विज्ञापन
This Article is From Apr 17, 2017

ट्रिपल तलाक पर मौन रहने वालों को योगी आदित्यनाथ ने लताड़ा, द्रौपदी के चीरहरण का दिया उदाहरण

ट्रिपल तलाक पर मौन रहने वालों को योगी आदित्यनाथ ने लताड़ा, द्रौपदी के चीरहरण का दिया उदाहरण
ट्रिपल तलाक पर योगी आदित्यनाथ
लखनऊ: ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर पीएम मोदी के बयान के बाद अब योगी आदित्यनाथ ने भी इस पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि कुछ लोग इस पर मौन हैं. वे इसके लिए समान रूप से दोषी हैं. इसके लिए उन्होंने द्रोपदी के चीरहरण का उदाहरण दिया. योगी आदित्यनाथ चंद्रशेखर की जयंती पर किताब विमोचन के कार्यक्रम में बोल रहे थे. योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि चंद्रशेखर ने कहा था कि जब हमारे मामले समान हैं तो शादी ब्याह के कानून भी समान क्यों नहीं हो सकते. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर देश एक है तो देश में कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं है. चंद्रशेखर भी समान कानून के पक्षधर थे.

महाभारत का किया जिक्र
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की 91वीं जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में तीन तलाक के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा कि इन दिनों में एक नई बहस चली आ रही है. कुछ लोग देश की इस ज्वलंत समस्या को लेकर मुंह बंद किए हुए हैं, तो मुझे महाभारत की वह सभा याद आती है, जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब द्रौपदी ने उस भरी सभा से एक प्रश्न पूछा था कि आखिर इस पाप का दोषी कौन है. तब कोई बोल नहीं पाया था, केवल विदुर ने कहा था कि एक तिहाई दोषी वे व्यक्ति हैं, जो यह अपराध कर रहे हैं, एक तिहाई दोषी वे लोग हैं, जो उनके सहयोगी हैं, और तिहाई वे हैं जो इस घटना पर मौन हैं. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि देश का राजनीतिक क्षितिज तीन तलाक को लेकर मौन बना हुआ है. सच पूछें तो यह स्थिति पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर देती है. अपराधियों के साथ-साथ उनके सहयोगियों को और मौन लोगों को भी. योगी का यह बयान ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा रविवार तीन तलाक की व्यवस्था में कोई परिवर्तन ना करने के फैसले के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है.

कॉमन सिविल कोड का भी जिक्र
योगी ने कॉमन सिविल कोड भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर ने भी कहा था कि देश में एक सिविल कोड बनाने की जरूरत है. जब हमारे मामले समान हैं, तो शादी ब्याह के कानून भी समान क्यों नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा- कॉमन सिविल कोड के बारे में उनकी धारणा स्पष्ट थी. उनके लिए अपनी विचारधारा नहीं बल्कि उनके लिए राष्ट्र महत्वपूर्ण था. हमारी राजनीति राष्ट्रीय हितों पर घात प्रतिघात करके नहीं बल्कि राष्ट्र और संविधान के दायरे में होनी चाहिए. जिस दिन हम इस दायरे में रहकर काम शुरू कर देंगे तो ऐसे टकराव की नौबत ही नहीं आएगी और देश में कोई कानून के साथ खिलवाड़ की हिम्मत नहीं कर सकेगा.

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी किया था जिक्र
इससे पूर्व पीएम मोदी ने ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आखिरी दिन रविवार को कहा कि मुस्लिम बहनें तकलीफ में हैं. उनके साथ न्याय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बीजेपी का रुख एक दम साफ है.

ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दावा किया कि देश में शरिया कानूनों में किसी भी तरह की दखलंदाजी को सहन नहीं कर सकते. साथ ही हिन्दुस्तान के ज्यादातर मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते.  बोर्ड ने कहा कि मुस्लिम दहेज के बजाय संपत्ति में हिस्सा दें, तलाकशुदा महिला की मदद की जाए. बोर्ड तीन तलाक की पाबंदी के खिलाफ है. बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को मानेंगे. (इनपुट्स भाषा से भी)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com