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This Article is From Oct 26, 2017

बचपन का मोटापा सेहत के लिए है हानिकारक, ऐसे निपटें

बचपन में स्वस्थ आदतों का मतलब है एक स्वस्थ नागरिक का निर्माण.

बचपन का मोटापा सेहत के लिए है हानिकारक, ऐसे निपटें
मोटापे से कई लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ाता है. मोटापे के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आती है. वर्तमान में देश में लगभग 1.44 करोड़ बच्चे अधिक वजन वाले हैं. विश्व स्तर पर लगभग 2 अरब बच्चे और वयस्क मोटापे के कारण समस्याओं से पीड़ित हैं. इसको लेकर आईएमए का कहना है कि आजकल बच्चों में मोटापे की वृद्धि दर वयस्कों की तुलना में बहुत ज्यादा है. 

आंकड़े बताते हैं मोटे बच्चों के मामले में चीन के बाद दुनिया में भारत का दूसरा नंबर है. बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई को माप कर बचपन में मोटापे की पहचान की जा सकती है. 85 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बीएमआई वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं. ओवरवेट और मोटापे से ग्रस्त बच्चे अपेक्षाकृत कम उम्र में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.

इस बारे में बताते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पहृश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "दुनियाभर के बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. बच्चों में अधिक वजन और मोटापे का प्रसार लगातार बढ़ रहा है. अस्वास्थ्यकर भोजन, वसा, चीनी और नमक (जंक फूड, संसाधित भोजन) की अधिकता और टीवी, इंटरनेट, कंप्यूटर व मोबाइल गेम्स में अधिक लगे रहने से आउटडोर खेल उपेक्षित हुए हैं. बचपन के मोटापे से ग्रस्त बच्चों में बड़े होकर भी अनेक समस्याएं बनी रहती हैं. बचपन में अधिक वजन और मोटापा अन्य जीवनशैली विकारों जैसे कि टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, डिस्लेपिडाइमिया, मेटाबोलिक सिंड्रोम आदि को जन्म दे सकता है. इसलिए, बच्चों में मोटापे को रोकने और नियंत्रित करने की आवश्यकता है."
 मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में स्लीप एपनिया जैसे रोग और सामाजिक व मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हो सकती हैं, जिससे उन्हें आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है. 

डॉ अग्रवाल ने आगे कहा, "बच्चों में शुरुआत से ही अच्छे पोषण संबंधी आदतें पैदा करना महत्वपूर्ण है. सही उम्र से ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधि सुनिश्चित करना हर बच्चे के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है. लाइफस्टाइल रोगों की रोकथाम प्रारंभ करना चाहिए. विद्यालय छात्रों के जीवन को आकार देने में मदद कर सकते हैं और बचपन के मोटापे के विरुद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बचपन में स्वस्थ आदतों का मतलब है एक स्वस्थ नागरिक का निर्माण."

अस्वस्थ आदतों से ऐसे निपटें : 

* शुरुआत में ही स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करें.

* कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ कम ही दें. उच्च वसायुक्त और उच्च चीनी या नमकीन वाले नाश्ते को सीमित ही रखें. 

* बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने का महत्व बताएं.

* प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की तेज शारीरिक गतिविधि में बच्चों को भी शरीक करें.

* बच्चों को अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से रोकें. 

* बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.

(आईएएनएस)
 
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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