राजस्थान में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद सरकार ने घटना को लेकर जांच के आदेश दिए हैं. वीडियो के अनुसार भरतपुर (Bharatpur) में एक गर्भवती महिला (Pregnant woman) को उपचार में कथित देरी के बाद पिछले सप्ताह एक राजकीय प्रसूति अस्पताल के प्रवेश द्वार पर बच्चे को जन्म देना पड़ा था. घटना 25 सितंबर की आधी रात से पहले की है जब जयपुर से 180 किलोमीटर दूर भरतपुर में एक छोटे कस्बे डेग से बेहतर इलाज के लिए एक महिला को भरतपुर जिला अस्पताल लाया गया था.
जब महिला को अस्पताल लाया गया तो मदद के लिए परिजनों ने कई बार अस्पताल के कर्मचारियों के सामने गुहार लगायी लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए सामने नहीं आया. साथ ही परिवार की तरफ से यह भी आरोप लगाया गया कि मरीज को महिला अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस के चालक ने उन लोगों से 500 रुपये रिश्वत भी जबकि यह सेवा मुफ्त में दी जाती है. बताते चले कि उस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ। सुभाष गर्ग स्वयं करते हैं, उनके क्षेत्र में हुयी घटना से लोगों की नाराजगी और भी अधिक बढ़ गयी.
अस्पताल के प्रभारी डॉ.रूपेंद्र झा ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि घटना हमारे संज्ञान में आयी है, जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा ... हम उचित कार्रवाई करेंगे. मां और नवजात दोनों को छुट्टी दे दी गई है. गौरतलब है कि हाल के महीनों में अस्पताल में इस तरह की यह दूसरी घटना है.इससे पहले अप्रैल में एक महिला के परिजनों ने भी आरोप लगाया था कि अस्पताल के कथित लापरवाही की वजह से एक बच्चे की जन्म लेते ही मौत हो गयी थी. बच्चे का जन्म एम्बुलेंस में हुआ था. महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उन्हें उनके धर्म के कारण जिला अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया था.
अस्पताल ने, हालांकि, दावों का खंडन किया था.डॉ.रूपेंद्र झा ने कहा था कि महिला का इलाज किया गया था, वह काफी खून बह रहा था और डॉक्टर ने उसके लिए एक इंजेक्शन भी दिया था. प्रसव के बाद, हमने देखा कि बच्चे को एनेस्थली है, जिसका अर्थ है कि उसका मस्तिष्क विकसित नहीं हुआ था.
VIDEO:बक्सर में लापरवाही ने ले ली नवजात की जान