्चा कुछ देर के लिए शांत हो जाता है. यह सबसे आसान तरीका हो गया है बच्चे के रोने, गुस्से और जिद्द को शांत करने का. लेकिन हाल ही में यह सामने आया है कि बच्चों में स्क्रीन देखने की लत ऑटिज्म का कारण बन सकती है. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना. 40 की उम्र के बाद महिलाओं को जरूर कराने चाहिए ये टेस्ट, सेहत की गड़बड़ियों का समय रहते लग जाएगा पता
दरअसल, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक डेवलपमेंट डिसएबैलिटी है, जो बच्चों में सामाजिक होने, बातचीत करने और व्यवहार संबंधी चुनौतियां पैदा करने के लिए जानी जाती है. यह प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है.
आपको बता दें कि बचपन ही वह समय होता है जब मस्तिष्क का विकास होता है. यही वह समय है जब बच्चे दूसरों को देखकर या अपने आस-पास की वातावरण से चीजें सीखते हैं. इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए ताकि वो मन बहलाने के लिए मोबाइल का सहारा न लें.
हाल के क्लिनिकल केस अध्ययनों के अनुसार, कई छोटे बच्चे जो टीवी, वीडियो गेम कंसोल, आईपैड या कंप्यूटर सहित स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताते हैं, उनमें ऑटिज्म से जुड़े लक्षण हो सकते हैं.
पिछली पीढ़ियों की तुलना में आजकल बच्चों की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक पहुंच ज्यादा है. कुछ अध्ययनों से संकेत मिलता है कि बढ़ा हुआ स्क्रीन समय मेलानोप्सिन-संचार करने वाले न्यूरॉन्स (melanopsin-communicating neurons ) और गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड न्यूरोट्रांसमीटर (gamma-aminobutyric acid neurotransmitter) में कमी से जुड़ा है, जिससे असामान्य व्यवहार, मानसिक और भाषाई विकास में कमी और अन्य समस्याएं होती हैं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
Chaitra Navratri 2024 | कब कर सकते हैं चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना | NDTV India
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं