
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर पाकिस्तान पर आतंकवाद प्रायोजित करने और सीमा पार हमलों का आरोप लगाया है.
- कश्मीर मुद्दा पहली बार 1948 में यूएन सुरक्षा परिषद में भारत ने उठाया था और यह विवाद आज तक जारी है.
- भारत ने ऑपरेशन सिंदूर-पहलगाम हमलों का उदाहरण देते हुए पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक स्तर पर उजागर किया है.
पाकिस्तान है कि आतंकवाद पर अपनी हरकतों से बाज आने का नाम नहीं लेता. ताजा उदाहरण पहलगाम हमले का है. पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह से पाक समर्थिक आतंकियों ने 26 मासूम पर्यटकों को निशाना बनाया था. आतंकवाद एक ऐसा मुद्दा है, जिसे लेकर भारत बार-बार पाक (India-Pakistan In UN) को चेतावनी देता रहा है, लेकिन वह है कि सुधरने का नाम नहीं लेता. भारत संयुक्त राष्ट्र में भी बार-बार पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर आगाह और बेनकाब कर चुका है और उसे खूब खरी-खरी सुना चुका है.
बता दें कि भारत-पाक के बीच कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर, एक लंबा और विवादास्पद इतिहास रहा है. भारत ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका और कश्मीर पर उसके रुख को उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों का लगातार उपयोग किया है. भारत ने कब-कब खोली पाक की पोल, डिटेल में जानें.
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भारत ने फिर खोली पाकिस्तान की पोल
भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को दो टूक सुना दिया है. भारत ने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हालात के दौरान पाकिस्तानी सेना की तरफ से किए गए अनुरोध के बाद ही हमारी सेना सीजफायर के लिए तैयार हुई थी. ऑपरेशन सिंदूर का जो मकसद था वह पूरा हो चुका था.
1948 में UN में उठाया कश्मीर मुद्दा
कश्मीर मुद्दे को पहली बार जनवरी 1948 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया था. तब से यह मुद्दा लगातार जारी है. भारत बार-बार कहता रहा है कि कश्मीर के कुछ हिस्सों में पाकिस्तान का कब्जा अवैध है, जबकि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के मुताबिक, कश्मीरियों के सेल्फ-डिटरमिनेशन के अधिकार पर जोर देता रहा है. इसका ताजा उदाहरण आपको बताते हैं.
सिंधु जल संधि पर पाक को खरी-खरी
भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत परवथानेनी हरीश ने जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर और सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की टिप्पणियों का कड़ा खंडन किया था. उस समय सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल रहे पाकिस्तान ने अलग-अलग बहसों में कश्मीर मुद्दे को उठाने की खूब कोशिश की. लेकिन भारत ने लगातार दोहराया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. विवादों का निपटारा द्विपक्षीय रूप से होना चाहिए.
आतंकवाद को पाल-पोष रहा पाकिस्तान
भारत बार-बार पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने और बढ़ावा देने का आरोप लगाता रहा है. भारत ने कहा कि उसने अपने बॉर्डर्स पर दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों को झेला है. इसके लिए बड़े आतंकवादी हमलों जैसे 26/11 मुंबई हमले (2008), और हाल ही में, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकवादी हमला का उदाहरण दिया गया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.
जुलाई 2025: संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर भारत ने वैश्विक शांति, बहुपक्षीय सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख पर पूरी मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा. उसने पाकिस्तान को आतंक पर खूब खरीखोटी सुनाईं. यूएन में भारत के राजदूत परवथानेनी हरीश ने अपनी स्पीच में कहा कि कैसे शीत युद्ध के बाद संघर्षों का स्वरूप बदला और गैर-राज्य आतंकी संगठनों की भूमिका बढ़ी. पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए भारत ने कहा है कि 'पाकिस्तान कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है.
फरवरी 2025: भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने यूएनएससी में कहा था कि भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का शिकार रहा है. पाकिस्तान की धरती पर फलने-फलूने वाले जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने भारत में कई आतंकी हमले किए. उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद का वैश्विक केंद्र बताते हुए कहा था कि पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित 20 से ज्यादा आतंकी संगठन मौजूद हैं. इसके बाद भी पाक खुद को आतंक के खिलाफ लड़ने वाला देश कहता है, जो कि बड़ी विडंबना है.
जुलाई 2025: भारत ने आतंकवाद के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति पर ज़ोर देते हुए संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर भारत की लोकतांत्रिक और आर्थिक प्रगति की तुलना पाकिस्तान से की. वही पाकिस्तान जो कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से लगातार कर्ज ले रहा है.
जून 2025: भारत ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान, पाकिस्तान के नापाक एजेंडे को खारिज कर दिया था. उस पर अपने बाल अधिकारों के उल्लंघन करने और सीमा पार आतंकवाद से ध्यान भटकाने का भी आरोप लगातया था. भारत ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन हमलों में मारे गए आतंकवादियों का पाकिस्तान ने राजकीय अंतिम संस्कार किया गया था.
मई 2025: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए उसके व्यवहार को बेहद पाखंडी बताया था. भारत ने कहा था कि जो देश आतंकवादियों और नागरिकों के बीच कोई अंतर नहीं करता, उसके पास नागरिकों की सुरक्षा के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है. राजदूत हरीश ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए बार-बार नागरिकों की आड़ ली है. ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों को पाकिस्तानी सेना के अधिकारी श्रद्धांजलि दे रहे थे. ये भी कहा गया कि पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर भारतीय सीमावर्ती गांवों में गोलाबारी कर नागरिकों की जान ली और उनको घायल किया.
भारत ने पाकिस्तान को कैसे किया बेनकाब?
UN में पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत ने कई कूटनीतिक रणनीतियों का इस्तेमाल किया.
उत्तर देने का अधिकार: भारत अक्सर पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के बयानों का जवाब देने के लिए अपने "उत्तर देने के अधिकार" का इस्तेमाल करता है, खासकर जब कश्मीर या आतंकवाद के आरोप उठाए जाते हैं.
जनरल डिबेट और विषयगत चर्चाएं: भारत पाकिस्तान की नीतियों पर चिंता जाहिर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA), संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और मानवाधिकार परिषद समेत विभिन्न संयुक्त राष्ट्र मंचों का उपयोग करता है.
प्रत्यक्ष आरोप और साक्ष्य: भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करता रहा है. सीमा पार घुसपैठ और हमलों के सबूत भी UN में पेश किए जा चुके हैं.
पाकिस्तान के आंतरिक मुद्दे: भारत पाकिस्तान की आलोचनाओं का जवाब देने के लिए आतंकवाद और आर्थिक अस्थिरता के साथ उसके आंतरिक संघर्षों की पोल खोलता रहा है.
द्विपक्षीयता को बढ़ावा देना: भारत लगातार यह कहता रहा है कि कश्मीर जैसे मुद्दे द्विपक्षीय मामले हैं जिनका अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं किया जाना चाहिए.
पाकिस्तान अक्सर कश्मीर और मानवाधिकारों पर अपनी सफाई UN के मंच पर देता रहा है. जब-जब उसने खुद को बेगुनाह बताने और इल्जाम उल्टा भारत पर मढ़ने की कोशिश की, तब-तब भारत ने उसे बेनकाब किया है. यह दशकों से चल रही एक कूटनीतिक कोशिश है. जब भी पाकिस्तान ने वैश्विक मंच पर इन मुद्दों को उठाया है, उसे भारत के हाथों मुंह की खानी पड़ी है.
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