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This Article is From May 30, 2024

बच्चे को समझदार बनाती हैं रोज की ये 5 आदतें, माता-पिता को छोटी उम्र से ही बच्चे में डालने चाहिए ये गुण

ऐसे कुछ छोटे-मोटे काम हैं जो बच्चे के जीवन को शेप देने का काम करते हैं. ये आदतें ना सिर्फ बाहरी तौर पर बल्कि बच्चे के लिए मानसिक रूप से भी फायदेमंद साबित होती हैं. अच्छी आदतें बच्चे को समझदार बनाती हैं.

बच्चे को समझदार बनाती हैं रोज की ये 5 आदतें, माता-पिता को छोटी उम्र से ही बच्चे में डालने चाहिए ये गुण
बच्चों को भीड़ से अलग बनाती हैं रोजमर्रा की ये आदतें. 

Parenting Tips: छोटी उम्र से ही कुछ बच्चे हर क्षेत्र में बाकी बच्चों से अलग नजर आने लगते हैं. इन बच्चों के नंबर अच्छे आते हैं, इनमें कलात्मक गुण होते हैं, इनके बात करने का तरीका अलग होता है और इन्हें अध्यापक भी बेहद पसंद करते हैं. इन्हीं बच्चों को समझदार बच्चों (Intelligent Children) की कैटेगरी में भी रखा जाता है. ऐसे में माता-पिता का यही सवाल रहता है कि इन बच्चों की वो कौनसी आदतें हैं जो इन्हें इतना खास बनाती हैं. असल में छोटी उम्र से ही बच्चों को अच्छा वातावरण मिले और उनमें अच्छी आदतें (Good Habits) डाली जाएं तो बच्चों का शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक विकास भी होने लगता है. इन बच्चों में समझदारी भी दूसरे बच्चों के मुकाबले ज्यादा देखी जाती है. 

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बच्चों को समझदार बनाने वाली आदतें 

पूरी नींद लेना - बच्चे की नींद अगर पूरी नहीं होती है और उसे नींद की कमी सताती है तो ना उसका स्कूल जाने का मन करता है और ना ही उससे स्कूल में पढ़ाई की जाती है. ऐसे में बच्चों का पूरी नींद लेना जरूरी है. अक्सर ही माता-पिता (Parents) के रात के समय टीवी देर तक चलाए रखने पर बच्चे भी जागकर टीवी देखने में लगे रहते हैं. ऐसे में माता-पिता को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे रात में देर तक जागते ना रहें और उन्हें पूरी नींद मिले. 

काम को टालते ना रहना - हर काम को टालने की आदत से होता यह है कि बच्चे अपना होमवर्क टाइम से नहीं करते और जब आखिरकार करने बैठते हैं तो कुछ सीखने या समझने के बजाय उनका फोकस काम को किसी ना किसी तरह खत्म करना होता है. इसीलिए काम को ना टालने वाले बच्चे समय से अपना काम पूरा करते हैं और जो कुछ लिखते-पड़ते हैं उसे सही तरह से समझ पाते हैं. 

टाइम मैनेजमेंट की आदत - जब बात टाइम मैनेजमेंट की आती है तो बड़े लोग भी इसमें कठिनाई महसूस करते हैं, तो फिर बच्चों को क्या कहा जा सकता है. लेकिन, जिन बच्चों को इस बात का एहसास होता है कि उन्हें किस समय पढ़ना है, कब खेलना है और कितनी देर खेलना है, तो ऐसे बच्चों में समझदारी (Intelligence) भी देखी जाती है. 

एक्टिव रहना - बड़ों की तरह बच्चों को एक्सरसाइज या वर्कआउट नहीं करवाया जाता बल्कि एक्टिव रहने के लिए बच्चे खेलकूद में लगे रहते हैं. बच्चों की दिनचर्या ऐसी होनी चाहिए जिसमें खेलने-कूदने का या किसी फिजिकल एक्टिविटी का समय हो. स्विमिंग, साइक्लिंग या डांस करने के लिए भी बच्चे से कहा जा सकता है. शरीर एक्टिव रहता है तो दिमाग भी एक्टिव (Active Brain) रहने लगता है. 

ब्रेन बूस्टिंग गेम्स - सुडोकू, चेस, पज्जल्स या फिर पहेलियां वगैरह सुलझाना ब्रेन बूस्टिंग गेम्स (Brain Boosting Games) की गिनती में आता है. इनसे ब्रेन पावर बूस्ट होती है और दिमाग की अच्छी कसरत भी हो जाती है. इसीलिए बच्चों की आदतों में ब्रेन गेम्स खेलना हो तो उनका दिमाग तेज होने लगता है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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